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हर गर्भवती महिला अपनी डिलीवरी डेट को लेकर उत्सुक रहती है. ऐसे में जैसे-जैसे प्रेगनेंसी के नौ महीने पूरे होने वाले होते हैं महिला के मन में प्रसव की तारीख जानने की इच्छा पैदा होने लगती है.

प्रसव के सही दिन का पता लगाने में गर्भवती की पिछली मासिक धर्म की तिथि मदद कर सकती है, क्योंकि महिला की गर्भावस्था उसके अंतिम मासिक धर्म के पहले दिन से लेकर अगले 280 दिन यानी 40 सप्ताह तक चलती है. डिलीवरी डेट को जानने के लिए नैजेल का नियम और प्रेगनेंसी व्हील तरीके की मदद ली जाती है.

इस लेख में जानिए कि डिलीवरी डेट कैसे पता करें -

(और पढ़ें - डिलीवरी डेट निकल जाने पर क्या करें?)

  1. डिलीवरी डेट की गणना कैसे करें?
  2. अगर अंतिम मासिक धर्म की सही तारीख नहीं पता?
  3. डॉक्टर डिलीवरी की ड्यू डेट क्यों बदलते हैं?
  4. सारांश
डिलीवरी डेट कैसे पता करें? के डॉक्टर

जिन महिलाओं को नियमित रूप से 28 दिन में पीरियड्स आते हैं, वो अपने प्रसव के दिन की गणना करने के लिए दो तरीकों को अपना सकती हैं. इसमें पहला नैजेल नियम है और दूसरा है प्रेगनेंसी व्हील नियम. इन दोनों तरीकों के बारे में हमने लेख में विस्तार से बताया है -

नैजेल का नियम

नैजेल नियम के बारे में सबसे पहले जर्मन के डिलीवरी विशेषज्ञ फ्रांस कार्ल नैजेल ने लोगों को बताया. बस तभी से इस नियम को उनके नाम से ही जाना जाने लगा. इस नियम में अंतिम मासिक धर्म के पहले दिन में सात दिन जोड़े जाते हैं और फिर इससे मिलने वाले परिणाम यानी अंक से 3 महीने घटाए जाते हैं. आइए, इस नियम को अच्छी तरह से समझें-

अगर किसी का अंतिम मासिक धर्म 1 अक्टूबर 2020 था, तो नैजेल नियम के तहत इसकी जुड़ी कुछ इस तरह से होगी-

  • सबसे पहले 1 तारीख को एक अंक की तरह लिया जाएगा. 
  • फिर 1 अंक में 7 दिन जोड़ने पर 8 परिणाम मिलेगा. इसे 8 अक्टूबर 2020 समझना होगा.
  • अब इसमें से तीन महीने घटाने पर 8 जुलाई 2020 आता है. 
  • इस आधार पर प्रसव के दिन का अनुमान लगाने के लिए 8 जुलाई 2020 में एक साल और जोड़ना होगा. अब एक साल बढ़कर तारीख हो जाएगी 8 जुलाई 2021. इसी को नैजेल नियम के तरह प्रसव की तारीख माना जाता है.

(और पढ़ें - वाटर बर्थ डिलीवरी)

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प्रेगनेंसी व्हील

प्रसव की तारीख का पता लगाने का दूसरा तरीका प्रेगनेंसी व्हील है. इस तरीके को कई सारे डॉक्टर भी अपनाते हैं. अगर गर्भवती को अपने आखिरी मासिक धर्म की डेट के बारे में पता है, तो उनके लिए प्रसव की तारीख का अनुमान लगाना ज्यादा आसान हो जाता है.

  • इसके लिए सबसे पहले व्हील को खरीदना होगा, जिसे प्रेगनेंसी कैल्यूलेटर भी कहा जाता है. अब इस व्हील में अंतिम मासिक धर्म की तारीख को सेट करना होगा.
  • दरअसल, इस व्हील में दो एरो यानी तीर जैसे निशान होते हैं. एक तीर वाले निशान में डेट को सेट करना होता है.
  • जब डेट सेट कर देते हैं, तो व्हील का दूसरा निशान गर्भवती की ड्यू डेट को प्रदर्शित कर देता है. 
  • यहां हम स्पष्ट कर दें कि प्रेगनेंसी व्हील में दिखाई गई तारीख वाले दिन ही शिशु का जन्म हो ऐसा जरूरी नहीं है. यह एक अनुमानित तारीख होती है. शिशु का जन्म उससे पहले या बाद वाली तारीख को भी हो सकता है.

(और पढ़ें - प्रसव और डिलीवरी की जटिलता)

अगर किसी गर्भवती को अपनी पिछली मासिक धर्म की सही तारीख पता नही है, तो वे ज्यादा परेशान न हों. अधिकतर महिलाओं को आखिरी मासिक धर्म की सटीक तारीख का पता नहीं होता है. ऐसे में डिलीवरी की ड्यू डेट जानने में डॉक्टर मदद कर सकते हैं.

इसके लिए डॉक्टर पीरियड्स आने वाले हफ्ते के बारे में पूछ सकते हैं और उसी के अनुसार सही तारीख का अनुमान लगा लेते हैं. कुछ डॉक्टर डिलीवरी की सही डेट जानने के लिए अल्ट्रासाउंड करने का भी सुझाव दे सकते हैं. बस तो इनकी मदद से गर्भधारण से पहले हुए मासिक धर्म की तारीख जानकर डिलीवरी डेट का पता लगाया जा सकता है.

(और पढ़ें - नॉर्मल डिलीवरी के बाद क्या करें)

किसी गर्भवती के प्रसव की तारीख में डॉक्टर कई कारणों के चलते बदलाव कर सकते हैं. सबसे पहला और अहम कारण तो गर्भस्थ शिशु का आवश्यकता से अधिक छोटा या बड़ा होना माना जाता है. यदि भ्रूण छोटा है, तो डिलीवरी डेट को आगे किया जा सकता है और अगर भ्रूण बड़ा है, तो प्रसव की तारीख को पहले करने की सलाह भी डॉक्टर दे सकते हैं.

दरअसल, डॉक्टर अल्ट्रासाउंड की मदद से गर्भस्थ शिशु यानी भ्रूण के विकास को देखते हैं, उसके बाद ही ड्यू डेट को बदलने और न बदलने की सलाह देते हैं. इसके अलावा, अगर गर्भनिरोधक गोलियां लेने के बाद भी महिला को गर्भधारण हुआ है या महिला का मासिक धर्म गर्भधारण करने से पहले अनियमित रहता था, तो भी डॉक्टर जरूरी जांच करने के बाद प्रसव की तारीख में परिवर्तन करने की सलाह दे सकते हैं.

(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद रक्तस्राव)

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डिलीवरी ड्यू डेट का पता लगाना बहुत ही आसान है, इसके लिए नैजेल नियम और प्रेगनेंसी व्हील सहायक साबित हो सकते हैं. हालांकि, इसमें बताए गए दिन ही डिलीवरी होगी, ऐसा स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है. लिहाजा, गर्भवती के 9वें महीने में पहुंचने के बाद हमेशा प्रसव के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि डिलीवरी डेट कभी भी आ सकती है.

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