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नॉर्मल डिलीवरी के समय होने वाले दर्द को सिर्फ गर्भवती महिला ही महसूस कर सकती है. अक्सर ये दर्द इतना तेज होता है कि इसे बर्दाश्त करना तक मुश्किल हो जाता है. गर्भवती को कई बार परिवार की महिलाओं से, जिन्होंने लेबर पेन का अनुभव किया हो, उनसे भी लेबर पेन को लेकर कई तरह की बातें सुनने को मिलती है. ऐसे में इस दर्द से बचने के लिए कुछ महिलाएं सी-सेक्शन का विकल्प चुनती हैं, जो सही नहीं है. वहीं, कुछ ऐसे छोटी-छोटी बाते हैं, जिनका पालन करने से नॉर्मल डिलीवरी के समय होने वाले दर्द को कुछ कम किया जा सकता है.

आज इस लेख में हम बताएंगे कि नॉर्मल डिलीवरी के समय दर्द क्यों होता है और इसे कैसे कम किया जा सकता है -

(और पढ़ें - नॉर्मल डिलीवरी कितने दिन में होती है)

  1. नॉर्मल डिलीवरी के समय दर्द क्यों होता है?
  2. नॉर्मल डिलीवरी में होने वाले दर्द को कैसे कम करें?
  3. सारांश
नॉर्मल डिलीवरी में दर्द का कारण व उपाय के डॉक्टर

प्रसव के दौरान गर्भाशय की मांसपेशियों में संकुचन और गर्भाशय ग्रीवा पर दबाव पड़ने के कारण दर्द होता है. इस दर्द को महिलाएं पेट, कमर और पीठ में तेज ऐंठन के साथ-साथ महसूस कर सकती हैं. कुछ महिलाओं को अपने साइड व जांघों में भी दर्द का अनुभव हो सकता है. 

लेबर पेन का एक अन्य कारण मूत्राशय और आंतों पर बच्चे के सिर का दबाव व योनि में होने वाला खिंचाव भी है. बता दें कि प्रसव के दौरान दर्द हर महिला के लिए अलग होता है. यह दर्द प्रत्येक महिला की अवस्था और उसकी प्रेगनेंसी की स्थिति पर निर्भर करता है.

(और पढ़ें - नॉर्मल डिलीवरी के बाद क्या करें)

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अगर गर्भवती महिला की गर्भावस्था सामान्य है और नॉर्मल डिलीवरी होने की पूरी संभावना है, तो बेहतर है कि महिला लेबर पेन के लिए खुद को पहले से ही तैयार कर ले. इसके लिए नीचे बताए गए टिप्स को फॉलो किया जा सकता है -

नॉर्मल डिलीवरी से पहले

प्रेगनेंसी के शुरुआत से ही महिला निम्न बातों पर ध्यान देकर लेबर पेन को कुछ कम कर सकती है -

नियमित व्यायाम : गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की सलाह पर एक्सरसाइज करने से न सिर्फ मूड बेहतर होता है, बल्कि ब्लड प्रेशर व वजन भी संतुलित रहता है. इसके अलावा, महिला का शरीर लेबर पेन के लिए भी तैयार हो सकता है. ध्यान रहे कि महिला को कौन सा व्यायाम करना है, इसके लिए वे डॉक्टर से सलाह जरूर लें. एक बार जब डॉक्टर अनुमति दें, तो विशेषज्ञ की देखरेख में ही व्यायाम करें.

(और पढ़ें - कैसे जानें कि डिलीवरी नॉर्मल होगी या सी-सेक्शन)

जानकारी जुटाएं : आजकल कई महिलाएं अपने आप को प्रसव के लिए तैयार करने के लिए क्लास भी लेती हैं. इन क्लासेज में गर्भवती को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रसव के लिए, शिशु की देखभाल के लिए और गर्भावस्था से लेकर पेरेंट्स बनने तक के अनुभव के बारे में जानकारी दी जाती है. ऐसे में इस तरह के क्लासेज से महिला को अपने आप को तैयार करने में मदद मिल सकती है. 

(और पढ़ें - नार्मल और सिजेरियन डिलीवरी के फायदे)

पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थ : गर्भवती को सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए. गर्भवती को एनर्जी के लिए और लेबर के लिए शरीर को तैयार करने के लिए सभी पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थ व डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयां लेते रहना चाहिए.

(और पढ़ें - डिलीवरी डेट निकल जाने पर क्या करें?)

नॉर्मल डिलीवरी के समय

डिलीवरी के दौरान दर्द को कम करने के लिए महिला इनमें से कोई भी विकल्प चुन सकती है -

ब्रीदिंग तकनीक : डिलीवरी के समय सांस लेने के तरीके में बदलाव करें, जैसे-जैसे डॉक्टर सांस लेने के लिए कहे आप उसी पैटर्न को फॉलो करते हुए सांस लें. साथ ही अपना पूरा ध्यान अपनी सांसों पर रखें.

(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद पेट में दर्द का उपाय)

पानी : आजकल वॉटर बर्थ का चलन भी काफी है. अगर महिला वॉटर बर्थ का विकल्प न भी चुनें, तो भी थोड़ी देर के लिए महिला पानी में रह सकती है. ऐसा माना गया है कि पानी में रहने से कुछ हद तक लेबर पेन से राहत मिल सकती है.

(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद रक्तस्राव का इलाज)

मसाज : डिलीवरी के समय मसाज लेने से भी दर्द कुछ कम हो सकता है. इसके लिए पैर, हाथ, पीठ और कंधे की मालिश करवाई जा सकती है. 2010 के एक रिसर्च में पाया गया कि डिलीवरी के समय हर घंटे 15 मिनट की मालिश करने से दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है और डिलीवरी जल्दी भी हो सकती है.

(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद के पहले 40 दिन)

म्यूजिक : लेबर पेन के दौरान हल्का या अपनी पसंद का म्यूजिक सुनने से भी काफी हद तक ध्यान भटक सकता है. ऐसा करने से दर्द से राहत मिल सकती है.

(और पढ़ें - डिलीवरी डेट कैसे पता करें?)

एपिड्यूरल : लेबर पेन के दौरान महिला एपिड्यूरल का विकल्प भी चुन सकती है. यह एक तरह की दर्द निवारक दवा होती है, जिस डॉक्टर या विशेषज्ञ की देखरेख में दिया जाता है.

(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद पीरियड कब शुरू होते हैं)

नॉर्मल डिलिवरी भले ही कष्टदायी हो, लेकिन यह गर्भवती व शिशु दोनों के लिए ही उपयोगी हो सकती है. इसलिए, गर्भावस्था शुरू होते ही महिला को डॉक्टर की सलाह पर नॉर्मल डिलीवरी के तैयार शुरू कर देनी चाहिए. इससे न सिर्फ डिलीवरी आसानी से होगी, बल्कि महिला को कम लेबर पेन का सामना करना पड़ सकता है.

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