गर्भावस्था के 9 महीने का सफर हर महिला के लिए अलग-अलग अनुभव लेकर आता है। किसी के लिए यह समय इतना आसान होता है कि कैसे निकल जाता है पता ही नहीं चलता, तो वहीं ज्यादातर महिलाओं को इस दौरान कई तरह की तकलीफों और मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही एक तकलीफ है नाभि में होने वाला दर्द। बहुत सी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था की दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही में नाभि में दर्द का अनुभव होता है और इसके कई कारण हो सकते हैं। 

प्रेगनेंसी के दौरान आपका शरीर हर महीने अलग-अलग तरह के बदलावों से गुजरता है। शारीरिक और मानसिक बदलावों के साथ-साथ शरीर के अंदर कई तरह के हार्मोनल बदलाव भी होते हैं। ऐसे में कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान नाभि में दर्द हो सकता तो कुछ को नहीं। किसी महिला को पहली प्रेगनेंसी के दौरान नाभि का दर्द महसूस हो सकता है तो दूसरी प्रेगनेंसी में नहीं। ऐसे में नाभि के इस दर्द को लेकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं, क्योंकि यह एक सामान्य सी बात है।

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दरअसल, आपकी नाभि ही शरीर का वह हिस्सा है जो गर्भाशय में मौजूद प्लेसेंटा से जुड़ी होती है। प्लेसेंटा के जरिए ही गर्भ में पल रहे बच्चे को ऑक्सिजन और जरूरी पोषण मिलता है। गर्भावस्था के दौरान जैसे-जैसे आपका बेबी बंप बाहर आने लगता है और पेट बड़ा होने लगता है तो नाभि में दर्द होना शुरू होता है। नाभि का यह दर्द महिला या बच्चे दोनों में से किसी के लिए नुकसानदेह नहीं है और आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद खुद ही ठीक हो जाता है। 

लेकिन सवाल ये है कि आखिर गर्भावस्था के दौरान नाभि में दर्द क्यों होता है, इसका कारण क्या है और इससे बचने का क्या उपाय है? इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं। 

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  1. प्रेगनेंसी में नाभि में दर्द होने का कारण - Pregnancy me nabhi me dard ka karan
  2. गर्भावस्था के दौरान नाभि का दर्द दूर करने के उपाय - Pregnancy me navel pain door karne ke upay
  3. प्रेगनेंसी में नाभि में दर्द होने पर कब करें डॉक्टर से संपर्क - Garbhavastha me nabhi me dard hone par kab doctor ko dikhaya cahiye
गर्भावस्था में नाभि में दर्द क्यों होता है? के डॉक्टर

आपको प्रेगनेंसी के दौरान नाभि में जो दर्द महसूस हो रहा है वह कई बार आपके शरीर के आकार, आप किस तरह से शिशु को गर्भ में कैरी कर रही हैं और आपकी स्किन का लचीलापन कितना है, इन बातों पर भी निर्भर करता है। इसके अलावा इस दर्द के लिए कई और कारण या कोई बीमारी भी जिम्मेदार हो सकती है। 

त्वचा और मांसपेशियों में होने वाला तनाव (स्ट्रेचिंग)
प्रेगनेंसी के दौरान जैसे-जैसे डिलिवरी के दिन नजदीक आते जाते हैं, आपके पेट का साइज बड़ा होने लगता है और त्वचा के साथ-साथ मांसपेशियां भी अपनी अधिकतम क्षमता तक फैल जाती हैं। इसकी वजह से त्वचा पर स्ट्रेच मार्क्स आ जाते हैं, खुजली होने लगती है और कई बार दर्द भी महसूस होने लगता है। इन सभी गतिविधियों के दौरान आपकी नाभि का सबसे अहम स्थान होता है और यही वजह है कि तनाव यानी स्ट्रेचिंग की इस पूरी प्रक्रिया के दौरान नाभि में इरिटेशन महसूस होने लगे।

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गर्भाशय की वजह से बनने वाला दबाव
जैसे-जैसे गर्भ में पल रहा भ्रूण बड़ा और विकसित होने लगता है, महिला का गर्भाशय भी भ्रूण को अपने अंदर सही तरीके से समायोजित करने के लिए सामान्य पोजिशन की तुलना में ज्यादा फैलने लगता है। गर्भाशय की इस गतिविधि की वजह से पेट पर दबाव बढ़ने लगता है खासकर नाभि पर। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान गर्भाशय, पेल्विस के अंदर फिट नहीं हो पाता है। और यह ब्रेस्ट और नाभि के बीच में आ जाता है। तो वहीं, तीसरी तिमाही के दौरान गर्भाशय और विस्तृत होते हुए रिब्स के नीचे के हिस्से से लेकर प्यूबिक एरिया तक फैल जाता है। गर्भाशय का विकास और गर्भ में बच्चे की पोजिशन की वजह से कई बार नाभि पर काफी प्रेशर पड़ता है और लंबे समय तक जब यह प्रेशर या दबाव जारी रहता है तो इस कारण दर्द, खुजली और असहजता महसूस होती है।

नाभि संबंधी हर्निया
अम्ब्लिकल या नाभि संबंधी हर्निया तब होता है जब पेट में बहुत ज्यादा प्रेशर बनने लगता है। लेकिन यह परिस्थिति सिर्फ गर्भवती महिला को ही प्रभावित नहीं करती। लेकिन अगर आपके गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे पल रहे हों या फिर अगर आप मोटापे का शिकार हों तो आपको नाभि संबंधी हर्निया होने का खतरा काफी अधिक होता है। इस दौरान आपको नाभि में दर्द के अलावा सूजन, उभार और उल्टी भी महसूस हो सकती है। जब तक की गर्भवती महिला को इसकी वजह से बहुत ज्यादा तकलीफ न हो रही हो, डॉक्टर हर्निया की सर्जरी नहीं करते।      

प्रेगनेंसी में नाभि का बाहर आना
कुछ गर्भवती महिलाओं की नाभि गर्भावस्था के दौरान बाहर आ जाती है और ये तब होता है जब गर्भावस्था के प्रेशर की वजह से महिला की अंदरूनी नाभि बाहर आ जाती है। बाहर निकले हुए नाभि की वजह से भी कई बार संवेदनशीलता अधिक होने के कारण नाभि में दर्द हो सकता है।

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नाभि का छेद (पियर्सिंग)
क्या आपने प्रेगनेंसी से कुछ दिन पहले ही नाभि में छेद करवाकर रिंग पहना है? अगर हां तो प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचने के लिए इसे हटा देना ही बेहतर होगा। किसी भी तरह के छेद या पियर्सिंग को पूरी तरह से भरने में करीब 1 साल का वक्त लगता है। अगर आपको ऐसा महसूस हो कि आपको नाभि में किसी तरह का इंफेक्शन हो गया है तो डॉक्टर से पूछने के बाद ही नाभि की रिंग को हटाएं। कई बार इस छेद की वजह से भी नाभि में दर्द हो सकता है।

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प्रेगनेंसी के दौरान नाभि में होने वाला दर्द हमेशा एक समान नहीं होता। यह दर्द आता-जाता रहता है और गर्भावस्था के अलग-अलग स्टेज में अलग-अलग तरह का होता है। कुछ महिलाएं इस प्रेशर और तनाव के साथ जीना सीख लेती हैं तो वहीं कई महिलाओं के लिए यह दर्द प्रेगनेंसी के आखिरी हफ्ता आते-आते जब नाभि बड़ी हो जाती है तब यह दर्द बेहद बुरा हो सकता है। ऐसे में इन उपायों को अपनाएं:

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  • नाभि पर प्रेशर कम करने की कोशिश करें। इसके लिए दाईं या बाईं तरफ करवट लेकर सोएं और सोते वक्त नाभि के नीचे तकिया लगाएं। इससे नाभि का प्रेशर कम होगा।
  • आप चाहें तो मैटरनिटी सपोर्ट बेल्ट भी लगा सकती हैं ताकि खड़े रहने के दौरान पेट और पीठ का प्रेशर कम करने में मदद मिले।
  • नाभि और आसपास के हिस्से में दर्द, खुजली और असहजता की समस्या को दूर करने के लिए आप चाहें तो गर्म पानी या हीटिंग पैड या फिर ठंडे पानी या आइसपैक से सिंकाई कर सकती हैं। लेकिन इन दोनों ही चीजों को तौलिए में लपेटकर ही सिंकाई करें। बहुत ज्यादा गर्म या ठंडे से सिंकाई करने पर भी नाभि की संवेदनशीलता को नुकसान पहुंच सकता है।
  • नाभि के आसपास के हिस्से की खुजली और दर्द दूर करने के लिए आप चाहें तो एलोवेरा जेल, प्रेगनेंसी-सेफ लोशन या कोको बटर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
  • अगर नाभि का दर्द अम्ब्लिकल हर्निया की वजह से नहीं है तो आप हल्के हाथों से मसाज भी कर सकती हैं और इससे भी दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है।

अगर ऊपर बताए गए उपायों को अपनाने के बाद भी आपको नाभि में दर्द में किसी तरह का कोई आराम नहीं मिल रहा हो या फिर आपको नाभि में दर्द के अलावा निम्नलिखित लक्षण भी दिखें तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें:

गर्भावस्था के दौरान होने वाली बाकी समस्याओं की ही तरह नाभि का दर्द भी वैसे तो डिलिवरी के बाद खुद ठीक हो जाता है। लेकिन अगर आप किसी बात को लेकर चिंतित हों या फिर दर्द असहनीय हो जाए तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

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