मां बनने के बाद बच्चे को अपने सीने से लगाते ही मां जो पहला काम करती है वो है बच्चे को अपना दूध पिलाना। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने भी यह सुझाव दिया है कि दुनियाभर के सभी बच्चों को जन्म से लेकर शुरुआती 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग करना और कराना, मां व बच्चे दोनों की सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है। अब आपके मन में भी यह सवाल होगा कि बच्चे को अपना दूध पिलाते वक्त आपकी डाइट कैसी होनी चाहिए? क्या खाना चाहिए और क्या नहीं ताकि बच्चे को किसी तरह का नुकसान ना हो। साथ ही प्रेगनेंसी और डिलिवरी के बाद आपकी भी ताकत वापस पाने में मदद मिले और ब्रेस्टफीडिंग करवाने के लिए आपके शरीर में जरूरी न्यूट्रिएंट्स हों। उदाहरण के लिए- आप ये भी जरूर जानना चाहेंगी कि ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ाने के लिए आपको क्या खाना चाहिए और आप जो खाती हैं उसका असर आपके दूध पर क्या व कैसा होगा।

स्तनपान के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें
ब्रेस्टफीडिंग के बारे में जो सबसे पहली चीज आपके लिए जानना बेहद जरूरी है वो यह कि यह पूरी तरह से एक नैचुरल प्रोसेस है। लिहाजा आप जितनी जल्दी बच्चे को अपना दूध पिलाना शुरू करेंगी, आप उतना ही ज्यादा दूध का उत्पादन कर पाएंगी। हालांकि, यह तभी संभव है जब आपको किसी तरह की सेहत से जुड़ी कोई समस्या ना हो और लैक्टेशन में कोई समस्या ना हो। वैसे तो ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी कोई खास या स्पेशल डाइट नहीं है, बावजूद इसके कई खाद्य पदार्थ हैं, जिनका आपको स्तनपान के दौरान सेवन करना चाहिए और कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जिनके सेवन से बचना चाहिए।

ब्रेस्टफीडिंग से आपकी और बच्चे की सेहत अच्छी रहेगी
अगर आप बच्चे को स्तनपान कराते वक्त अपना खानपान सही रखेंगी, तरल पदार्थों का भी भरपूर मात्रा में सेवन करेंगी तो निश्चित तौर पर आपकी और आपका दूध पीने वाले आपके बच्चे की भी सेहत अच्छी बनी रहेगी। कई बार देखने में आता है कि बहुत की महिलाएं प्रेगनेंसी के तुरंत बाद अपना वजन घटाने की कोशिश में लगी रहती हैं और इस वजह से वह कम खाना खाती हैं। वजन कम करना गलत नहीं है, लेकिन ऐसा करते वक्त अपने शरीर को जरूरी पोषक तत्वों से वंचित रखना गलत है। क्योंकि ऐसा करने से आपकी और आपके बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ेगा। लिहाजा हम आपको बता रहे हैं कि बच्चे को स्तनपान कराते वक्त आपका खानपान कैसा होना चाहिए -

  1. क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ज्यादा कैलोरी चाहिए? - Kya Breast Feeding ke dauran zyada Calories chahiye
  2. स्तनपान के दौरान क्या और कितना पीना चाहिए? - During Breast Feeding what to Drink and how much to Drink
  3. स्तनपान के दौरान क्या खाना चाहिए? - Foods to Eat during Breast Feeding
  4. ब्रेस्टफीडिंग के दौरान क्या-क्या नहीं खाना चाहिए - Foods to avoid during Breast Feeding
  5. ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कौन से विटामिन और मिनरल्स का सेवन करें? - Vitamins and Minerals during Breast Feeding
  6. अगर नवजात को कोलिक हो तो ब्रेस्टफीडिंग मदर की डाइट कैसी हो? - Breast Feeding Diet for Colicky Baby
  7. ब्रेस्टफीडिंग कराते वक्त इन बातों का रखें ध्यान - Takeaway Diet for Breast Feeding Mother
  8. बच्चे को कराती हैं स्तनपान तो कैसा होना चाहिए आपका खानपान, जानें के डॉक्टर

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन सीडीसी के मुताबिक, प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला हर दिन जितनी कैलोरी का सेवन करती है, उसकी तुलना में बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिला को हर दिन 450 से 500 किलोकैलोरी ज्यादा की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान हर दिन 2 हजार कैलोरी का सेवन कर रहीं थीं तो बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराते वक्त आपको हर दिन 2500 कैलोरी का सेवन करना चाहिए।

हालांकि, सीडीसी की मानें तो बच्चे को स्तनपान कराने वाली किसी महिला को कितनी अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत है यह महिला की उम्र, बॉडी मास इंडेक्स, एक्सर्साइज और फिटनेस लेवल पर निर्भर करता है। ऐसे में आपको अपनी कितनी कैलोरी बढ़ानी हैं और क्या खाना है, इस बारे में अपनी ऑब्स्ट्रेटिशन से सलाह लेना बेहतर होगा। बॉडी मास इंडेक्स आपकी हाइट और वजन के बीच के अनुपात को कहते हैं। आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के बीएमआई की रेंज 18.5 से 24.9 के बीच होनी चाहिए।

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अगर आपने भी कभी-कहीं किसी के मुंह से यह बात सुनी है कि स्तनपान कराने से मां और बच्चे दोनों को डिहाइड्रेशन या सेहत से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं तो हम आपको बता दें कि यह बात पूरी तरह से मिथक है। पश्चिमी देशों की महिलाओं में हुई कई स्टडी में यह बात जरूर सामने आयी थी कि ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान कुछ महिलाओं को डिहाइड्रेशन की दिक्कत हुई थी, लेकिन इससे महिला द्वारा ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन पर किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ता। हालांकि, भारतीय और दक्षिण एशिया की महिलाओं में ब्रेस्टफीडिंग और डिहाइड्रेशन के बीच क्या लिंक है यह जानने के लिए स्टडी की जरूरत है।

अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी की मानें तो बच्चे को अपना दूध पिलाने वाली महिलाओं को प्यास ज्यादा लगती है और इस वजह से तरल पदार्थों का सेवन 12 से 16 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। प्यास बढ़ने से मां के शरीर में प्रोलैक्टिन और ऑक्सिटोसिन जैसे हार्मोन्स की तादाद भी बढ़ जाती है। ऐसे में स्तनपान कराने वाली मांओं को सामान्य से ज्यादा प्यास लगना साधारण बात है। लिहाजा ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं को दिनभर में खूब सारा पानी पीना चाहिए और साथ ही बच्चे को दूध पिलाते वक्त गिलास या बॉटल में पानी भी अपने पास ही रखना चाहिए।

बच्चे को दूध पिलाने वाली महिलाओं को हेल्दी डाइट का सेवन करना चाहिए जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स, फल और सब्जियां, प्रोटीन, बीज और सूखे मेवे जैसी चीजें शामिल हों। चूंकि आप अपने बच्चे की देखभाल करने के साथ-साथ प्रेगनेंसी और डिलिवरी के बाद अपने शरीर की जरूरतें पूरी करने में लगी हैं, ऐसे में आपको अपनी डाइट में कुछ सुपरफूड्स को भी शामिल करना चाहिए जो पोषक तत्वों से भरपूर हों और आपकी अनहेल्दी चीजें खाने की भूख व इच्छा को भी शांत करें। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं उन खाद्य पदार्थों के बारे में, जिन्हें आपको ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।

  • साबुत अनाज - ब्राउन राइस, बार्ली, ज्वार, ओट्स, कीन्वा कुछ ऐसे साबुत अनाज हैं जिसमें फाइबर, प्रोटीन, विटमिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होता है। इसके अलावा ज्यादातर साबुत अनाज में फाइबर के अलावा विटमिन बी और आयरन भी होता है जो ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन में मदद करता है। साथ ही इनमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट भी होता है, जिससे आपका पेट देर तक भरा रहता है और जल्दी भूख नहीं लगती।
  • मछली - साल्मन, सार्डिन, ट्रॉट और मैकेरेल ये कुछ ऐसी मछलियां हैं जो प्रोटीन, विटामिन बी12, विटामिन डी और ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर होती हैं। साल्मन और सार्डिन ये दोनों ही मछलियां ब्रेस्ट मिल्क का उत्पादन बढ़ाने में मदद करती हैं और साथ ही प्रेगनेंसी के बाद होने वाली दिक्कत पोस्टपार्टम डिप्रेशन को दूर करने में भी मदद करती हैं।
  • अंडा - प्रोटीन, ल्युटिन, राइबोफ्लैविन, फोलेट, विटमिन बी12 और विटमिन डी से भरपूर अंडा सस्ता भी है और बड़ी आसानी से मिलता भी है। लिहाजा ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको अपनी डाइट में अंडों को जरूर शामिल करना चाहिए, ताकि आपको भरपूर पोषण मिल सके।
  • हरी पत्तेदार सब्जियां - ब्रॉकली, पालक, लेटस और मेथी ये कुछ ऐसी हरी पत्तेदार सब्जियां हैं जिसमें आयरन, कैल्शियम और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में होता है। साथ ही इनमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन के के अलावा फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भी होता है। लिहाजा हरी पत्तेदार सब्जियों का भी सेवन जरूर करें।
  • दालें भी जरूर खाएं - राजमा, काबुली चना और सभी तरह की दालें प्रोटीन, आयरन, फाइबर और फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होती हैं। लिहाजा दालों को भी अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। हालांकि, इन चीजों को खाने के बाद गैस की भी दिक्कत हो सकती है, इसलिए अगर आपको गैस की दिक्कत हो तो इन चीजों को कम ही खाएं।
  • नट्स और सीड्स - सभी तरह के नट्स और सीड्स में प्रोटीन, फाइबर, हेल्दी कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। साथ ही इनमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम भी होता है, जिसकी स्तनपान कराने वाली महिलाओं को काफी जरूरत होती है।
  • दही - वैसे तो बच्चे को स्तनपान कराने के दौरान आपको कुछ डेयरी उत्पादों से दूर रहना चाहिए क्योंकि इससे पेट फूलने और पेट में गैस होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं लेकिन एक डेयरी प्रोडक्ट जिसका सेवन आपको जरूर करना चाहिए वह है दही। दही, प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर होती है। साथ ही इसमें प्रोबायोटिक प्रॉपर्टी भी होती हैं, जिससे ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान आपका पाचन बेहतर रहता है।
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वैसे तो सामान्य रूप से आप बच्चे को अपना दूध पिलाने के दौरान कुछ भी खा पी सकती हैं, लेकिन आपको इस बात का ध्यान जरूर रखना है कि आप जो भी खाएं और जो भी खाद्य पदार्थ आपके शरीर के अंदर जा रहा है वह पूरी तरह से हेल्दी हो और आपके ब्रेस्ट मिल्क को किसी भी तरह से नुकसान न पहुंचाए। लिहाजा हम आपको कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं, जिनका सेवन स्तनपान के दौरान नहीं करना चाहिए

  • कैफीन - जर्नल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, कैफीन मां के शरीर से होते हुए उसके ब्रेस्ट मिल्क तक पहुंच सकता है और जब नवजात शिशु कैफीन वाले उस दूध को पीता है तो शिशु का पेट कैफीन को पचा नहीं पाता, क्योंकि शिशु के पेट में उतना गैस्ट्रिक जूस नहीं बनता जितना वयस्कों के पेट में। लिहाजा बच्चे को दूध पिलाने के दौरान आपको कैफीन के सेवन से बचना चाहिए। कॉफी के अलावा चाय, सोडा, एनर्जी ड्रिंक और चॉकलेट में भी कैफीन होता है। ऐसे में इन चीजों को भी लिमिट में रहकर ही खाना-पीना चाहिए।
  • एल्कोहल - कैफीन की ही तरह एल्कोहल भी बड़ी आसानी से ब्रेस्ट मिल्क तक पहुंच जाता है। लिहाजा बच्चे को अपना दूध पिलाने के दौरान बेहद जरूरी है कि आप एल्कोहल से पूरी तरह से दूर रहें। आप चाहें तो कभी-कभार किसी खास मौके पर बच्चे को दूध पिलाने से 6 या 8 घंटे पहले 1 गिलास वाइन पी सकती हैं। साथ ही साथ बच्चे को जन्म देने के 6 से 8 महीने के बाद तक एल्कोहल का सेवन न करें।
  • सीफूड - एक तरफ जहां मछली ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आसानी से खायी जा सकती है वहीं, कुछ सीफूड ऐसे भी होते हैं जिसमें मर्करी की मात्रा अधिक होती है लिहाजा ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसमें ट्यूना, स्वर्डफिश, मार्लिन, लॉब्स्टर जैसी चीजें शामिल हैं।

अगर आप बैलेंस्ड डाइट और हेल्दी फूड का सेवन करती हैं तो आपको किसी भी तरह के अतिरिक्त डायट्री सप्लीमेंट्स की जरूरत नहीं है। हालांकि, अगर आप वेजिटेरियन या वीगन हैं और किसी भी वजह से अपनी डाइट के जरिए आपको जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं तब आपको स्तनपान के दौरान अपनी डाइट में कुछ विटामिन और मिनरल्स के सप्लीमेंट्स को शामिल करना चाहिए। लेकिन अपने मन से कुछ भी खाने की बजाए डॉक्टर से सलाह लेकर ही सप्लिमेंट्स का सेवन करें।

  • विटामिन बी12 - नवजात शिशु के ब्रेन के विकास के लिए और लाल रक्त कोशिकाओं को हेल्दी बनाने के लिए इस विटामिन की जरूरत होती है। अगर आपके शिशु के शरीर में विटामिन बी12 की कमी हो तो आपको अपनी डाइट में इस सप्लिमेंट को शामिल करना चाहिए। ऐसा न करने पर शिशु के ब्रेन डैमेज का खतरा रहता है।
  • विटामिन डी - विटामिन डी हड्डियों के विकास के लिए बेहद जरूरी है और रिकेट्स की बीमारी होने से भी बचाता है। लिहाजा अगर बच्चे के शरीर में विटमिन डी की कमी हो जाए तो उनकी हड्डियां कमजोर या विकृत हो जाती हैं।
  • कैल्शियम - कैल्शियम भी बेहद जरूरी न्यूट्रिएंट है और शरीर की हड्डियों के साथ-साथ दांत के विकास के लिए भी इसकी जरूरत होती है। अगर शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाए तो जीवनभर बच्चे को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
  • आयोडीन - शरीर में मौजूद 2 तरह के थायराइड हार्मोन- थाइरॉक्सिन और ट्राइओडोथाइरोनाइन को नियंत्रित करने के लिए आयोडीन की जरूरत होती है। अगर शरीर में आयोडीन की कमी हो जाए तो शिशु का संपूर्ण विकास और साथ में तंत्रिका तंत्र संबंधी विकास बाधित हो सकता है।
  • सेलेनियम - नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता और थाइरायड हार्मोन से जुड़े मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने के लिए निश्चित मात्रा में सेलेनियम की जरूरत होती है। अगर नवजात शिशु के शरीर में सेलेनियम की कमी हो जाए तो बच्चे के विकास पर इसका बुरा असर पड़ता है।

अगर आपके बच्चे को कोलिक है यानी पेट में दर्द की समस्या है तो वह थोड़ी-थोड़ी देर में रोता रहेगा और उसे चुप कराना मुश्किल हो सकता है। कोलिक की समस्या आमतौर पर बच्चे के जन्म के 3 से 6 हफ्ते के बाद शुरू होती है और एक बार बच्चा 12 सप्ताह का हो जाए तो फिर यह समस्या अपने आप ही ठीक हो जाती है। अगर आपका बच्चा हर दिन 3 घंटा या इससे ज्यादा रोता है, 3 हफ्ते तक हफ्ते में 3 दिन या इससे ज्यादा रोता है तो आप समझ सकते हैं कि आपके बच्चे को उदरशूल यानी कोलिक की समस्या है।

नवजात शिशु में पेट दर्द का कारण क्या है यह कई बार पता भी नहीं चल पाता है। हालांकि, बहुत से लोग यह मानते हैं कि कई बार बच्चे को अपना दूध पिलाने वाली मांएं कुछ ऐसी चीजें खा लेती हैं, जिसे बच्चे आसानी से पचा नहीं पाते और उनके पेट में दर्द होने लगता है। ऐसा होने से बच्चे के पाचन तंत्र में समस्याएं होने लगती हैं और वह बुरी तरह से रोने लगता है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में, जिन्हें आपको अपनी डाइट से तब तक बाहर रखना चाहिए जब तक बच्चे को कॉलिक की समस्या हो।

आपको बता दें कि वैसे तो ये खाद्य पदार्थ स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं। लेकिन अगर बच्चे को पेट में दर्द और कोलिक की दिक्कत है तो इन चीजों को न खाएं। अगर आपको लगे कि इन चीजों को खाना बंद कर देने से बच्चे के कोलिक में सुधार हो रहा है तो आप अपने डॉक्टर से बात करके कुछ विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स के बारे में पूछ सकती हैं। साथ ही साथ अगर बच्चे को कोलिक की दिक्कत हो तो उसे ग्राइप वाटर भी न दें।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Energy & Power Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को शारीरिक व यौन कमजोरी और थकान जैसी समस्या के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

नई मांओं के लिए बेहद जरूरी है कि वह अपनी डाइट का पूरा ध्यान रखें क्योंकि डाइट से मिलने वाला पोषण मां के दूध के जरिए ही बच्चे के शरीर तक पहुंचता है। लिहाजा वैसी महिलाएं जो 6 महीने तक बच्चे को सिर्फ अपना दूध ही पिला रही हों उन्हें तो अपनी डाइट का और ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है। लिहाजा इन जरूरी बातों का ध्यान रखें-

  • अपनी डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर हेल्दी खाद्य पदार्थों को शामिल करें
  • जब तक डॉक्टर आपसे न कहे आपको अतिरिक्त कैलोरी का सेवन करने की जरूरत नहीं
  • खूब सारा पानी पिएं, लेकिन कॉफी, सोडा और एनर्जी ड्रिंक से बचें
  • कैफीन, एल्कोहल और मर्करी से भरपूर सीफूड से दूर ही रहें
  • बच्चे के शरीर में किसी भी तरह के पोषक तत्वों की कमी ना हो इसके लिए अगर जरूरत पड़े तो कुछ डायट्री सप्लीमेंट्स का भी सेवन करें
  • हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह मशविरा करें कि आपको किन सप्लीमेंट्स का सेवन करना और किन खाद्य पदार्थों से पूरी तरह से दूर रहना है

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