गर्भावस्था का अहसास क्या होता है, इसे गर्भवती महिला से बेहतर और कोई नहीं समझ सकता. वहीं, महिला के यूट्रस में अंडे के फर्टाइल होने से लेकर 9 महीने तक शिशु के विकसित होने और फिर डिलीवरी होने तक, एक लंबी प्रक्रिया होती है. अगर सिर्फ डिलीवरी की बात करें, तो ये दो तरीके से होत है - नॉर्मल डिलीवरी और सी-सेक्शन. जहां सी-सेक्शन में ऑपरेशन के जरिए शिशु की डिलीवरी होती है, वहीं नॉर्मल डिलीवरी की प्रक्रिया के तीन स्टेज होते हैं.

आज इस लेख में हम यही जानने का प्रयास करेंगे कि शिशु का जन्म किस प्रकार होता है यानी शिशु के जन्म की प्रक्रिया क्या है -

(और पढ़ें - शिशु के जन्म के बाद का पहला घंटा)

  1. पीरियड्स के बाद कब निकलते हैं एग?
  2. शिशु का जन्म कितने समय में होता है?
  3. सारांश
शिशु का जन्म कैसे होता है? के डॉक्टर

शिशु के जन्म लेने की प्रक्रिया लंबी होती है, जो सेक्स के दौरान पुरुष के स्पर्म सेल्स के महिला के एग से मिलने के साथ शुरू होती है. ये अंडे ओवुलेशन के दौरान ओवरी से बाहर निकलते हैं. इस प्रक्रिया को फर्टिलाइजेशन कहते हैं. इसके बाद फर्टिलाइज्ड एग फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से यूट्रस तक पहुंच जाते हैं. फिर यह एक से दो, दो से चार सेल्स में डिवाइड होने लगते हैं. एक हफ्ते बाद इसमें 100 सेल्स बन जाते हैं और ये यूट्रस की लाइनिंग से चिपक जाते हैं. इस प्रकार एक भ्रूण यूट्रस में इंप्लांट होता है.

ओवुलेशन हर महिला के मासिक धर्म चक्र में अलग-अलग समय पर हो सकता है. औसतन अगर महिला के पीरियड 28 दिन के हैं, तो ओवुलेशन 14वें दिन पर ही होता है. इस समय महिला सबसे ज्यादा फर्टाइल होती है. हालांकि, अगर ओवुलेशन के 5 दिन पहले भी यौन संबंध बनाते हैं, तो उस समय भी प्रेगनेंसी की संभावना होती है, क्योंकि स्पर्म 5 दिन तक महिला के शरीर में जीवित रह सकते हैं.

(और पढ़ें - जन्म के बाद पहले महीने में कैसे होता है शिशु का विकास)

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यह इस बात पर निर्भर करता है कि डिलीवरी नॉर्मल हो रही है या सी-सेक्शन के जरिए. आइए, इसे विस्तार से समझते हैं -

नॉर्मल डिलीवरी

अगर होने वाला शिशु व मां स्वस्थ है और कोई मेडिकल समस्या नहीं है, तो नॉर्मल डिलीवरी ही हो सकती है. इस डिलीवरी में 3 स्टेज शामिल होती हैं, जो इस प्रकार हैं -

  • पहली स्टेज तब शुरू होती है जब 9 महीने पूरे होने के बाद महिला को कॉन्ट्रेक्शन महसूस होने लगते हैं यानी प्रसव पीड़ा शुरू हो जाती है. इस स्टेज में महिला का सर्विक्स फैलकर 6 से 10 इंच तक चौड़ा हो सकता है.
  • इससे अगली स्टेज में शिशु की डिलीवरी होती है. इस प्रक्रिया में कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटे तक लग सकते हैं. इस स्टेज में शिशु का सिर दिखने लग जाता है और वो बाहर आ जाता है. 
  • तीसरे स्टेज में शिशु के बाहर आने के करीब 30 मिनट बाद प्लेसेंटा की डिलीवर हो सकती है. इसे बाद में अलग कर दिया जाता है.

(और पढ़ें - जन्म के समय शिशु का कम वजन)

सी सेक्शन डिलीवरी

यह डिलीवरी तब होती है जब महिला की प्रेग्नेंसी में थोड़ी दिक्कतें हों और महिला की नॉर्मल डिलीवरी कर पाना संभव न हो. इस प्रक्रिया में बच्चे को सर्जिकल तरीकों से जन्म दिलवाया जाता है. महिला के पेट में एक कट लगाकर बच्चे को बाहर निकाल लिया जाता है. 

(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद मां की देखभाल)

एक पुरुष और महिला के इंटिमेट होने पर जब स्पर्म अंडे तक पहुंचते हैं, तो ओवुलेशन के दौरान फर्टिलाइजेशन होता है. फिर फर्टिलाइज्ड एग यूट्रस तक पहुंच, सेल्स में डिवाइड होने लगता है. बाद में यह सेल्स भ्रुण में बदलने लगते हैं. शिशु का जन्म तीन चरणों में होता है. पहली स्टेज में कॉन्ट्रक्शन, दूसरे स्टेज में बच्चे का सिर नीचे आता है और तीसरे स्टेज में प्लेसेंटा बाहर निकलता है.

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