प्रेगनेंसी में सभी महिलाएं अपने स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखती हैं. महिलाएं अच्छी डाइट और एक्सरसाइज रूटीन को फॉलो करती हैं, ताकि वो स्वस्थ शिशु को जन्म दे सके. इस दौरान महिलाओं को सही तरीके से चलने की भी सलाह दी जाती है, ताकि वो गिर न जाएं और चोट न लगे. वैसे भी माना जाता है कि प्रेगनेंसी में गिरना मां और बच्चे दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. अब सोचने वाली बात यह है कि क्या सच में प्रेगनेंसी में गिरना चिंता का विषय हो सकता है? तो इसका जवाब है- हां. प्रेगनेंसी में गिरना हानिकारक हो सकता है. तीसरी तिमाही में पेट के बल गिरने से गर्भपात तक हो सकता है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि प्रेगनेंसी में गिरना कब और कितना नुकसानदायक हो सकता है -

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  1. प्रेगनेंसी में गिरना कब नुकसानदायक होता है?
  2. प्रेगनेंसी में गिरने पर होने वाली जटिलताएं
  3. प्रेगनेंसी में गिरने के कारण
  4. प्रेगनेंसी में गिरने से कैसे बचें?
  5. डॉक्टर से कब मिलें?
  6. सारांश
  7. क्या प्रेगनेंसी में गिरना चिंताजनक है? के डॉक्टर

कुछ गर्भवती महिलाओं का गिरना जोखिम भरा नहीं होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है. प्रेगनेंसी में गिरने पर नुकसान हो सकता है या नहीं, यह गर्भावस्था के चरण और गिरने की स्थिति पर निर्भर करता है. पहली तिमाही में गिरना नुकसान नहीं पहुंचाता है, जबकि तीसरी तिमाही में गिरने पर भारी हानि हो सकती है -

  1. पहली तिमाही में गिरना
  2. दूसरी तिमाही में गिरना
  3. तीसरी तिमाही में गिरना

पहली तिमाही में गिरना

अगर कोई महिला प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में गिरती है, तो यह अधिक गंभीर नहीं होता है. पहली तिमाही के दौरान गिरने से गर्भपात होने की आशंका कम ही होती है. दरअसल, पहली तिमाही में गर्भाशय की दीवार मोटी होती है. साथ ही पेल्विक भी हड्डियों से सुरक्षित रहता है. इसलिए माना जाता है कि प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में हल्का-सा गिरना अधिक जोखिम भरा नहीं होता है. 

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दूसरी तिमाही में गिरना

दूसरी तिमाही के शुरुआत में गिरना अधिक चिंता का विषय नहीं होता है, लेकिन दूसरी तिमाही के अंत में गिरना मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है. अगर कोई गर्भवती महिला दूसरी तिमाही के आखिरी समय में पेट के बल गिरती है, तो इससे गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है. ऐसे में महिलाओं को ध्यान से चलने की जरूरत होती है.

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तीसरी तिमाही में गिरना

जैसे-जैसे प्रेगनेंसी का समय बढ़ता है, वैसे-वैसे जोखिम भी बढ़ता जाता है. अगर कोई महिला तीसरी तिमाही में गिरती है, तो उसके बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है. दरअसल, तीसरी तिमाही तक गर्भाशय की दीवार पतली हो जाती है, इसी प्रमुख क्षेत्र में बच्चा रहता है. ऐसे में अगर महिला तीसरी तिमाही में गिरती है, तो काफी नुकसान हो सकता है.

तीसरी तिमाही में गिरने पर गर्भवती महिला को गर्भाशय संकुचन महसूस हो सकता है. साथ ही एमनियोटिक द्रव को नुकसान पहुंच सकता है, गर्भाशय की भीतरी दीवार से प्लेसेंटा अलग हो जाता है और रक्तस्राव हो सकता है. ऐसे में तीसरी तिमाही में गिरना गर्भपात का कारण बन सकता है.

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प्रेगनेंसी में मामूली रूप से गिरने पर गर्भाशय को अधिक नुकसान नहीं पहुंचता है, लेकिन जब महिला तेजी से गिरती है, तो इससे महिलाओं को कुछ जटिलाओं का सामना करना पड़ सकता है - 

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गर्भावस्था के दौरान महिला के अचानक गिरने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. ऐसे मामले मुख्य रूप से गर्भावस्था के तीसरी तिमाही में देखने को मिलते हैं -

  • पेट के बढ़ने से शरीर के ग्रेविटी सेंटर में बदलाव होता है और ये आगे की ओर चला जाता है. इस कारण से कई बार गर्भवती महिला के लिए बैलेंस बनाना मुश्किल हो जाता है और महिला गिर सकती है.
  • प्रेगनेंसी में वजन बढ़ने पर भी महिला गिर सकती है.
  • हार्मोन रिलैक्सिन के कारण महिलाओं में लिगामेंट्स और जोड़ नरम हो सकते हैं. इसकी वजह से महिलाएं प्रेगनेंसी में गिर सकती हैं.

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कोई व्यक्ति कभी भी गिर सकता है, इसका कोई बचाव नहीं हो सकता है, लेकिन प्रेगनेंसी में गिरना अधिक आम होता है, इसलिए अगर कुछ टिप्स फॉलो किए जाए, तो गिरने से बचा जा सकता है.

  • चलते समय ध्यान दें कि फर्श पर पानी या कोई तरल पदार्थ न गिरा हो. 
  • हमेशा अच्छी ग्रिप वाले जूते पहनें. 
  • हाई हील्स वाले जूते या सैंडल न पहनें. इनकी जगह फ्लैट फुटवियर पहनें.
  • सीढ़ियों से नीचे जाते समय रेलिंग को पकड़ें. 
  • हैवी सामान उठाने से बचें. धीरे-धीरे चलें.
  • बहुत अधिक शारीरिक गतिविधि करने से बचना चाहिए.
  • एनर्जी बनाकर रखें. इसके लिए हेल्दी डाइट लें.

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प्रेगनेंसी के दौरान गिरने पर निम्न अवस्थाओं में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए -

  • प्रेगनेंसी में पेट के बल गिरने पर.
  • गिरने के बाद योनि से रक्तस्राव होने पर.
  • गर्भाशय, पेल्विक और पेट में तेज दर्द होने पर.
  • अगर गर्भाशय संकुचन महसूस हो रहा हो.
  • बच्चे की मूवमेंट महसूस न कर पाना.

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प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान मामूली रूप से गिरना या हल्का झटका लगना चिंता का विषय नहीं होता है. वहीं, अगर दूसरी तिमाही के आखिरी दिनों और तीसरी तिमाही के दौरान महिला गिरती है, तो इससे मां और बच्चे दोनों को नुकसान पहुंच सकता है. पेट के बल गिरने और तेज चोट लगने से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है. इतना ही नहीं गर्भावस्था में गिरना मृत बच्चे के जन्म का कारण भी बन सकता है. इसलिए, प्रेगनेंसी में महिला को संभलकर चलना चाहिए. अगर कभी गर्भावस्था के दौरान गिर जाती हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें. 

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