भारत के कई हिस्सों में गेहूं का बड़े स्तर पर उपभोग किया जाता है। गेंहू से बनी रोटी, चपाती, पराठे, चूरमा, पूरी आदि का देशभर में लगभग रोजाना सेवन किया जाता है। हालांकि, गेहूं, जौ और राई जैसे खाद्य पदार्थों में एक प्रकार का प्रोटीन पाया जाता है जिसे ग्लूटेन कहते हैं और कुछ लोगों में 'ग्लूटेन सेंसिटिविटी' या 'ग्लूटेन इंटोलेरेंस' की समस्या होती है या समय के साथ विकसित हो जाती है। इसका मतलब है कि यदि ऐसे लोग जिन्हें ग्लूटेन संवेदनशीलता- जिसमें वीट एलर्जी और सीलिएक रोग वाले लोग भी शामिल हैं- है वे अगर ग्लूटेन युक्त आहार का सेवन करेंगे तो उन्हें गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। अच्छी बात यह है कि भारत भर में ग्लूटेन मुक्त आहार पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। उदाहरण के तौर पर आप चाहें तो गेहूं की जगह चौलाई, कुट्टू का आटा या ज्वार का प्रयोग कर सकते हैं। इस आर्टिकल में आगे पढ़िए ग्लूटेन और ग्लूटेन फ्री फूड के बारे में-

(और पढ़ें - गेहूं का आटा या मैदा, क्या है खाना अधिक सेहतमंद)

  1. ग्लूटेन क्या है? - What is Gluten in Hindi?
  2. गेहूं एलर्जी और सीलिएक रोग के लक्षण - Symptoms of Wheat Allergy versus Celiac Disease in Hindi
  3. नॉन सीलिएक ग्लूेटन सेंसिटिविटी - Non Celiac Gluten Sensitivity in Hindi
  4. ग्लूटेन फ्री फूड लिस्ट - Gluten Free Food list in Hindi
  5. ग्लूटेन फ्री फूड के फायदे - Benefits of Gluten Free Food in Hindi
  6. ग्लूटेन फ्री फूड के नुकसान - Side effects of Gluten Free Food in Hindi
  7. ग्लूटन सेंसिटिविटी के दौरान क्या न खाएं - Foods to avoid in Gluten sensitivity and Gluten intolerance in Hindi
ग्लूटेन और ग्लूटेन फ्री फूड, डाइट के डॉक्टर

ग्लूटन एक प्रकार का प्रोटीन है जो गेहूं, जौ और राई जैसे अनाज में पाया जाता है। यह एक प्रकार का लसलसा पदार्थ होता है, जो खाद्य पदार्थ को एक साथ बांधे रखता है जिससे उनके आकार को बनाए रखने में मदद मिलती है। हालांकि, जो लोग ग्लूटन के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें गेहूं से एलर्जी होती है या जो लोग सीलिएक रोग से ग्रस्त होते हैं, उनमें गेहूं के सेवन से विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें पाचन संबंधी समस्याएं भी शामिल हैं।

(और पढ़ें - पाचन तंत्र के रोग)

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गेहूं से एलर्जी जिसे वीट एलर्जी भी कहते हैं एक ऐसी स्थिति है जिसमें गेहूं या ग्लूटन युक्त पदार्थ खाने के बाद शरीर में एक इम्यून प्रतिक्रिया होती है। जिस व्यक्ति को गेहूं से एलर्जी होती है उसे राई और जौ जैसे अनाज से भी एलर्जी हो सकती है। हालांकि सभी मामलों में ऐसा नहीं होता। गेहूं एलर्जी के लक्षण हल्के से लेकर जानलेवा तक हो सकते हैं। यह लक्षण गेहूं या गेहूं के उत्पादों को खाने के तुरंत बाद या दो घंटे बाद दिखना शुरू हो सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल है:

सीलिएक रोग का प्रभाव लंबे समय तक देखने को मिल सकता है, इसमें आंतों को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचता है। इसे एक तरह का ऑटोइम्यून विकार माना जाता है, जिसमें शरीर ग्लूटन (जो गेंहू, बार्ली और राई में पाया जाता है) के प्रति असामान्य प्रतिक्रिया देता है। छोटी आंत में विली पाई जाती है, जो कि कोशिकाओं से बनी होती है और दिखने में हाथ की उंगली की तरह होती है। यह विली छोटी आंत के सतह वाले हिस्से को बढ़ाने में मदद करती है ताकि भोजन का उचित अवशोषण किया जा सके। सीलिएक रोग से ग्रस्त लोग जब ग्लूटन का सेवन करते हैं तो यह विली क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिसकी वजह से भोजन का उचित अवशोषण नहीं हो पाता और कुपोषण की समस्या हो सकती है। बच्चों और वयस्कों में इसके लक्षण अलग अलग हो सकते हैं।

सीलिएक रोग के लक्षण बच्चों में:

सीलिएक रोग के लक्षण वयस्कों में:

वैसे लोग जिनमें गेहूं से एलर्जी और सीलिएक रोग नहीं है लेकिन फिर भी उनमें ग्लूटन सेंसिटिविटी (ग्लूटन के प्रति संवेदनशीलता) के लक्षण दिखाई देते हैं, उनमें इसका सटीक जैविक कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन इन लोगों में सबसे आम लक्षणों में ये समस्याएं शामिल हैं:

  • सिरदर्द और ब्रेन फॉग (याद्दाश्त तेज ना होना या फोकस न कर पाना)
  • थकान
  • पेट दर्द और गैस

(और पढ़ें - याददाश्त तेज करने के उपाय)

आसानी से मिलने वाले ग्लूटेन फ्री या ग्लूटेन मुक्त आहार में निम्नलिखित चीजें शामिल हैं:

  • मकई: मक्का या मकई जिसे कॉर्न भी कहते हैं को कई तरीकों से पकाया जा सकता है। यह एंटीऑक्सिडेंट जैसै जियाक्सैंथिन (zeaxanthin) और ल्यूटिन (lutein) से भरपूर होता है। साथ ही इसमें काफी मात्रा में फाइबर भी पाया जाता है। मकई बाजार में उपलब्ध सबसे लोकप्रिय ग्लूटेन मुक्त आहार में से एक है।
  • जई: सीलिएक रोग से ग्रस्त कुछ लोग एवेनिन (जई या ओट्स में पाया जाने वाला एक प्रोटीन) के प्रति भी संवेदनशील हो सकते हैं, लेकिन यह एक लोकप्रिय ग्लूटेन फ्री फूड है, जो ज्यादातर लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। दूसरी तरफ ओट्स में बीटा ग्लूकन (beta-glucan) होने की वजह से यह स्वाभाविक रूप से ब्लड शुगर लेवल को विनियमित करने में मदद करता है। (और पढ़ें - नॉर्मल शुगर लेवल रेंज कितना होना चाहिए)
  • क्विनोआ: इसे सबसे हेल्दी 'अनाज' में से एक के तौर पर जाना जाता है। यह न केवल ग्लूटेन फ्री होता है, बल्कि यह एंटीऑक्सिडेंट में भी भरपूर होता है। इसमें सभी आवश्यक एमिनो एसिड होते हैं, जो इसे प्रोटीन का एक बेह​तरीन स्रोत बनाते हैं।
  • ब्राउन राइस: चावल ग्लूटेन फ्री होता है, फिर चाहे बात सफेद, लाल, काले चावल की हो रही हो या ब्राउन राइस की। हालांकि, ब्राउन और सफेद चावल पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि अगर सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस का सेवन किया जाए तो यह स्वास्थ्य को अधिक लाभ पहुंचाता है। ब्राउन राइस के सेवन से डायबिटीज, वजन बढ़ना और हृदय रोग का खतरा भी कम हो सकता है। (और पढ़ें - सफेद चावल या ब्राउन राइस के स्वास्थ्य के लिए फायदे)
  • आटा और स्टार्च: ऐसे कई विकल्प हैं जो कि पूरी तरह ग्लूटेन फ्री हैं, इनमें शामिल हैं - आलू और आलू का आटा जिसे पटेटो स्टार्च कहते हैं, मकई और मकई का आटा, बेसन, सोया का आटा, नारियल और साबुदाना का आटा।
  • अंडे: सभी प्रकार के अंडे ग्लूटेन फ्री और बेहद पौष्टिक होते हैं। इनके एक नहीं अनेक फायदे हैं, यह प्रोटीन से समृद्ध हैं। अंडों को कई तरीकों से पकाकर खाया जा सकता है।
  • मीट, चिकन और मछली: यह तीनों ही स्वाभाविक रूप से ग्लूटेन फ्री होते हैं। हालांकि, यहां थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि बाजार में पाए जाने वाले कुछ प्रकार के नॉनवेज में ग्लूटेन हो सकता है, क्योंकि कई बार इनमें फ्लेवर मिलाया जाता है।
  • फल और सब्जियां: सभी प्रकार के फल और सब्जियां ग्लूटेन फ्री होते हैं।
  • डेयरी: दूध, दही, पनीर आदि डेयरी प्रॉडक्ट ग्लूटेन फ्री होते हैं। हालांकि, आपको खाद्य पदार्थों के डिब्बे या पैकेट पर चिपके लेबल को ध्यान से पढ़ना जरूरी है, क्योंकि कई बार इनमें अलग से फ्लेवर मिलाया जाता है जो कि ग्लूटेनयुक्त हो सकता है।
  • नट्स और सीड्स: सभी प्रकार के सूखे मेवे यानी नट्स और सीड्स यानी बीज ग्लूटेन-मुक्त आहार के अंतर्गत आते हैं। यह पोषक तत्वों के साथ साथ फाइबर का भी बड़ा स्रोत होते हैं।

(और पढ़ें - बीज और सूखे मेवे के फायदे और नुकसान)

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ग्लूटेन फ्री फूड के फायदों में शामिल है:

  • पाचन संबंधी लक्षणों से दिलाए राहत: अक्सर पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि पेट फूलना, गैस, दस्त या कब्ज के इलाज के लिए ग्लूटेन मुक्त आहार लिया जाता है। अध्ययनों से पता चला है कि ग्लूटेन फ्री डाइट इन लक्षणों से छुटकारा दिला सकता है। हालांकि, प्रोसेस्ड ग्लूटेन-फ्री स्नैक्स से बचना चाहिए, क्योंकि यह शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ा सकते हैं।
  • जोड़ों के दर्द को कम करने में असरदार: सीलिएक रोग के साथ ही इन्फ्लेमेशन (अंदरुनी सूजन) की भी समस्या आती है। यही कारण है कि जोड़ों का दर्द, विशेष रूप से घुटनों में दर्द, पीठ में दर्द और कलाई में दर्द सीलिएक रोग का कॉमन लक्षण है। ग्लूटेन मुक्त आहार लेने से इस प्रकार के जोड़ों के दर्द को रोकने में मदद मिल सकती है।
     
  • त्वचा में निखार लाने में करे मदद: ग्लूटेन इन्टॉलरेंस की समस्या त्वचा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। डर्माटाइटिस हेर्पेटिफोर्मिस, जिसमें त्वचा में फफोले पड़ने लगते हैं एक ऐसी समस्या है जो सीलिएक रोग में भी देखने को मिलती है। ​य​दि ऐसे में ग्लूटेन मुक्त आहार लिया जाए, तो यह डर्माटाइटिस हेर्पेटिफोर्मिस के लक्षणों को ठीक करने के साथ साथ त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करता है।
     
  • ऊर्जा को बढ़ाने में मददगार: यदि किसी व्यक्ति को सीलिएक रोग है, तो ग्लूटेन फ्री अनाज लेने से शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। यह आपको थका हुआ और सुस्त महसूस करने से भी रोक सकता है।
     
  • वजन घटाने में सहायक: ग्लूटेन फ्री डाइट कई प्रकार के जंक फूड को भी आपकी डाइट से बाहर रखता है जिसकी वजह से अनावश्यक रूप से कैलोरी बढ़ती है। इन खाद्य पदार्थों की जगह आहार में कई प्रकार के अनाज और बीज को शामिल किया जाता है जो वजन कम करने में भी मदद करता है।

(और पढ़ें -  वजन कम करने के उपाय)

ग्लूटेन फ्री डाइट के नुकसान में शामिल हैं:

  • ग्लूटेन फ्री डाइट फॉलो करने की वजह से अपने आहार को लेकर बहुत सचेत रहना पड़ता है। हमेशा यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि आपने ग्लूटेन फ्री फूड ही खरीदा है या नहीं। इस डाइट पर जीवनभर रहना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
  • ग्लूटेन युक्त आहार आपको हर जगह मिल जाएंगे, जबकि ग्लूटेन फ्री आहार बहुत कम जगह मिलते हैं। यही वजह है कि लोग इस डाइट पर लंबे समय तक टिक नहीं पाते हैं।
  • जिन लोगों को सीलिएक रोग नहीं है जब वे ग्लूटेन फ्री डाइट लेते हैं तो वे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों  जैसे कार्बोहाइड्रेटआयरनकैल्शियम और विटामिन डी से वंचित रह जाते हैं। (और पढ़ें - विटामिन डी की कमी के लक्षण)
  • ग्लूटेन फ्री फूड का सेवन करने की वजह से आपका वजन भी बढ़ सकता है क्योंकि स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें चीनी और वसा का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
  • इस डाइट को फाॅलो करना काफी खर्चीली होता है क्योंकि ग्लूटेन फ्री फूड आइटम्स और सप्लिमेंट्स सब जगह नहीं मिलते और महंगे भी होते हैं।
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वैसे तो ज्यादातर खाद्य पदार्थों में ग्लूटेन मौजूद होता है, ऐसे में इन सभी पदार्थों का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना लगभग असंभव हो सकता है। लेकिन इनके सेवन को बहुत हद तक कम जरूर किया जा सकता है। आप चाहें तो निम्नलिखित ग्लूटेन फ्री डाइट चार्ट को फॉलो कर सकते हैं:

ध्यान रखें डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही ग्लूटेन फ्री डाइट लेना उचित है।

Dt. Priti Kumari

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