सोरायसिस प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण पैदा होने वाली समस्या है जो त्वचा, नाखून और जोड़ों को प्रभावित करती है। सोरायसिस वाले व्यक्तियों के शरीर में नई कोशिकाओं का उत्पादन सामान्य से बहुत अधिक तेजी से होता है। इससे त्वचा की सतह पर लाल, मोटे, पपड़ीदार पैच (धब्बे) के रूप में कोशिकाओं के ढेर बन जाते हैं। ये गैर-संक्रामक पपड़ीदार धब्बे आकार में अलग अलग हो सकते हैं और इनमें खुजली होती है। यदि इनका उपचार नहीं किया जाए तो इनमें चुभन वाली जलन और दर्द हो सकता है।

यद्यपि यह समस्या शरीर की त्वचा के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन आमतौर पर घुटनों, कोहनी, पीठ के निचले हिस्से और सिर की त्वचा पर देखी जाती है। इस समस्या के सटीक कारण का तो पता नहीं है, लेकिन इसे प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा प्रेरित माना जाता है। सोरायसिस की बीमारी त्वचा की चोट, संक्रमण, भावनात्मक तनाव और कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण हो सकती है। यह मधुमेह, अवसाद और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से भी जुड़ी होती है।

सोरायसिस जैसे त्वचा रोगों के नियंत्रण के लिए होम्योपैथिक उपचार बहुत उपयोगी है। पारंपरिक दवाओं के विपरीत, ये दवाएं प्राकृतिक पदार्थों से तैयार की जाती हैं और इसलिए साइड इफेक्ट पैदा नहीं करती हैं। सोरायसिस के नियंत्रण के लिए उपयोग की जानी वाली कुछ सामान्य होम्योपैथिक दवाओं में क्राइसैरोबिनम, केलियम आर्सेनिकोसम, सीपिया औफिसिनेलिस, ग्रेफाइट्स, लाइकोपोडियम क्लेवेटम, कार्बोलिकम एसिडम, सल्फर, आर्सेनिकम एल्बम, केलियम ब्रोमेटम, आर्सेनिकम आयोडेटम और थायरॉइडीनम शामिल हैं।

(और पढ़ें - त्वचा रोग के उपाय)

  1. होम्योपैथी में सोरायसिस का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Psoriasis ka upchar kaise hota hai?
  2. सोरायसिस की होम्योपैथिक दवा - Psoriasis ki homeopathic medicine
  3. होम्योपैथी में सोरायसिस के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Psoriasis ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
  4. सोरायसिस के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Psoriasis ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
  5. सोरायसिस के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Psoriasis ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
सोरायसिस की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

हालांकि पारंपरिक चिकित्सा में सोरायसिस के लिए अल्ट्रावायलेट लाइट जैसे कई प्रभावी उपचार उपलब्ध हैं, लेकिन इन उपचारों के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को नकारा नहीं जा सकता है। इसके अलावा, ये उपचार हमेशा के लिए समस्या दूर नहीं करते हैं बल्कि उपचार के बाद भी यह बीमारी दोबारा हो जाती है। होम्योपैथी में सोरायसिस का इलाज अलग तरीके से किया जाता है और इसका उद्देश्य लक्षणों को दबाने के बजाय व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य को बेहतर करना होता है।

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सोरायसिस एक पुरानी बीमारी है जिसकी जांच किसी अनुभवी और कुशल होम्योपैथिक चिकित्सक द्वारा करवानी चाहिए। सोरायसिस सहित सभी पुराने त्वचा रोगों को पूरी तरह ठीक करने के लिए धैर्य और समय दोनों की आवश्यकता होती है।

सोरायसिस सहित कई त्वचा रोगों को नियंत्रित करने में होम्योपैथिक उपचार की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए एक अध्ययन किया गया। इस अध्ययन से होम्योपैथिक उपचार की सुरक्षा और दक्षता का पता चलता है। अध्ययन के दौरान, आउट पेशेंट क्लिनिक में त्वचा की विभिन्न समस्याओं वाले बच्चों और वयस्कों को कम से कम 3 महीने के लिए व्यक्तिगत होम्योपैथिक उपचार दिया गया। 49 प्रतिभागियों में से, 59% के लक्षणों में काफी सुधार देखा गया, 37% ने इलाज पूरा नहीं किया और 4% प्रतिभागियों में कोई सुधार नहीं दिखा। किसी भी रोगी में कोई दुष्प्रभाव नहीं देखे गए। इससे पता चलता है कि व्यक्तिगत होम्योपैथी त्वचा रोगों से जुड़े लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए काफी प्रभावी चिकित्सा हो सकती है और सोरायसिस के उपचार में मदद कर सकती है।

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सोरायसिस के लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं निम्नलिखित हैं:

  • क्राइसैरोबिनम (Chrysarobinum)
    सामान्य नाम: गोवा पाउडर (Goa powder)
    लक्षण: क्राइसैरोबिनम का उपयोग मुख्य रूप से सोरायसिस और दाद जैसे त्वचा रोगों वाले व्यक्तियों में किया जाता है। निम्नलिखित अन्य लक्षणों में भी इस दवा से इलाज किया जाता है:

  • केलियम आर्सेनिकोसम (Kalium Arsenicosum)
    सामान्य नाम: फाउलर्स सोल्युशन (Fowler's solution)
    लक्षण: यह दवा बेचैन और व्याकुल लोगों के लिए या पुराने त्वचा रोगों से पीड़ित लोगों के लिए सबसे अच्छे उपचार में से एक है। इसका उपयोग एनीमिया के इलाज में भी किया जा सकता है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षणों के लिए भी इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है:

    • सूखी और स्केली त्वचा जिसपर असहनीय खुजली होना जो गर्म मौसम में बढ़ जाती हो (और पढ़ें - खुजली का होम्योपैथिक इलाज)
    • त्वचा के नीचे कई छोटी छोटी गांठे जो मौसम में परिवर्तन के साथ गंभीर हो जाती हो
    • मवाद युक्त छोटे फफोले जो मासिक धर्म के दौरान गंभीर हो जाते हो
       
  • सीपिया औफिसिनेलिस (Sepia officinalis)
    सामान्य नाम: कटलफिश का स्याही के रंग का जूस (Inky juice of cuttlefish)
    लक्षण: यह दवा विशेष रूप से पीले रंग वाले व्यक्तियों में उपयोगी है जो कमजोरी और दर्द से पीड़ित होते हैं। यह दवा निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में मदद करती है:

    • प्रभावित क्षेत्र में खुजली होना जो खुजलाने से भी कम नहीं होती
    • खुजली जो कि जोड़ों के मुड़ने वाली जगह पर अधिक होती होती है, जैसे, कोहनी और घुटने में (और पढ़ें - खुजली का आयुर्वेदिक इलाज)
    • पैरों और पैर की उंगलियों में अत्यधिक पसीना आना और शरीर में भी गंध के साथ अत्यधिक पसीना आना (और पढ़ें - ज्यादा पसीना आना रोकने के घरेलू उपाय)
    • खराब गंध के साथ स्केली और मोटी त्वचा
    • नाक, होंठ और मुंह पर भूरे धब्बे बनना

इस दवा को लेने वाले व्यक्ति सुबह और शाम को खराब महसूस करते हैं। वे गर्म बिस्तर, गर्म सिकाई, व्यायाम, ठंडा स्नान और नींद लेते समय बेहतर महसूस करते हैं।
 

  • ग्रेफाइट्स (Graphites)
    सामान्य नाम: ब्लैक लेड (Black lead)
    लक्षण: यह दवा मुख्य रूप से संक्रमण के कारण होने वाले त्वचा के चकत्ते का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती है। यह एनीमिया के इलाज के साथ चेहरे की लालिमा और जननांगों में सूजन के लिए भी उपयोगी है। इस दवा से निम्नलिखित अन्य लक्षणों का इलाज भी किया जा सकता है:

    • त्वचा लगातार रूखी, सख्त और खुरदरी रहना
    • त्वचा में दानों के साथ चिपचिपा रिसाव होना
    • अस्वस्थ त्वचा के कारण सभी तरह की चोटों से पीप आना
    • पतले, तरल पदार्थ और चिपचिपे स्राव के साथ त्वचा में छाले होना
    • चेहरे पर जलन और चुभने वाले दर्द के साथ चकत्ते होना

गर्म जलवायु, रात और मासिक धर्म के दौरान और बाद में लक्षण बढ़ जाते हैं और अंधेरे में ठीक होते हैं। (और पढ़ें - मासिक धर्म से जुड़े तथ्य)
 

  • लाइकोपोडियम क्लेवेटम (Lycopodium Clavatum)
    सामान्य नाम: क्लब मॉस (Club moss)
    लक्षण: लाइकोपोडियम क्लेवेटम कुपोषित और कमजोर लोगों तथा खराब पाचन वाले लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है। यह पुरानी इंफ्लेमेटरी समस्याओं वाले लोगों के लिए भी उपयोगी है। निम्नलिखित अन्य लक्षणों में भी इस दवा का उपयोग करने से राहत महसूस करते हैं:

यह दवा लेने वाले लोग खाने के बाद या कुछ गर्म पीने के बाद बेहतर महसूस करते हैं और उनकी स्थिति अपच, शाम 4 से 8 बजे के बीच और शरीर पर कपड़ों के दबाव के कारण खराब हो जाती है। (और पढ़ें - अपच के घरेलू उपाय)

एक 29 वर्षीय महिला से जुड़े अध्ययन में सोरियासिस के उपचार में आर्सेनिकम एल्बम के प्रभावों की जानकारी दी गई थी। महिला को नाखूनों का पीलापन, हाथ और पैर के नाखूनों का टूटना तथा मोटे होना जैसे लक्षण थे। इस महिला को पहले भी सोरायसिस की बीमारी थी जिसे स्टेरॉयड से ठीक किया गया था। 6 सप्ताह तक आर्सेनिकम एल्बम लेने के बाद महिला के वर्तमान लक्षणों में काफी सुधार हुआ। वह अपने दैनिक कामों को फिर से शुरू करने में सक्षम हो गई और बाद के उपचार से और भी राहत का संकेत मिला।

भले ही लक्षणों से काफी हद तक राहत मिली थी, लेकिन वह महिला उपचार से संतुष्ट नहीं थी, इसलिए दवा को बदल दिया गया था। उसे लाइकोपोडियम देकर आगे इलाज किया गया और यह पाया गया कि एक नाखून को छोड़कर सभी नाखून के घाव 9 महीनों में पूरी तरह ठीक हो गए थे। यह अंतिम घाव भी लगभग ठीक हो चुका था।

(और पढ़ें - घाव ठीक करने के घरेलू उपाय)
 

  • कार्बोलिकम एसिडम (Carbolicum Acidum)
    सामान्य नाम: फिनोल (Phenol)
    लक्षण: यह दवा गंभीर दर्द वाले लोगों, शारीरिक परिश्रम के कारण फोड़े होने, खराब गंध, स्पास्मोडिक खांसी या गठिया के लिए सबसे उपयुक्त है। यह निम्नलिखित लक्षणों में भी उपयोगी है:

    • खुजली वाले फफोले और जलन वाला दर्द
    • जलन जिससे त्वचा पर छाले हो जाते हैं
       
  • सल्फर (Sulphur)
    सामान्य नाम: सब्लिमेटेड सल्फर (Sublimated sulphur)
    लक्षण: सल्फर त्वचा की जलन ठीक करने में सबसे उपयोगी दवाओं में से एक है। इसका उपयोग निम्नलिखित लक्षणों के उपचार के लिए भी किया जा सकता है:

    • सूखी, पपड़ीदार और अस्वस्थ त्वचा
    • किसी भी तरह की चोट में मवाद बन जाना (और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)
    • त्वचा पर खुजली और जलन महसूस होना जो रगड़ने और धोने से बढ़ जाती हो
    • छाले, फुंसी जैसे दाने और नाखूनों के जड़ की फटी हुई त्वचा (और पढ़ें - फुंसी के घरेलू उपाय)
    • खुर्ची और घिसी हुई त्वचा, विशेष रूप से जोड़ों में
    • लोकल दवा लगाने के कारण त्वचा की समस्याएं

यह दवा लेने वाले व्यक्ति में, प्रभावित क्षेत्र को धोने, स्नान करने, आराम करने, खड़े होने, मादक उत्तेजक का सेवन करने, बिस्तर की गर्मी और रात में 11 बजे तक लक्षण बढ़ सकते हैं। सूखे और गर्म मौसम में, दाहिनी ओर लेटने पर और प्रभावित अंग को खींचने से लक्षण ठीक होते हुए महसूस होते हैं।

एक 66 वर्षीय व्यक्ति के मामले का अध्ययन करके सोरायसिस की बीमारी में सल्फर जैसी होम्योपैथिक दवा की प्रभावशीलता का पता लगाया गया। यह व्यक्ति 3 महीने से त्वचा पर हर जगह दानों से प्रभावित था। कभी-कभी उसको खुजली के साथ घाव होते थे और हल्की बीपी की समस्या भी थी, जिसका कोई इलाज नहीं हुआ था। इस प्रतिभागी की शारीरिक जांच में सिर की त्वचा में हर जगह एरिथेमेटस मैल पाया गया। इन लक्षणों के इलाज के लिए सल्फर का उपयोग साप्ताहिक तौर पर किया गया।

खुजली को ठीक करने के लिए सल्फर-आधारित कॉस्मेटिक क्रीम का भी उपयोग किया गया था। पहले और दूसरे महीने के फॉलोअप से इस स्थिति में काफी सुधार दिखा और 4 महीने के फॉलोअप में लक्षणों से लगभग पूरी तरह से राहत मिल गई थी। इलाज खत्म होने के 2 साल बाद भी रोगी को कोहनी के आसपास कुछ घावों को छोड़कर किसी भी तरह का घाव नहीं हुआ।

(और पढ़ें - घाव की मरहम पट्टी कैसे करते हैं)
 

  • आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album)
    सामान्य नाम: आर्सेनियस एसिड (Arsenious acid)
    लक्षण: यह दवा सभी अंगों और ऊतकों पर काम करती है। यह जलन वाले दर्द, मामूली शारीरिक गतिविधि से होने वाली थकान, बेचैनी और समुद्र के आसपास के क्षेत्र के कारण होने वाली स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों वाले लोगों के लिए सबसे उपयुक्त उपचार है। आर्सेनिकम एल्बम का उपयोग करके निम्नलिखित अन्य लक्षणों का इलाज किया जा सकता है:

    • त्वचा पर खुजली, जलन और सूजन
    • सूखी, खुरदरी और पपड़ीदार त्वचा के साथ फोड़े फुंसी और दाने होना, ये लक्षण ठंड के मौसम में बढ़ जाते हैं
    • छालों के साथ बदबूदार रिसाव
    • ऊतकों के असामान्य और अत्यधिक विकास के कारण ऊतकों का छिलना और त्वचा पर दाने होना

मानसून के दौरान, आधी रात के बाद और कोल्ड ड्रिंक्स तथा खाद्य पदार्थों के सेवन से व्यक्ति की स्थिति खराब हो सकती है। गर्म मौसम में और गर्म पेय के सेवन से स्थिति सुधर सकती है।
 

  • केलियम ब्रोमेटम (Kalium Bromatum)
    सामान्य नाम: ब्रोमाइड ऑफ पोटाश (Bromide of potash)
    लक्षण: यह दवा सोरायसिस और अचानक होने वाले गांठदार गाउट के लिए सबसे अच्छे उपचार में से एक है। इसका उपयोग निम्नलिखित लक्षणों के इलाज में किया जा सकता है:

व्यक्ति को तब अच्छा लगता है जब मानसिक या शारीरिक रूप से वह किसी काम में लगा रहता है।
 

  • आर्सेनिकम आयोडेटम (Arsenicum Iodatum)
    सामान्य नाम: आयोडाइड ऑफ आर्सेनिक (Iodide of arsenic)
    लक्षण: यह दवा शरीर के विभिन्न क्षेत्रों से लगातार जलन और तेज रिसाव की समस्या वाले लोगों के लिए उपयुक्त है। यह रिसाव उन विभिन्न झिल्लियों की जलन का कारण बनता है जो इसके संपर्क में आती हैं। यह दवा लाल और सूजन वाली श्लेष्म झिल्ली के साथ खुजली और जलन जैसे लक्षणों में भी सहायक है। निम्नलिखित अन्य लक्षणों में आर्सेनिकम आयोडेटम का उपयोग करके इलाज किया जा सकता है:

    • बड़े पैमाने पर त्वचा का गंभीर एक्सफोलिएशन (मृत त्वचा का हटना), जिसके कारण इसकी नीचे वाली रिसती हुई कच्ची सतह का दिख जाना
    • खुजली के साथ रूखी, सख्त और पपड़ीदार त्वचा
    • रात को पसीने से जाग जाना (और पढ़ें - रात को अधिक पसीना आने के कारण)
    • दाढ़ी के क्षेत्र में एक्जिमा जो त्वचा में गीलापन, रिसाव और खुजली पैदा करता है, प्रभावित त्वचा को धोने पर स्थिति खराब हो जाती है
    • फफोले या मुंहासे, जिनमें मवाद होता है
       
  • थायरॉइडीनम (Thyroidinum)
    सामान्य नाम: भेड़ की सूखी हुई थायरॉयड ग्रंथि (Dried thyroid gland of the sheep)
    लक्षण: यह दवा कमजोरी, पसीना आने, झुनझुनी महसूस करने और रेशेदार ट्यूमर वाले लोगों में सबसे बेहतर काम करती है। कुछ अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं जिन्हें थायरॉइडीनम का उपयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है:

    • सूखी और पपड़ीदार त्वचा जिसमें लालिमा और खुजली हो
    • हाथ और पैर ठंडे होना
    • त्वचा पर भूरे रंग की सूजन
    • ऑटोइम्यून बीमारी के कारण त्वचा में इंफ्लमैशन और सूजन
    • बीना कोई दाने निकले खुजली होना जो रात में बढ़ जाती हो

होम्योपैथी के संस्थापक डॉ हैनिमैन जीवनशैली में कुछ बदलाव की सलाह देते हैं ताकि रोजमर्रा की आदतों को उपचार की क्रिया में हस्तक्षेप करने से रोका जा सके। ऐसे ही कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:

क्या करें:

  • अपने भोजन में ऐसे उपयुक्त पौष्टिक आहार को शामिल करें जिसमें कोई औषधीय गुण न हो।
  • साफ सफाई वाली जगह पर ही रहें।
  • शारीरिक रूप से सक्रिय जीवन शैली का पालन करें और अपनी दिनचर्या में वाकिंग या चलने जैसी गतिविधियों को शामिल करें। (और पढ़ें - सुबह की सैर करने के फायदे)

क्या न करें:

  • कॉफी, औषधीय मसालों से बनी शराब या तेज गंध वाले पेय पदार्थ नहीं पीने चाहिए।
  • मसालेदार खाना न खाएं और औषधीय गुणों वाले पौधों की जड़ों और तनों से भी बचे।
  • बहुत अधिक क्रोध या दु: ख या किसी भी तरह की अन्य भावनाओं से बचें, जो शारीरिक या मानसिक परेशानी का कारण बन सकती हैं। (और पढ़ें - गुस्सा कैसे कम करें)

होम्योपैथिक दवाएं सुरक्षित और प्रभावी मानी जाती हैं क्योंकि उनमें खनिज पदार्थ, जड़ी बूटियों या पशु उत्पादों की बहुत सिमित मात्रा होती है। वे किसी भी प्रतिकूल प्रभाव से पूरी तरह से मुक्त हैं और उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हैं जो दुष्प्रभावों के कारण पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग नहीं कर पाते हैं। होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग शिशुओं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं की बिमारियों के उपचार में सुरक्षित रूप से किया जा सकता है। पारंपरिक दवाओं जैसे कि एंटीबायोटिक, के विपरीत, होम्योपैथिक दवाएं पाचन तंत्र या प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित नहीं करती हैं। वे विषाक्तता, नशे की लत के गुणों, दवा छोड़ने पर पैदा होने वाले लक्षणों और निर्भर बना देने वाले दुष्प्रभावों से मुक्त हैं, इस प्रकार सोरायसिस के उपचार में एक अच्छा विकल्प है।

हालांकि ये उपाय सुरक्षित और प्रभावी हैं, लेकिन साइड इफेक्ट से बचने के लिए किसी भी थेरेपी की शुरुआत करने से पहले होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है। डॉक्टर आपके क्लिनिकल ​​लक्षणों के आधार पर बेहतर थेरेपी का सुझाव देते हैं। वे प्रभावी और सुरक्षित उपचार के लिए आहार और जीवन शैली में बदलावों के बारे में भी बताते हैं, जिन्हें आपकी दिनचर्या में शामिल किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, क्राइसैरोबिनम का उपयोग सावधानी के साथ किया जाना चाहिए क्योंकि यह एक प्रकार की इर्रिटेन्ट दवा है और इससे सूजन हो सकती है। कार्बोलिकम एसिडम को वनस्पति तेल और ग्लिसरीन के साथ नहीं लेना चाहिए क्योंकि ये इसके अनुकूल नहीं है।

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सोरायसिस त्वचा की बीमारी है, जिसमें त्वचा पर सूखे पपड़ीदार धब्बे बन जाते हैं। पारंपरिक दवाएं सोरायसिस का सबसे तेज इलाज हैं, लेकिन इन दवाओं से साइड इफेक्ट्स और समस्या दोबारा होने की आशंका भी अधिक रहती है। होमियोपैथी में बीमारी का उपचार करने के लिए प्राकृतिक पदार्थों को बहुत अधिक घोल कर बनाया जाता है। यह न केवल लक्षणों को ठीक करती है, बल्कि समस्या को दोबारा होने से भी रोकती है। जब एक अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर के मार्गदर्शन में सही खुराक में इन दवाओं को लिया जाता है तो कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद मिलती है।

(और पढ़ें - एक्जिमा की होम्योपैथिक दवा)

Dr. Rupali Mendhe

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21 वर्षों का अनुभव

Dr. Rubina Tamboli

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Dr. Anas Kaladiya

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5 वर्षों का अनुभव

Dr. Prabhash Kumar Chaudhari

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5 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

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  10. William Boericke. Homoeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
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