त्वचा के चकत्ते एक ऐसी सामान्य समस्या है जिसमें हमारी त्वचा लाल हो जाती है या उसमें जलन होती है। यह समस्या एलर्जी, संक्रमण, मौसम में बदलाव या जलन पैदा करने वाले पदार्थों के संपर्क में आने के कारण हो सकती है। त्वचा के चकत्ते कारण के आधार पर निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं:
- एटॉपिक डर्मेटाइटिस: एटॉपिक डर्मेटाइटिस को एक्जिमा के नाम से भी जाना जाता है, इस समस्या के परिणामस्वरूप त्वचा पर लाल और खुजलीदार धब्बे हो जाते हैं।
- कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस: त्वचा के जलन पैदा करने वाले पॉइजन आइवी जैसे पदार्थों के संपर्क में आने के कारण कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस की समस्या होती है। यह भारत में त्वचा पर चकत्तों का सबसे आम कारण है।
- डीशिड्रॉटिक डर्मेटाइटिस: हाथों और पैरों पर छोटे खुजली वाले फफोले हो जाते हैं।
- ड्रग रैश: ड्रग रिएक्शन के कारण होने वाली समस्या।
- हीट रैश: हीट रैश या घमौरी की समस्या गर्मी और नम मौसम के कारण होती है। (और पढ़ें - घमौरी से छुटकारा पाने के उपाय)
- इंटरट्रिगो: त्वचा की सलवटों में खुजलीदार लाल चकत्ते होना।
- सोरायसिस: सोरायसिस एक ऐसा क्रॉनिक त्वचा रोग है जिसमें त्वचा पर लाल परतदार धब्बे हो जाते हैं।
- दाद: फंगल संक्रमण के कारण त्वचा पर होने वाले चकत्ते दाद कहलाते हैं। (और पढ़ें - दाद के घरेलू उपाय)
- सेरकरियल डर्मेटाइटिस (या स्विमर्स इच): पानी से पैदा होने वाले परजीवियों के कारण खुजलीदार दाने होना।
होम्योपैथिक उपचार त्वचा के चकत्तों और त्वचा की अन्य परेशानियों के इलाज में काफी प्रभावशाली है। होम्योपैथी के अनुसार, डॉक्टर आपकी त्वचा के लक्षणों के साथ-साथ शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लक्षणों को ध्यान में रखकर त्वचा के चकत्तों का इलाज करते हैं। त्वचा के चकत्तों के उपचार में मुख्य रूप से आर्सेनिकम एल्बम, ग्रेफाइट्स और सल्फर जैसी होम्योपैथी दवाएं उपयोग की जाती हैं।
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