यूरोस्टोमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसका उपयोग पेट में छेद (जिसे स्टोमा कहते हैं) करके मूत्राशय से पेशाब निकालने के लिए किया जाता है। यह सर्जरी आमतौर पर तब की जाती है, जब आपका मूत्राशय किसी रोग या संक्रमण के कारण क्षतिग्रस्त हो गया हो और ठीक से काम नहीं कर पा रहा हो।
यह सर्जरी शुरू करने से पहले आपका शारीरिक परीक्षण किया जाता है और अन्य टेस्ट किए जाते हैं। सर्जरी वाले दिन डॉक्टर आपको खाली पेट रहने को कह सकते हैं। सर्जरी के दौरान जनरल एनेस्थीसिया दी जाती है, जिससे आप सर्जरी के दौरान गहरी नींद में सोते रहते हैं और आपको कुछ महसूस नहीं होता है। सर्जरी के बाद आपको विशेष देखभाल की जरूरत होती है, जिसमें स्टोमा के आसपास की त्वचा को साफ व सूखा रखना पड़ता है।
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- यूरोस्टोमी क्या है - What is Urostomy in Hindi
- यूरोस्टोमी क्यों की जाती है - Why is Urostomy done in Hindi
- यूरोस्टोमी से पहले की तैयारी - Before Urostomy in Hindi
- यूरोस्टोमी कैसे की जाती है - How is Urostomy done in Hindi
- यूरोस्टोमी के बाद देखभाल - Urostomy after care in Hindi
- यूरोस्टोमी की जटिलाएं - Complications of Urostomy in Hindi
यूरोस्टोमी क्या है - What is Urostomy in Hindi
यूरोस्टोमी किसे कहते हैं?
यूरोस्टोमी एक सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसमें पेट की ऊपरी सतह से होते हुए मूत्राशय में एक छिद्र (स्टोमा) बनाया जाता है। जब मूत्राशय पेशाब को शरीर से बाहर निकालने में असमर्थ हो जाता है, तो यूरोस्टोमी सर्जरी की मदद ली जाती है। मूत्राशय में होने वाले कुछ रोग व संक्रमण हैं, जिनके कारण मूत्राशय ठीक से काम करना बंद कर देता है और परिणामस्वरूप पेशाब को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाता है।
यूरोस्टोमी प्रोसीजर की मदद से कई बार मूत्राशय को ही शरीर से अलग कर दिया जाता है, जिसे सिस्टेक्टोमी कहा जाता है।
मूत्र प्रणाली (यूरिनरी सिस्टम) में दो गुर्दे, दो मूत्रवाहिनियां, एक मूत्राशय और एक मूत्रमार्ग होता है। पेशाब किडनी से मूत्रावाहिनियों से होते हुए मूत्राशय में जमा होता है। उसके बाद मूत्राशय, मूत्रमार्ग की मदद से पेशाब को शरीर से बाहर निकाल देता है।
यूरोस्टोमी सर्जरी में मूत्राशय में छिद्र करके पेशाब को मूत्रमार्ग से निकालने की बजाय सीधा उस छिद्र से निकाल दिया जाता है, जिसे स्टोमा कहते हैं। इस स्टोमा का रंग गहरा गुलाबी या लाल होता है और यह देखने में गीला व चमकीला होता है। इसकी आकृति गोल या अंडाकार होती है और इसका आकार समय के साथ-साथ छोटा पड़ सकता है।
यूरोस्टोमी सर्जरी आमतौर पर दो प्रकार की होती है, जिन्हें इन्कॉन्टिनेंट डाइवर्जन या कन्वेन्शनल यूरोस्टोमी (Incontinent diversion or conventional urostomy) और कॉन्टिनेंट डाइवर्जन (Continent diversion) के नाम से जाना जाता है।
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यूरोस्टोमी क्यों की जाती है - Why is Urostomy done in Hindi
यदि मरीज को निम्न समस्याएं हैं, तो डॉक्टर यूरोस्टोमी सर्जरी करवाने की सलाह देते हैं-
- रीढ़ की हड्डी में चोट लगना
- स्पाइना बाइफिडा (एक जन्मजात रोग, जिसमें रीढ़ की हड्डियां ठीक से नहीं बनी होती हैं।)
- मूत्र प्रणाली में कोई जन्मजात विकृति होना, जिसमें पेशाब वापस किडनी में जाने लगती है।
- मूत्राशय से संबंधी कोई समस्या जिसके कारण पेशाब पर नियंत्रण न रख पाना।
- इसके अलावा यदि मरीज में मूत्राशय कैंसर के लक्षण दिख रहे हैं, तो भी डॉक्टर यूरोस्टोमी करने पर विचार कर सकते हैं। मूत्राशय में कैंसर होने पर निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं -
- पेशाब में खून आना
- बार-बार पेशाब आना (या तीव्र इच्छा होना)
- पेशाब में जलन व दर्द होना
- टांगों में सूजन होना
- हड्डियों में दर्द महसूस होना
- शरीर का वजन असाधारण रूप से कम होना
यूरोस्टोमी किसे नहीं करवानी चाहिए?
कुछ शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें कॉन्टिनेंट यूरोस्टोमी प्रोसीजर नहीं की जा सकती है-
- लगातार दस्त रहना
- मालएब्जॉर्पशन सिंड्रोम
- गुर्दे ठीक से काम न कर पाना
- लिवर का ठीक से काम न कर पाना
- मानसिक समस्याएं
- न्यूरोलॉजिकल समस्याएं
- जीवन प्रत्याशा कम होना
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यूरोस्टोमी से पहले की तैयारी - Before Urostomy in Hindi
यूरोस्टोमी सर्जरी को शुरू करने से पहले निम्न तैयारियां की जाती हैं-
नैदानिक परीक्षण- सर्जरी शुरू करने से पहले डॉक्टर शारीरिक परीक्षण करेंगे और साथ में आपके कुछ टेस्ट करेंगे, जिनसे पता लगाया जाता है कि यह सर्जरी आपके लिए कितनी सुरक्षित है। यूरोस्टोमी से पहले निम्न टेस्ट किए जाते हैं-
- मूत्र प्रणाली से संबंधी रोगों की जांच करने के लिए यूरिन टेस्ट
- आपके शारीरिक स्वास्थ्य का अंदाजा लगाने के लिए ब्लड टेस्ट
- छाती के अंदरूनी अंगों की जांच करने के लिए छाती का एक्स रे
- हृदय की कार्यक्षमता की जांच करने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)
- मूत्र प्रणाली की जांच करने के लिए यूरोग्राफी
- मूत्राशय की एंडोस्कोपी से जांच करने के लिए सिस्टोस्कोपी
- अंदरूनी रोगों संबंधी अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए एमआरआई और सीटी स्कैन
दवाएं- यदि किसी भी प्रकार की दवाएं, सप्लीमेंट या हर्बल उत्पाद ले रहे हैं या पहले लेते थे, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ प्रकार की दवाएं व उत्पाद ठीक होने की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं, जिनमें रक्त को पतला करने वाली दवाएं आदि शामिल हैं, जैसे एस्परिन, वार्फेरिन और हेपारिन आदि। डॉक्टर आपको सर्जरी से कुछ दिन पहले विटामिन ई सप्लीमेंट्स लेने से भी मना कर सकते हैं। सर्जरी वाले दिन आपको कुछ दवाएं दी जाती हैं, जिन्हें थोड़े पानी के साथ लेना होता है।
खाद्य व पेय पदार्थ- यूरोस्टोमी सर्जरी से पहले कुछ भी खाने या पीने से मना किया जाता है। हालांकि, अगर आप शारीरिक रूप से कमजोर हैं, तो डॉक्टर आपको सर्जरी से पहले खाने के लिए कुछ विशेष आहार दे सकते हैं।
जीवनशैली- यदि आप धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं, तो डॉक्टर सर्जरी से कुछ दिन पहले ही इन्हें छोड़ने को कह सकते हैं। क्योंकि धूम्रपान या शराब का सेवन करने से सर्जरी के बाद स्वस्थ होने की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है।
यदि आपको स्लीप एपनिया है, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें। सोते समय कुछ देर के लिए सांस न ले पाना और उसके कारण नींद से जाग जाने की स्थिति को स्लीप एपनिया कहा जाता है।
यदि आपको किसी दवा, लेटेक्स या अन्य किसी भी चीज से एलर्जी है, तो डॉक्टर को इस बारे में अवश्य बता दें।
यदि आप हृदय से संबंधित कोई उपकरण जैसे पेसमेकर या ऑटोमेटिक इम्पलांटेबल कार्डियोवर्टर-डेफ्रीब्रिलेटर आदि इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें।
ड्राइविंग- सर्जरी वाले दिन अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लेकर जाएं, जो सर्जरी के बाद आपको घर ले जा सके।
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यूरोस्टोमी कैसे की जाती है - How is Urostomy done in Hindi
यूरोस्टोमी सर्जरी के दौरान डॉक्टर निम्नलिखित तरीके से कार्य करते हैं-
- आपको सबसे पहले सामान्य एनेस्थीसिया दी जाती है, जिससे आप सर्जरी के दौरान गहरी नींद में सो जाते हैं।
- इसके बाद सर्जन आपके पेट में एक छोटा सा कट लगाते हैं।
इलियल कंड्यूट के लिए
- इस प्रक्रिया में सर्जन आंत के निचले हिस्से (इलियम) का एक छोटा सा टुकड़ा काट लेते हैं। यह टुकड़ा आमतौर पर छोटी व बड़ी आंत के जोड़ के पास से काटा जाता है। टुकड़ा कटने के बाद इलियम के बचे हुऐ भाग को बड़ी आंत से जोड़ दिया जाता है।
- इसके बाद मूत्रवाहिनियों को मूत्राशय से अलग कर दिया जाता है और फिर उन्हें आंत के उस टुकड़े से जोड़ दिया जाता है, जिसे काटा गया था।
- इलियम के एक टुकड़े को अंदर ही अंदर स्टोमा से जोड़ दिया जाता है और दूसरे भाग को उस थैली से जोड़ दिया जाता है, जिसमें पेशाब को जमा करना है। इस प्रोसीजर में आपको एक विशेष थैली लगा कर रखनी होगी, जिसमें हर समय थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेशाब जमा होता रहेगा।
कॉन्टिनेंट डाइवर्जन
- इस प्रक्रिया में सर्जन आंत के एक टुकड़े को थैली के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिसे मूत्रवाहिनियों से जोड़ दिया जाता है।
- इसके बाद सर्जन एक छोटे छिद्र की मदद से बाहर लगी थैली से इसे जोड़ दिया जाता है। यह छिद्र आमतौर पर नाभि के नीचे बनाया जाता है।
- इस सर्जिकल प्रोसीजर में बनाई थैली में दोनों तरफ वाल्व होते हैं, पहली वाल्व पेशाब को वापस किडनी में जाने से रोकती है और दूसरी पेशाब को स्टोमा से निकलने से रोकती है।
- आपको दिन में कई बार कैथेटर की मदद से पेशाब को निकाल कर थैली को खाली करना होगा।
- सर्जन टांकों की मदद से कट को बंद कर देते हैं और उसके ऊपर बैंडेज लगा देते हैं।
यूरोस्टोमी सर्जरी पूरी होने में कम से कम दो से पांच घंटों का समय लगता है।
आपकी स्थिति के अनुसार सर्जरी के बाद आपको कम से कम तीन से चार दिन तक अस्पताल में भर्ती रखा जाएगा।
प्रोसीजर होने के बाद आपको समय-समय पर थोड़ा बहुत चलने-फिरने के लिए कहा जा सकता है, ताकि आपके शरीर में रक्त के थक्के न बनने पाएं। आपको कुछ समय के लिए इंट्रावीनस लाइन लगाई जाती है। इलियल कंड्यूट सर्जरी के बाद आपको मेडिकल स्टाफ बैग को बदलने के तरीके सिखाते हैं। इसके अलावा कैथेटर का इस्तेमाल कैसे किया जाता है और स्टोमा की देखभाल कैसे की जाती है आदि के बारे में सिखाया जाता है।
(और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी कैसे करें)
यूरोस्टोमी के बाद देखभाल - Urostomy after care in Hindi
यूरोस्टोमी सर्जरी के बाद जब आप घर जाते हैं, तो निम्न देखभाल की जरूरत पड़ती है-
दवाएं
- आपको कुछ विशेष दवाएं दी जाएंगी, जिनकी मदद से सर्जरी के बाद होने वाले दर्द को नियंत्रित किया जाएगा।
- जब तक आप पेनकिलर ले रहे हैं, तब तक गाड़ी आदि न चलाएं और न ही धूम्रपान व शराब का सेवन करें।
- दर्द निवारक दवाओं से आपको कब्ज की शिकायत भी हो सकती है। कब्ज ठीक करने के लिए डॉक्टर आपको कुछ अन्य दवाएं भी दे सकते हैं।
आहार
- सर्जरी के बाद आपको खाने-पीने से संबंधी कोई विशेष परहेज करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, यदि आपके गुर्दे खराब हैं, तो डॉक्टर आपको प्रोटीन व नमक वाले खाद्य पदार्थ एक सीमित सीमा में लेने को कहेंगे।
- सर्जरी के बाद आपके पेशाब के पीएच की जांच की जाएगी, जिससे पता चलता है कि आपकी पेशाब अम्लीय है या सामान्य। जब तक आपके डॉक्टर कहें आपको पेशाब को अम्लीय रखना होता है। पेशाब को अम्लीय रखने के लिए आपको क्रैनबेरी का रस पीने की सलाह दी जाती है और आहार में चीज, अंडे, मछली, मक्का और चिकन आदि शामिल करने की सलाह दी जाती है।
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थैली को खाली रखना
- थैली को पूरी तरह से भरने से पहले ही खाली करना जरूरी होता है, जिससे संक्रमण का खतरा कम किया जा सकता है।
- थैली को खाली करने के लिए टॉयलेट सीट पर जितना हो सके उतना पीछे बैठें।
- टॉयलेट सीट में थोड़ा टॉयलेट पेपर डाल लें, ताकि थैली को खाली करते समय छींटे न पड़ें।
- थैली के निचले हिस्से को पकड़ें और धीरे-धीरे वाल्व को खोल दें।
- वाल्व को टाइट करें और उसके सिरे पर से गीलेपन को टॉयलेट पेपर से पोंछ कर साफ कर दें।
- दिन के दौरान कुछ लोगों को हर दो से चार घंटों में थैली को बदलने की आवश्यकता पड़ती है।
- रात के समय थैली में ड्रेन करने के लिए एक एडजस्टेबल ट्यूब का इस्तेमाल किया जा सकता है।
नहाना
- आप थैली को लगा कर या हटा कर नहा सकते हैं।
- स्टोमा के आसपास की त्वचा में किसी प्रकार के साबुन का इस्तेमाल न करें।
- स्टोमा के आसपास बाथ ऑयल का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए।
- यदि आपने नहाने के दौरान थैली को उतार दिया है, तो थैली को लगाने से पहले त्वचा को अच्छे से सुखा लें।
- स्टोमा के आसपास के बालों को शेव करना
- यदि आपको स्टोमा के आसपास बहुत सारे बाल उग आए हैं, तो ये थैली की चिपकने वाली प्रक्रिया को प्रभावित कर देते हैं। थैली को एक विशेष गोंद से त्वचा से चिपकाया जाता है, जिसके साथ बाल भी चिपक जाते हैं और फिर उसे उतारते समय बाल खिंचते हैं तो दर्द होता है।
- शेविंग करते समय किसी प्रकार की क्रीम, लोशन या साबुन आदि का इस्तेमाल न करें।
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शारीरिक गतिविधियां
सर्जरी के बाद जब तक डॉक्टर अनुमति न दें भारी वजन न उठाएं.
यूरोस्टोमी होने के लगभग तीन महीने बाद तक जॉगिंग न करें और न ही किसी अन्य खेल-कूद में भाग लें
सर्जरी के बाद आप सामान्य तौर पर चल-फिर सकते हैं। हालांकि, सीढ़ियां चढ़ने से पहले एक बार डॉक्टर से बात अवश्य कर लें। ये शारीरिक गतिविधियां आपको स्वस्थ होने में मदद करेंगी।
आप अपनी सामान्य शारीरिक गतिवधियां शुरू कर सकते हैं, इस बारे में डॉक्टर से बात कर लें।
ड्राइविंग
डॉक्टर आपके स्वास्थ्य की जांच करके ही आपको ड्राइविंग शुरू करने की अनुमति देते हैं। आमतौर पर सर्जरी के छह हफ्तों के बाद आपको ड्राइविंग करने की अनुमति दे सकते हैं, जो आमतौर पर आपकी स्थिति पर निर्भर करता है।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या महसूस हो रही है, तो डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए -
- स्टोमा में चोट लगना या किसी प्रकार की क्षति होना
- स्टोमा के रंग, आकार या आकृति में कुछ बदलाव होना
- लंबे समय से उल्टी आना या जी मिचलाना
- पेट या पीठ में दर्द होना (और पढ़ें - कमर दर्द के घरेलू उपाय)
- पेशाब में पस होना या धुंधले रंग का पेशाब आना
- पेशाब करने के समय में बदलाव होना (बार-बार पेशाब आना या थोड़ा-थोड़ा पेशाब आना)
- खांसी के साथ सांस लेने में तकलीफ होना
- सीने में दर्द होना
(और पढ़ें - सीने में दर्द होने पर क्या करें)
यूरोस्टोमी की जटिलाएं - Complications of Urostomy in Hindi
कुछ समस्याएं हैं, जो यूरोस्टोमी सर्जरी करवाने के बाद हो सकती हैं-
- संक्रमण
- रक्तस्राव
- रक्त के थक्के जमना
- रक्त का बहाव कम होना
- पेट में द्रव जमा होना
- स्टोमा के आसपास की त्वचा प्रभावित हो जाना
- स्टोमा के आसपास के अंग प्रभावित हो जाना
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संदर्भ
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- Gillette Children's Speciality Healthcare [Internet]. Minnesota. US; Caring for Your Urostomy (Ileal Conduit)
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- Cancer Research UK [Internet]. London. UK; Continent urinary diversion
- The British Association of Urological Surgeons [Internet]. London. UK; Living with a Urostomy