थायराइड हमारे कंठ में मौजूद तितली के आकार का ग्लैंड है जो ऐडम्स ऐपल (टेंटुआ) के ठीक नीचे स्थित होता है। थायरायड ग्लैंड 2 तरह के हार्मोन का उत्पादन करता है- टी3 (थायरॉक्सिन) और टी4 (ट्रियोडोथाइरोनिन) जिसे थायरायड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) मेनटेन करता है। थायरायड हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, क्योंकि थायरायड हार्मोन हमारे शरीरे के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करता है- शरीर में गर्मी पैदा करने से लेकर मेटाबॉलिज्म के सुचारू कामकाज तक।  

शरीर में थायराइड की गड़बड़ी 2 वजहों से हो सकती है- हाइपोथायरायडिज्म (शरीर में थायरायड की कमी) और हाइपरथायरायडिज्म (शरीर में थायराइड की अधिकता)। हाइपोथायरायडिज्म की समस्या होने पर शरीर में थायरॉक्सिन हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है जो मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है, जिससे वजन बढ़ता है और ठंड के प्रति असहनशीलता महसूस होने लगती है। हाइपरथायरायडिज्म में शरीर में थायरॉक्सिन हार्मोन का अत्यधिक उत्पादन होने लगता है जो मेटाबॉलिज्म को उत्तेजित करता है जिससे वजन तेजी से कम होने लगता है और गर्मी के प्रति असहशीलता महसूस होने लगती है।

(और पढ़ें - थायराइड कम करने के घरेलू उपाय)

थायरायड की गड़बड़ी की समस्या तब भी हो सकती है जब शरीर का इम्यून सिस्टम थायरायड ग्लैंड पर हमला करने लगता है जिससे हाशिमोतो थायरायडिटिस या ग्रेव्स डिजीज की बीमारी हो सकती है। हाइपोथायरायडिज्म की समस्या आमतौर पर महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। दुनिया की हर 10 में से 1 महिला को हाइपोथायरायडिज्म होता है। यह बीमारी हो तो दवाइयों के अलावा डाइट या आहार को मैनेज करना भी जरूरी होता है। इस आर्टिकल में हम आपको खाने पीने की उन दोनों तरह की चीजों के बारे में बता रहे हैं जिसे हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित व्यक्ति को खाना चाहिए और नहीं खाना चाहिए।

  1. हाइपोथायरायडिज्म में क्या खाएं? - What to eat in Hypothyroidism in Hindi
  2. हाइपोथायरायडिज्म में क्या नहीं खाएं और परहेज - What not to eat in Hypothyroidism in Hindi
हाइपोथायरायडिज्म में क्या खाएं और क्या ना खाएं के डॉक्टर

अगर किसी व्यक्ति को हाइपोथायरायडिज्म की समस्या डायग्नोज हो जाए तो उन्हें निम्नलिखित खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए:

आयोडीन युक्त नमक - Iodine salt good for Hypothyroidism in Hindi?

आयोडीन एक महत्वपूर्ण खनिज है जो शरीर में थायरायड हार्मोन के उत्पादन के लिए जरूरी है। अगर शरीर में आयोडीन की कमी हो जाए तो शरीर में थायरायड हार्मोन का उत्पादन भी कम हो जाता है, जिससे हाइपोथायरायडिज्म की समस्या होती है। आयोडीन की कमी के कारण कई बार थायरॉयड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है जिसे चिकित्सीय भाषा में गॉयटर या घेंघा कहते हैं। गर्भवती महिला में अगर आयोडीन की कमी हो जाए तो इससे उसके बच्चे की बौद्धिक क्षमता कम हो सकती है।

हमारा शरीर आयोडीन का निर्माण नहीं करना इसलिए इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करना जरूरी है। आयोडीन को शामिल करने का सबसे आसान तरीका भोजन में आयोडीन युक्त नमक खाना है। इसके अलावा क्रैनबेरी, मछली और अंडे में भी आयोडीन पाया जाता है।

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सीफूड - Seafood for Hypothyroidism in Hindi

थायरायड ग्रंथि के काम में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है सेलेनियम की। सेलेनियम थायरायड हार्मोन को मेटाबोलाइज करने में मदद करता है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर के विभिन्न हिस्सों में काम करने के लिए हार्मोन की मदद करता है। जिंक भी ऐसा ही एक खनिज है जो थायरायड ग्रंथि के कामकाज के लिए जरूरी है। सेलेनियम की तरह, जिंक भी थायरायड ग्रंथि द्वारा जारी हार्मोन को मेटाबोलाइज करने में और थायरायड-उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) को कंट्रोल करने में मदद करता है।

(और पढ़ें - सेलेनियम की कमी के लक्षण, कारण)

शेलफिश, लॉबस्टर, श्रिम्प और मछलियां जिंक और सेलेनियम का अच्छा सोर्स हैं। वयस्क महिलाओं और पुरुषों को रोजाना 55 माइक्रोग्राम सेलेनियम की जरूरत होती है और 10-11 मिलिग्राम जिंक की। लिहाजा सीफूड को डाइट में शामिल करने से आपकी सेलेनियम और जिंक की जरूरत पूरी हो सकती है।

हाइपोथायरायडिज्म के लिए कौन सा तेल खाना चाहिए? - Best oil for Hypothyroidism in Hindi

डॉक्टरों का सुझाव है कि जैतून का तेल और नारियल का तेल हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों के लिए सबसे बेस्ट है।

  • नारियल का तेल ब्लड शुगर और स्ट्रेस हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद करता है क्योंकि ये दोनों ही चीजें थायरायड ग्रंथि के कार्यों को दबाने का काम करती हैं।
  • जैतून का तेल इन्फ्लेमेशन को कम करता है जो ऑटोइम्यून थायरायड गड़बड़ी की समस्या जैसे- हाशिमोटोज थायरायडिटिस में देखने को मिलता है। जैतून का तेल शरीर में थायरायड के लेवल को मेनटेन रखने में भी मदद करता है।

हालांकि इन तेलों का बहुत अधिक इस्तेमाल करने की बजाए न्यूट्रिशनिस्ट से इनकी सही मात्रा के बारे में जरूर जान लें।

(और पढ़ें - थायराइड की समस्या में प्रेगनेंसी)

हाइपोथायरायडिज्म के लिए कौन से मसाले खाएं? - Best spices for Hypothyroidism in Hindi

हल्दी, मुलेठी, तेजपत्ता और रोजमेरी जैसे मसाले उन लोगों के लिए फायदेमंद माने जाते हैं जिन्हें ऑटोइम्यून थायरायड की बीमारी हाशिमोटोज थायरायडिटिस और ग्रेव्ज डिजीज हो गया हो। 

  • हल्दी में मौजूद कर्क्युमिन में एंटी-इन्फ्लेमेटरी तत्व होते हैं और इसमें मौजूद पॉलिफेनॉल्स में एंटीऑक्सिडेंट तत्व पाए जाते हैं। ये चीजें शरीर में इन्फ्लेमेशन कम करने में मदद करती हैं।  
  • फ्री रैडिकल्स के कारण शरीर में होने वाले ऑक्सिडेटिव डैमेज से थायरायड ग्रंथि को बचाने में मदद करती है मुलेठी। साथ ही यह स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल के लेवल को भी कम करती है जो हाइपोथायरायडिज्म के मरीज में बड़ी तादाद में पाया जाता है।
  • रोजमेरी में भी एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज अधिक होती हैं। ऑटोइम्यून थायरायड बीमारियों के कारण होने वाले इन्फ्लेमेशन को यह कम करती है। साथ ही यह थायरायड के कार्य करने की क्षमता को भी बेहतर बनाती है।

हाइपोथायरायडिज्म में कौन सी सब्जियां खानी चाहिए? - Best vegetables for Hypothyroidism in Hindi

  • अदरक-लहसुन - शरीर में हाइपोथायराडिज्म की समस्या हो तो व्यक्ति को अदरक लहसुन का सेवन करना चाहिए क्योंकि यह थायरायड ग्रंथि को स्थिर और मजबूत बनाता है और हाशिमोटोज डिजीज और ग्रेव्ज डिजीज जैसी स्थितियों से बचाने में मदद करता है।
  • टमाटर - टमाटर लाइकोपीन एंटीऑक्सिडेंट का अच्छा सोर्स है जो थायरायड ग्रंथि को होने वाले ऑक्सिडेटिव डैमेज को कम करता है। साथ ही टमाटर में सेलेनियम भी होता है जो थायरायड ग्रंथि के बेहतर काम करने में मदद करता है।
  • फाइबर वाली सब्जियां - थायरायड हार्मोन कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बनाए रखने में मदद करता है जिसे हाइपोथायरायडिज्म के मामले में मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में मशरूम, गाजर और आलू जैसी रेशेदार सब्जियां खाने से कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद मिलती है।
  • शिमला मिर्च - शिमला मिर्च एंटीऑक्सिडेंट्स और 6 अलग-अलग तरह के कैरोटेनॉयड्स (अल्फा-कैरोटीन, बीटा-कैरोटीन, लाइकोपीन, ल्यूटीन, क्रिप्टोजैनथिन और जेक्सान्सथिन) से भरपूर होता है जो थायरायड ग्रंथि को मेनटेन रखने में मदद करता है। लाल, हरी, पीली हर तरह की शिमला मिर्च फायदेमंद होती है।
  • कद्दू - एंटीऑक्सिडेंट्स, फाइबर, विटामिन सी, मैग्नीशियम, पोटैशियम और जिंक से भरपूर कद्दू में एल ट्रिप्टोफैन भी होता है जिसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी इफेक्ट होता है। यह सब्जी थायरायड की सेहत को बनाए रखने में भी मदद करती है। (और पढें - कद्दू के बीज के फायदे नुकसान)

हाइपोथायरायडिज्म में कौन से फल खाएं? - Best fruits for hypothyroidism in Hindi

हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अनानास, सेब, कीवी और पपीता आदि फलों को अपनी डाइट में जगह देनी चाहिए।

  • अनानास थायरायड ग्रंथि के कार्यों को सक्रिय बनाता है और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को भी कम करता है।
  • सेब में पेक्टिन नाम का फाइबर होता है जो शरीर में मौजूद भारी धातुओं खासकर मर्क्युरी जो थायरायड बीमारी से जुड़ी है को शरीर से बाहर करने में मदद करता है।
  • कीवी विटामिन सी से भरपूर होती है जो थायरायड हार्मोन (टी3 और टी4) और थायरायड उत्तेजित हार्मोन की अनियमितता को दूर करता है।
  • पपीता में एंटीऑक्सिडेंट्स और कैरोटेनॉयड्स पाए जाते हैं जो ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं।

हाइपोथायरायडिज्म में कौन से सूखे मेवे और बीज खाएं? - Best nuts and seeds Hypothyroidism in Hindi

  • बादाम और काजू आयरन का अच्छा सोर्स है और इसलिए यह थायरायड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) को संतुलित करने के लिए जरूरी है।
  • अखरोट में सेलेनियम की अच्छी मात्रा पायी जाती है जो थायरायड हार्मोन के बेहतर काम करने में मदद करता है। हालांकि थायरायड की दवा खाने से पहले अखरोट का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह थायरायड हार्मोन के अवरोषण में रूकावट पैदा कर सकता है।
  • अलसी के बीज, भांग के बीज और चिया के बीज में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड पाया जाता है जो ओमेगा-3 फैट है जो थायरायड के कार्यों को बढ़ावा देता है शरीर में हार्मोन्स के संतुलन को मेनटेन रखने में मदद करता है।

हाइपोथायरायडिज्म में क्या पिएं? - Best drink for Hypothyroidism in Hindi

  • धनिया के बीज का पानी - धनिया के बीज का पानी हाइपोथायरायडिज्म के इलाज के लिए सबसे पुराना घरेलू नुस्खा है। यह आयुर्वेद में भी हाइपोथायरायडिज्म के इलाज में इस्तेमाल होता है। धनिया के बीज में मौजूद विटामिन्स और एंटीऑक्सिडेंट्स थायरायड ग्रंथि को स्वस्थ बनाते हैं और थायरायड हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करते हैं। थायरायड के मरीजों को रोजाना दिन में एक बार गर्म पानी में भिगोए हुए धनिया के बीज का पानी पीने की सलाह दी जाती है।
  • आंवला जूस - आंवला जूस में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट तत्व होते हैं जो हाइपोथायरायडिज्म के कारण थायरायड ग्रंथि को होने वाले ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और इन्फ्लेमेशन के कारण नुकसान पहुंचने से बचाता है। सुबह-सुबह आंवले के जूस का सेवन हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
  • लौकी का जूस - लौकी का जूस बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है जो हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों में अक्सर बढ़ा होता है। इसके अलावा लौकी के जूस में विटामिन सी भी होता है जो शरीर में थायरायड हार्मोन के लेवल को मेनटेन रखता है।
  • वीटग्रास जूस - वीट ग्रास जूस में सेलेनियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम आदि पाया जाता है और यह लिवर को साफ करने का प्राकृतिक तरीका है। साथ ही वीट ग्रास थायरायड ग्रंथि के कार्यों को बेहतर बनाने में भी मदद करता है।      
  • अन्य ड्रिंक - इसके अलावा भी कुछ पेय पदार्थ हैं जो हाइपोथायरायडिज्म की समस्या को दूर कर शरीर में थायरायड हार्मोन के लेवल को मेनटेन कर सकते हैं। जैसे- खीरे का जूस, धनिया का जूस, सेब, गाजर का जूस और यहां तक की हल्दी की चाय (ताजी हल्दी को घिसकर पानी में मिलाएं और 5 मिनट तक उबालें, रंग आ जाए तो छानकर पी लें)

हाइपोथायरायडिज्म हो जाने पर यह जानना आवश्यक होता है कि क्या नहीं खाना चाहिए और किनी-किन चीजों से परहेज जुरूरी है। यहाँ हमने ऐसे कई खाद्य पदार्थों के बारे में बताया है -

हाइपोथायरायडिज्म में कौन सी सब्जियां न खाएं? - Vegetables not to eat in Hypothyroidism in Hindi

गोभी, पत्तागोभी जैसी सब्जियां क्रूसिफेरस सब्जियों की कैटिगरी में आती हैं जो फाइबर से भरपूर होती हैं। लेकिन एक स्टडी के मुताबिक इन सब्जियों का अधिक सेवन करने से थायरायड हार्मोन के उत्पादन में बाधा आ सकती है जिससे हाइपोथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है। एक दूसरी स्टडी के मुताबिक अगर वैसी महिलाएं जिनमें पहले से आयोडीन की कमी की समस्या हो अगर वे फूलगोभी और पत्तागोभी जैसी क्रूसिफेरस सब्जियां अधिक खाएं तो उनमें थायराइड कैंसर होने का भी खतरा अधिक होता है।

सोयाबीन न खाएं - Can i eat soybean in Hypothyroidism in Hindi

लैब स्टडीज और जानवरों पर हुई स्टडी के डेटा से पता चलता है कि जिन लोगों में थायरायड की कार्य प्रणाली गड़बड़ होती है और जिनमें आयोडीन की कमी होती है, वैसे लोग अगर सोया खाद्य पदार्थ का सेवन करें तो हाइपोथायरायडिज्म का जोखिम बढ़ सकता है। सोयाबीन थायरायड की दवा को ठीक से अवशोषित करने की क्षमता को भी कम कर देता है। हाइपोथायरायडिज्म के जोखिम वाले लोगों को अपने सोयाबीन की खपत को कम करने के बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

सफेद चावल कम खाएं - Avoid white rice in Hypothyroidism in Hindi

सफेद चावल हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों में प्रतिदिष्ट होता है क्योंकि यह सिंथेटिक थायरायड हार्मोन के अवशोषण में हस्तक्षेप करता है। डॉक्टर हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों को सफेद चावल खाने की बजाए ब्राउन राइस खाने की सलाह देते हैं।

(और पढे़ं - ब्राउन राइस या वाइट राइस क्या है ज्यादा फायदेमंद)

कॉफी और ग्रीन टी न पिएं - Avoid coffee and tea in Hypothyroidism in Hindi

अध्ययनों से पता चला है कि कॉफी आंतों में थायरॉक्सिन (टी4) के अवशोषण के साथ हस्तक्षेप करती है, इसलिए हाइपोथायरायडिज्म का कारण बनती है। इसलिए, डॉक्टर हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों को कॉफी का सेवन न करने की सलाह देते हैं क्योंकि यह उनके शरीर में थायरायड के स्तर को और कम कर सकता है।

ग्रीन टी की बात करें तो कुछ डॉक्टर जहां दिन में एक बार मरीजों को ग्रीन टी पीने की अनुमति देते हैं, वहीं अन्य डॉक्टर इसके खिलाफ सलाह देते हैं। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि ग्रीन टी में गॉइट्रोजेनिक (पदार्थ जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन को बाधित करते हैं) और एंटीथायरायड गुण बोते हैं क्योंकि यह थायरायड हार्मोन (टी3, टी4) के स्तर को कम करता है और टीएसएच के लेवल को बढ़ाता है जिससे शरीर में हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति बन जाती है।

शराब का सेवन न करें - Avoid alcohol in Hypothyroidism in Hindi

अल्कोहल या शराब का सेवन भी शरीर में थायरायड हार्मोन के लेवल को कम करने के लिए जाना जाता है। यह थायरॉयड ग्रंथि द्वारा रिलीज किए गए थायरॉयड हार्मोन का उपयोग करने के लिए शरीर की क्षमता को भी कम कर देता है। हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों को आमतौर पर शराब का सेवन बंद करने या सीमित मात्रा में सेवन करने के लिए कहा जाता है।

ऑर्गन मीट न खाएं - Avoid organ meat in hypothyroidism in Hindi

लिवर और किडनी जैसे ऑर्गन मीट कोलेस्ट्रॉल और संतृप्त वसा से भरपूर होते हैं। जब शरीर में थायरायड हार्मोन का स्तर कम होता है, तो शरीर एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोपॉलिसैकराइड) को मेटाबोलाइज करने में असमर्थ होता है जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए, हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों को ऑर्गन मीट न खाने की सलाह दी जाती है।

Dr. Dhanamjaya D

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