शिशु का जन्म नॉर्मल या सिजेरियन डिलीवरी से होता है. जब भी महिला को लेबर पेन उठता है, तो डॉक्टर सबसे पहले नॉर्मल डिलीवरी करवाने की कोशिश करते हैं. अगर उस दौरान कोई जटिलता नजर आती है, तो डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी करने का निर्णय ले सकते हैं. इनके अलावा, एक अन्य प्रक्रिया वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी भी है. इसमें शिशु को वैक्यूम प्लास्टिक कप की मदद से बर्थ कैनाल से बाहर खींचा जाता है. जब नॉर्मल डिलीवरी के समय शिशु खुद से बाहर नहीं निकल पाता है, तब वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी का इस्तेमाल किया जाता है. जहां इस प्रक्रिया के कुछ फायदे हैं, तो नुकसान भी हैं.

आज इस लेख में आप वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी के फायदे व नुकसान के बारे में जानेंगे -

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  1. वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी क्या है?
  2. सारांश
  3. इन स्थितियों में नहीं होती वैक्यूम डिलीवरी
  4. वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी में क्या होता है?
  5. वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी के नुकसान
  6. वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी क्यों की जाती है?
वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी के डॉक्टर

वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी वजाइनल डिलीवरी के दौरान अपनाई जाने वाली प्रक्रिया है. इसमें बच्चे को बर्थ कैनाल से बाहर निकालने के लिए वैक्यूम की मदद ली जाती है. वैक्यूम एक सॉफ्ट प्लास्टिक कप होता है. इसे बच्चे के सिर से जोड़ा जाता है और योनि से बाहर खींचा जाता है. वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी का इस्तेमाल आमतौर पर संकुचन के दौरान किया जाता है. इस प्रक्रिया को तब किया जा सकता है, जब गर्भवती महिला बच्चे को बाहर की तरफ धकेल नहीं पाती है.

वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी तभी किया जाना सुरक्षित होता है, जब बच्चा बर्थ कैनाल से काफी नीचे आ गया हो. अगर वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी भी विफल हो जाती है, तब सिजेरियन डिलीवरी की जरूरत पड़ती है.

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अगर पूरी ताकत से धकेलने के बाद भी शिशु को योनि से निकालने में दिक्कत आती है, तो डॉक्टर वैक्यूम का सहारा ले सकते हैं. वैक्यूम की मदद से बच्चे के सिर को बाहर की तरफ खींचा जा सकता है. जब वैक्यूम प्लास्टिक कप की मदद से भी बच्चे का पूरा शरीर बाहर नहीं निकल पाता है, तो ऐसे में सिजेरियन डिलीवरी ही आखिरी विकल्प होता है. अगर वैक्यूम डिलीवरी के बाद योनि स्राव, बुखार, संक्रमण और मल त्याग को नियंत्रित न कर पाने जैसी समस्या महसूस हो, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें. 

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निम्न अवस्था में डॉक्टर वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी के विकल्प को न अपनाने की निर्णय लेते हैं -

  • अगर गर्भवती महिला 34 सप्ताह से कम गर्भवती हैं.
  • अगर बच्चे को कोई रक्तस्राव विकार या हड्डियों से जुड़ी समस्या हो.
  • अगर शिशु का सिर बर्थ कैनाल के मध्य बिंदु से आगे नहीं आया है.
  • अगर बच्चे के कंधे, हाथ, नितंब या पैर बर्थ कैनाल से होकर आगे निकल रहे हैं.

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वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी को करने की प्रक्रिया इस प्रकार है -

  • वैक्यूम लगाने पर योनि को सुन्न करने की दवा दी जा सकती है.
  • वैक्यूम प्लास्टिक कप को बच्चे के सिर पर रखा जाता है.
  • इसके बाद संकुचन के दौरान महिला को धक्का देने के लिए कहा जाता है.
  • इस दौरान डॉक्टर बच्चे को बाहर की तरफ खींचते हैं.
  • जब बच्चे का सिर हाथ में आ जाता है, तो बच्चे के बाकि के हिस्से को धक्का दिया जाता है.
  • हां, अगर वैक्यूम की मदद से भी बच्चे को निकालने में दिक्कत आ रही है, तो सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प चुना जाता है.

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वैसे तो वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी बच्चे को निकालने की प्रक्रिया को आसान बनाता है, लेकिन इससे मां और बच्चे दोनों को चोट लगने का जोखिम बढ़ सकता है. अगर वैक्यूम का ठीक से उपयोग किया जाए, तो जोखिम से बचा भी जा सकता है. वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी से निम्न जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है -

सिर पर निशान बनना

वैक्यूम का इस्तेमाल करने से बच्चे के सिर के पीछे एक निशान बन सकता है. यह रक्तस्राव का कारण नहीं बनता है. साथ ही कुछ दिनों में ठीक हो सकता है.

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पीलिया

इस दौरान बच्चे में पीलिया के लक्षण नजर सकते हैं. इसकी अधिक संभावना हो सकती है, लेकिन सही इलाज से इसे ठीक किया जा सकता है.

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सिर में घाव

इस डिलीवरी के दौरान बच्चे के सिर में फ्रैक्चर हो सकता है. इससे सिर से खून बह सकता है और घाव बन सकता है. 

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बच्चे के फंसने का जोखिम

वैक्यूम डिलीवरी में बच्चे का सिर तो आसानी से निकल जाता है, लेकिन कुछ मामलों में कंधा फंसने का अधिक जोखिम रहता है. 

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बार-बार पेशाब आना

गर्भावस्था के दौरान तो महिलाओं को बार-बार पेशाब आता ही है, लेकिन वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी के बाद भी महिला को बार-बार पेशाब आ सकता है.

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योनि स्राव

वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी के बाद महिलाओं को योनि स्राव हो सकता है. इसके अलावा, सफेद पानी या रक्तस्राव की समस्या भी हो सकती है.

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पेशाब करने में दिक्कत

इस प्रक्रिया को अपनाने के बाद महिलाओं को पेशाब करने के दौरान दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.

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प्रसव के बाद पेरिनेम में दर्द

वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी के बाद महिला को पेरिनेम में दर्द महसूस हो सकता है. यह एक टिश्यू है, जो योनि और गुदा के बीच स्थित होता है. 

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डॉक्टर वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी करने की सलाह तब दे सकते हैं, जब गर्भाशय ग्रीवा पूरी तरह से फैल जाती है और झिल्ली फट जाती है. साथ ही बच्चा बर्थ कैनाल में भी आ जाता है, लेकिन महिला बच्चे को बाहर धकेलने में सक्षम नहीं हो पाती है. वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी निम्न स्थितियों में की जी सकती है-

स्वास्थ्य समस्याएं

जब किसी महिला को कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या होती है, तो भी डॉक्टर बच्चे को निकालने के लिए वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी का विकल्प चुन सकते हैं. हृदय के महाधमनी वाल्व के संकुचन होने पर वैक्यूम का यूज किया जा सकता है.

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बच्चे की धड़कन में समस्या

जब बच्चे की धड़कन में समस्या देखने को मिलती है, तो भी वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है. वैक्यूम की मदद से डिलीवरी को आसान बनाया जा सकता है.

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बच्चे को बाहर धकेलने में दिक्कत

वैक्यूम असिस्टेड डिलीवरी तब की जा सकती है, जब महिला बच्चे को बाहर धकेलने की कोशिश कर रही है, लेकिन सक्षम नहीं हो पा रही है. कई घंटों तक धक्का देने के बाद भी जब बच्चा बाहर नहीं निकलता है, तो डॉक्टर वैक्यूम लगाने की सलाह दे सकते हैं.

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