न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक नए क्लिनिकल परीक्षण के परिणाम बताते हैं कि डेक्सामेथासोन- एक ग्लूकोकोर्टिकोयड, जिसका उपयोग कई स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है, जिसमें रूमैटिक यानी वात संबंधी समस्याएं और गंभीर कोविड-19 भी शामिल है- अगर गर्भवती महिलाओं को दिया जाए तो समय से पहले जन्म लेने वाले (प्रीमैच्योर) नवजात शिशुओं को जीवित रखने की संभावनाओं को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। विशेषकर कम-संसाधन वाली परिस्थितियों में।

कम संसाधन वाली स्थितियों में भी प्रभावी है डेक्सामेथासोन
WHO ACTION-I ट्रायल मौजूदा समय में जारी एक विवाद को हल करता है जो प्रसवपूर्व स्टेरॉयड्स दिए जाने की क्षमता और प्रभाव के बारे में है ताकि कम आय वाले देशों में समय से पहले जन्मे नवजात शिशु के जीवित रहने की संभावनाओं में सुधार किया जा सके। डेक्सामेथासोन और इस तरह की कई और दवाइयां लंबे समय से उच्च आय वाले देशों में रहने वाले प्रीमैच्योर बच्चों को बचाने में असरदार रही हैं, जहां पर नवजात शिशु को मिलने वाली उच्च गुणवत्ता देखभाल की सुविधाएं अधिक सुलभ हैं। यह पहली बार है जब किसी क्लिनिकल ट्रायल ने यह साबित किया है कि यह दवाइयां कम आय वाले देशों और कम संसाधन वाली स्थितियों में भी प्रभावी है।

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इसका प्रभाव महत्वपूर्ण है: डेक्सामेथासोन के साथ इलाज करवाने वाली हर 25 गर्भवती महिलाओं में, समय से पहले जन्म लेने वाले एक बच्चे की जान बचाई गई थी। जब इसे उन गर्भवती महिलाओं को दिया गया जिनमें प्रीटर्म बर्थ (समय से पहले बच्चे के जन्म) का खतरा अधिक था, तब डेक्सामेथासोन, प्लेसेंटा को पार कर जाता है और फेफड़ों के विकास को तेज करता है, जिससे प्रीटर्म शिशुओं को जन्म के समय श्वसन संबंधी समस्याएं होने की आशंका कम हो जाती है।

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समय से पहले पैदान होने वाले बच्चों को बचाने में प्रभावी है यह दवा
WHO और एचआरपी में मातृ और प्रसवकालीन स्वास्थ्य इकाई के प्रमुख और इस स्टडी के समन्वयकों में से एक डॉ ओलुफेमी ओलाडापो ने कहा, "डेक्सामेथासोन अब एक प्रमाणित दवा बन गई है, कम आय वाली स्थितियों में समय से बहुत पहले पैदा होने वाले बच्चों को बचाने के लिए। लेकिन यह केवल तभी प्रभावी है जब इसे स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं द्वारा तब दिया जाए जो समय पर और सटीक निर्णय ले सकते हैं, और गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों दोनों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले देखभाल का न्यूनतम पैकेज प्रदान कर सकते हैं।"

हर साल 10 लाख प्रीमैच्योर बच्चों की मौत हो जाती है
वैश्विक रूप से, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का प्रमुख कारण है अपरिपक्वता यानी समय से पहले जन्म। एक अनुमान के मुताबिक हर साल, 1.5 करोड़ (15 मिलियन) बच्चे जल्दी पैदा हो जाते हैं और इसमें से करीब 10 लाख बच्चे ऐसे हैं जो समय से पहले पैदा होने के कारण उत्पन्न होने वाली जटिलताओं के कारण मर जाते हैं। कम आय वाली सेटिंग्स में, गर्भावस्था के 32 सप्ताह या इससे कम में जन्म लेने वाले आधे बच्चे योग्य, और लागत प्रभावी देखभाल की कमी के कारण मर जाते हैं।

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इंजेक्शन को 48 घंटे पहले दिया जाना जरूरी
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के पास दवा से लाभान्वित होने और सही समय पर सही ढंग से उपचार शुरू करने की सबसे अधिक संभावना वाली महिलाओं का चयन करने का साधन होना चाहिए। स्टेरॉयड इंजेक्शन का अधिक से अधिक असर हो सके इसके लिए आदर्श रूप से इसे बच्चे के जन्म से 48 घंटे पहले दिया जाना चाहिए। जो महिलाएं अपनी गर्भावस्था के 26वें सप्ताह से 34वें सप्ताह में होती हैं, उन्हें स्टेरॉयड से लाभ होने की सबसे अधिक संभावना होती है, इसलिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के पास प्रेगनेंसी की सही तिथि का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था होनी चाहिए।

ट्रायल में 2852 महिलाओं और 3070 बच्चों को किया गया शामिल 
दिसंबर 2017 से नवंबर 2019 के बीच हुए इस रैंडमाइज्ड ट्रायल में 2 हजार 852 महिलाओं और उनके 3 हजार 70 बच्चों को शामिल किया गया जो बांग्लादेश, भारत, केन्या, नाइजीरिया और पाकिस्तान के 29 माध्यमिक और तृतीयक स्तर के अस्पतालों में भर्ती थे। नवजात शिशु की मृत्यु और स्टिलबर्थ (गर्भ में बच्चे का मरना) के खतरे को कम करने के साथ ही इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि कम संसाधन सेटिंग्स में डेक्सामेथासोन के साथ गर्भवती महिलाओं का इलाज करते समय संभावित मातृ जीवाणु संक्रमण की घटनाओं में भी कोई वृद्धि नहीं हुई।

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