गर्भावस्था के पांचवे हफ्ते में प्रवेश करने तक आप मासिक धर्म न होने का, घर गर्भावस्था परीक्षण आदि का अनुभव और कुछ प्रेगनेंसी सम्बंधित परेशनियों जैसे मॉर्निंग सिकनेस, दर्द, स्तनों में असहजता, थकान, चक्कर आदि महसूस करने लगती हैं। यह सब गर्भावस्था के 5वें सप्ताह का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस हफ्ते के अल्ट्रासाउंड में गर्भ में बच्चे की उपस्थिति पता चलने लगती है। 

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  1. पांच हफ्ते की गर्भवती महिला के शरीर में होने वाले बदलाव - Body changes when 5 weeks pregnant in Hindi
  2. पांच हफ्ते की गर्भावस्था में भ्रूण का विकास - Baby development in 5th week of pregnancy in Hindi
  3. पांच हफ्ते के गर्भ का अल्ट्रासाउंड - Ultrasound of 5th week pregnancy in Hindi
  4. पांचवें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स - Week 5 pregnancy tips in Hindi
  5. प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते का डाइट प्लान - Diet in 5 weeks pregnancy in Hindi

पांचवे हफ्ते में आपको गर्भावस्था के सभी लक्षणों का अनुभव होने लगता है और प्रेगनेंसी टेस्ट रिजल्ट्स में आपके शरीर में एचसीजी हार्मोन का स्तर अधिक निकलता है जिसका अर्थ है कि आप गर्भवती हैं। लेकिन हार्मोनों के स्तर में अत्यधिक और तेज़ी से बदलाव होने से भावनाओं पर नियंत्रण करना थोड़ा कठिन हो जाता है जिसके परिणाम स्वरुप मूड बदलने (Mood swing) जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

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इस सप्ताह में आपको शायद महसूस न हो लेकिन पेट में सूजन का अनुभव होगा। आपका पेट सही प्रकार से लगभग 14 हफ्तों तक नहीं बढ़ता लेकिन उसपर दबाव निरंतर बढ़ता है जिस कारण आपको विश्राम करने की अधिक आवश्यकता होती है। इस हफ्ते तक आपको देखकर यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि आप गर्भवती हैं।

प्रेगनेंसी के पांचवे सप्ताह में बच्चा तेजी से विकास करना शुरु करता है। पांचवें सप्ताह के अंत तक यह मेढ़क के बच्चे जैसा दिखता है। उसमें पूंछ भी होती है और वो संतरे के बीज के आकार या लंबाई में 1-5 मिमी. का होता है। 

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इस सप्ताह के दौरान आपके बच्चे के महत्वपूर्ण अंगों जैसे दिल, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system), हड्डियां और मांसपेशियां आदि का विकास होता है। इसके अलावा कंकाल भी इसी समय बनना प्रारम्भ हो जाता है। 

बच्चे के हृदय का विकास तेज़ी से होता है क्योंकि उसे चार कक्षों में विभाजित होने के साथ ब्लड को पंप करने का कार्य भी करना होता है। कुछ अल्ट्रासाउंड में पांचवे सप्ताह में बच्चे के दिल की धड़कन सुनाई देने लगती है।

तंत्रिका ट्यूब जो अंत में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में परिवर्तित हो जाती है उसका निर्माण इसी हफ्ते से शुरू होता है। इस दौरान ही प्लेसेंटा भी विकसित होता है जिसके माध्यम से आपके बच्चे को पोषण प्राप्त होता है। आँखें, कान, नाक, मुंह, हाथ और पैरों की उंगलियां आदि भी दिखनी शुरू हो जाती हैं। 

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काले रंग का गोला जो अल्ट्रासाउंड में दिखाई देता है वो गर्भावधि थैली (Gestational sac) कहलाता है। अंत में यह थैली, एम्नियोटिक द्रव (Amniotic fluid) द्वारा भर जाती है जिसमें अगले कुछ महीनों तक आपका बच्चा रहता है। तरल पदार्थ के अंदर सफेद रंग का गोला योल्क सैक (Yolk sac) होता है जो प्लेसेंटा के पूरी तरह से बनने से पहले आपके बच्चे को विकास करने के लिए पोषक तत्व उपलब्ध कराता है। योल्क सैक के निकट स्थित + निशान का अर्थ है कि भ्रूण अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है। इस अल्ट्रासाउंड के माध्यम से सोनोग्राफर आपके भ्रूण की लंबाई मापते हैं और यह भी आंकलन करते हैं कि आपके आखिरी पीरियड्स कब हुए थे या यूं कहें कि आपकी गर्भावस्था के सही समय का आंकलन करते हैं। 

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इस हफ्ते तक आप को पूर्ण रूप से यह सुनिश्चित हो जाता है कि आप गर्भवती हैं तो अगर आपने अपने साथी को यह खुशखबरी नहीं दी है तो यह समाचार उनके साथ साझा करें। यह आपके जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण समय है, अगर आपने अपनी बुरी आदतों को बंद नहीं किया है या अपनी व्यस्त जीवन शैली में बदलाव नहीं किया है तो अब ऐसा करना शुरु कर दीजिये अन्यथा आपको अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 

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पांचवें सप्ताह में आपके बच्चे के महत्वपूर्ण अंगों का विकास होता है इसलिए अपनी खराब आदतों (शराब, धूम्रपान, ड्रग्स, बिना सलाह की दवाओं आदि) में परिवर्तन कर दीजिये अन्यथा आपके बच्चे के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। इनकी लत से छुटकारा पाने के लिए आप अपने निकटतम स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर सकती हैं।

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यह हफ्ता आपके बच्चे के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हफ्ता होता है क्योंकि इस दौरान उसका विकास बहुत ही तेज़ी से होने लगता है। इसलिए उसे विकास करने के लिए पोषण की आवश्यकता होती है। इसके लिए ज़रूरी है कि आप आवश्यक और पर्याप्त पोषक तत्वों का सेवन करें। इस दौरान आपको उचित मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन, फोलिक एसिड आदि का सेवन करना चाहिए। (और पढ़ें - गर्भावस्था में क्या खाएं और क्या ना खाएं)

  1. आपको अपनी डाइट में फलों और हरी सब्ज़ियों की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। आयरन समृद्ध खाद्य पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करें जो आपके शिशु की लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने के लिए बेहद ज़रूरी होते हैं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में खून की कमी)
  2. कॉफी या कैफीन का सेवन कम से कम करें।
  3. बाहर का खाना जहाँ तक संभव हो न खाएं क्योंकि उससे संक्रमण होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  4. अपने आहार में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की मात्रा बढ़ाएं। डेयरी पदार्थों, अंडे, चिकन आदि में प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।
  5. पर्याप्त मात्रा में पानी पीती रहें क्योंकि इस दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत आवश्यक है। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी डाइट चार्ट)
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