शरीर में वसा कई रूपों में मौजूद होती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड इन्हीं का ही एक प्रकार है। यह आपके मस्तिष्क और आंखों के लिए आवश्यक होता है।

मां के गर्भ में बच्चे के दिमाग के निर्माण में ओमेगा 3 महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा ओमेगा 3 आपको हृदय संबंधी रोग व अन्य कई बीमारियों से दूर रखने में मदद करता होता है। इसकी उपयोगिता के कारण आपको ओमेगा 3 के बारे में विस्तार से बता रहें हैं।

इस लेख में आगे आपको ओमेगा 3 फैटी एसिड क्या है, ओमेगा 3 के लाभ, ओमेगा 3 के नुकसान और ओमेगा 3 के स्त्रोत के बारे में बताया जा रहा है। 

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  1. ओमेगा 3 फैटी एसिड क्या है - Omega 3 fatty acid kya hai
  2. ओमेगा 3 के लाभ - Omega 3 ke labh
  3. ओमेगा 3 के नुकसान - Omega 3 ke nuksan
  4. ओमेगा 3 के स्त्रोत - Omega 3 ke srot

"ओमेगा 3 फैटी एसिड" को छोटा करके "ओमेगा 3" कहा जाता है। यह मानव शरीर के लिए जरूरी फैटी एसिड में से एक होता है। शरीर में में यह प्राकृतिक रूप से नहीं बना पाता है, इसलिए इसको आहार में शामिल करने की जरूरत होती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड पॉलीअनसैचुरेटेड वसा का रूप है, पॉलीअनसैचुरेटेड वसा शरीर के लिए जरूरी होती है। इससे शरीर को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।

ओमेगा 3 के तीन मुख प्रकार होते हैं -

  • एएलए (ALA/ अल्फा-लिनोलेनिक एसिड)
  • डीएचए (DHA/ डोकोसाहेक्साएनोइक एसिड)
  • ईपीए (EPA/ ईकोसापेन्टैनेनोइक एसिड)

एएलए (ALA) मुख्य रूप से पौधों में पाया जाता है, जबकि डीएचए (DHA) और ईपीए (EPA) मांसाहार से मिलता है। शरीर की कार्यप्रणाली के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड की आवश्यकता होती है और यह अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी होता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड वसा युक्त मछली, मछली के तेल, अलसी के बीज, अलसी के तेल और अखरोट जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। 

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अवसाद और चिंता को दूर करता है

मानसिक विकार का सबसे आम प्रकार है अवसाद। इससे आपको उदासी, सुस्ती और जीवन में रुचि नहीं रहती है। इसके अलावा आज के दौर में चिंता भी हर दूसरे व्यक्ति को होना आम बात है, इसमें व्यक्ति को घबराहट भी महसूस होती है। अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग नियमित रूप से ओमेगा 3 फैटी एसिड का उपभोग करते हैं, उनको अवसाद और चिंता होने की संभावनाएं कम होती है।

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आंखों के लिए फायदेमंद

डीएचए (Docosahexaenoic acid/ DHA/ मस्तिष्क और आंखों के लिए जरूरी तत्व) ओमेगा 3 का ही एक प्रकार होता है। यह मस्तिष्क और आंखों की रेटिना के लिए जरूरी माना जाता है। जब आप पर्याप्त मात्रा में डीएचए ग्रहण नहीं करते हैं, तो इससे आपकी आंखों को नुकसान होता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिक मात्रा में ओमेगा-3 लेने से मैक्युलर डीजेनेरेशन (Macular degeneration) के जोखिम कम हो जाते हैं। मैक्युलर डीजेनेरेशन आंखों की समस्याओं में से एक है, इसमें आपको धुंधाला दिखाई देता है या दिखना कम हो जाता है।

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गर्भावस्था में बच्चे के मस्तिष्क निर्माण में सहायक

ओमेगा-3 फैटी एसिड बच्चों के मस्तिष्क के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है। मस्तिष्क में पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड का 40% और आंख की रेटिना में 60% का हिस्सा होता है डीएचए (ओमेगा 3 का एक प्रकार)। इसलिए बच्चों को डीएचए  से समृद्ध फार्मूला देने से उनकी आंखों की रोशनी को बेहतर किया जा सकता है।

गर्भावस्था के दौरान मां के द्वारा ओमेगा 3 फैटी एसिड लेने से बच्चे को कई तरह के फायदे होते हैं, जैसे -

  • दिमाग तेज होना
  • मिलनसार होना
  • व्यवहारिक समस्याएं कम होना
  • बढ़ने में आने वाली मुश्किलें कम होना
  • एडीएचडी (ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार/ ADHD)
  • आटिज्म (Autism)
  • सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral palsy/मस्तिष्क संबंधी विकार) का जोखिम कम होना आदि।
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हृदय संबंधी जोखिमों को कम करने में मददगार

दिल का दौरा और स्ट्रोक दुनिया भर में मृत्यु का प्रमुख कारण माना जाता है। एक रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया कि मछली खाने वाले समुदायों में इस तरह की बीमारियों की बहुत कम दर थी। बाद में शोधकर्ताओं ने पाया कि इसका कारण था इस समुदाय के लोगों द्वारा आंशिक रूप से ओमेगा-3 लेना। तब से ओमेगा-3 फैटी एसिड दिल के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी माना जाता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड से दिल के स्वास्थ्य को निम्न तरह के फायदे होते हैं -

  • ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides/ रक्त में पाई जाने वाली वसा) - ओमेगा-3 ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने का बड़ा कारण होता है, आमतौर पर ओमेगा-3 इसको 15-30% तक कम कर सकता है।
  • रक्तचाप - ओमेगा-3 उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) वाले लोगों में, रक्तचाप के स्तर को कम करने में सहायक होता है। (और पढ़ें - हाई बीपी का आयुर्वेदिक इलाज)
  • एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल - ओमेगा 3 एचडीएल (अच्छा कोलेस्ट्रोल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मददगार होता है। (और पढ़ें - हाई कोलेस्ट्रॉल का इलाज और कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय)
  • रक्त के थक्के - ओमेगा 3, रक्त में मौजूद प्लेटलेट्स को एक साथ चिपकने से रोकता है। यह हानिकारक रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया को कम करने में मदद करता है।
  • प्लाक (Plaque) - धमनियों को स्वस्थ और क्षति से मुक्त रखने के लिए ओमेगा 3 धमनियों में प्लाक नहीं जमने देता है।
  • सूजन - ओमेगा 3 सूजन के कारणों को कम करने का कार्य करता है। (और पढ़ें - सूजन कम करने के घरेलू उपाय)

ओमेगा 3 स्व-प्रतिरक्षित रोगों को कम करता है

ऑटो-इम्यून डिजीज (auto-immune disease; स्व-प्रतिरक्षित रोगों) में प्रतिरक्षा तंत्र स्वस्थ कोशिकाएं को खराब समझ कर उन्हें नष्ट करने लगता है। डायबिटीज टाइप 1 इस समस्या का एक उदाहण है। इसमें आपका प्रतिरक्षा तंत्र अग्नाशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला करता है।

अध्ययन से पता चला है कि जन्म के बाद पहले साल में ओमेगा 3 लेने से स्व प्रतिरक्षित रोग होने का खतरा बेहद कम हो जाता है। ओमेगा-3 लुपसरुमेटाइड आर्थराइटिसअल्सरेटिव कोलाइटिसक्रोन रोग और सोरायसिस के इलाज में मदद करने के लिए भी काम आता है।

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ओमेगा 3 अल्जाइमर रोग के खतरे को कम करता है

उम्र बढ़ने के कारण मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में गिरावट आ जाती है। कई अध्ययनों से पता चला है कि ओमेगा 3 युक्त आहार का सेवन करने से बढ़ती उम्र में कमजोर याददाश्त और अल्जाइमर रोग का जोखिम कम हो जाता है। इसके अतिरिक्त एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग फैटी मछली खाते हैं उनकी याददाश्त तेज होती है।

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ओमेगा 3 फैटी एसिड से होने वाले अन्य फायदे​

ओमेगा 3 आपके शरीर के लिए महत्वपूर्ण होता है, लेकिन कई मामलों में यह आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है। मरकरी युक्त मछली का सेवन करने से गर्भवती महिलाओं को बचना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर वितरीत प्रभाव पड़ता है। ओमेगा 3 को किसी भी रूप में बिना डॉक्टरी सलाह के लेने से बचना चाहिए। ओमेगा 3 के साइड इफेक्ट्स को निम्नतः बताया जा रहा है।

  • रक्त स्त्राव होने का खतरा अधिक होता है। कई मामलों में ओमेगा 3 युक्त दवाओं के सेवन से आपको रक्त संबंधी विकार होने का खतरा रहता है। इसमें रक्त के पतले होने की भी संभावनाएं होती है।
  • ओमेगा 3 आपकी आंतों से सम्बंधित समस्याओं का कारण बन सकता है। मुख्यतः मछली के तेल के पूरक (supplements) लेने से आपको जी मिचलाना और मुँह में ख़राब स्वाद रह जाने की समस्या हो सकती है। ओमेगा 3 के पूरक लेने से आपको दस्त, डकार आना, एसिडिटी, पेट फूलना और सीने में जलन की शिकायत हो सकती है। (और पढ़ें - सीने की जलन के घरेलू उपाय)
  • ओमेगा 3 के पूरक लेने से आपका बीपी लो हो सकता है। लो ब्लड प्रेशर की दवा लेने वाले व्यक्तियों को इसे लेने में सर्तकता बरतनी चाहिए। (और पढ़ें - लो बीपी के घरेलू उपाय)
  • मछली के तेल से बनी दवाओं को लेने से आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर तेजी से बढ़ सकता है। डायबिटीज की दवा के साथ ओमेगा 3 पूरक प्रतिक्रिया करके नुक्सान पहुंचा सकते हैं। अगर ऐसा हो जाये तो परिणामस्वरूप आपकी रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है। (और पढ़ें - शुगर कम करने के घरेलू उपाय)

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ओमेगा 3 फैटी एसिड को खाद्य पदार्थों से ग्रहण किया जा सकता है। ओमेगा 3 के स्त्रोत यहाँ विस्तार से बताये गए हैं -

  1. अखरोट –
    ओमेगा 3 पाने के लिए आप अखरोट का सेवन कर सकते हैं। करीब 7 अखरोट से आपको लगभग 2542 मिलीग्राम ओमेगा 3 फैटी एसिड प्राप्त होता है। ओमेगा 3 के अलावा अखरोट में कई तरह के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें काफी मात्रा में मैग्नीशियम, कॉपर और विटामिन ई पाया जाता है। अखरोट को बिना छिलका उतारे खाना चाहिए। इसके छिलके में एंटीऑक्सीडेंट तत्व मौजूद होते हैं।
     
  2. अलसी के बीज –
    भारतीय बाजारों में आसानी से अलसी के बीच मिल जाते हैं। यह शरीर के लिए बेहद उपयोगी होते हैं। ओमेगा 3 की जरूरत को पूरा करने के लिए आप अपने आहार में अलसी के बीजों को शामिल कर सकते हैं। एक चम्मच अलसी के बीज में करीब 1597 मिलीग्राम ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है। ओमेगा 3 के अलावा इसमें विटामिन ई और मैग्नीशियम भी पाया जाता है। (और पढ़ें - अलसी के तेल के फायदे)
     
  3. सोयाबीन –
    सोयाबीन में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड भी मौजूद होता है। सोयाबीन की 100 ग्राम मात्रा से ओमेगा 3 की लगभग 1443 मिलीग्राम जरूरत को पूरा किया जा सकता है। ​इसके अलावा सोयाबीन से आपको कई तरह के विटामिन और खनिज मिलते हैं। सोयाबीन फाइबर, प्रोटीन, विटामिन के, फोलेट, मैग्नीशियम और पोटेशियम का मुख्य स्त्रोत माना जाता है। (और पढ़ें - सोया मिल्क के फायदे)
     
  4. फूलगोभी –
    100 ग्राम फूलगोभी से करीब 37 मिलीग्राम ओमेगा 3 मिलता है।​ फूलगोभी से मैग्नीशियम, नियासिन और पोटेशियम के अलावा अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।
     
  5. सैल्मन मछली –
    सैल्मन मछली ओमेगा 3 से सबसे अधिक समृद्ध मछलियों में गिना जाता है। 100 ग्राम सैल्मन मछली से आप करीब 2260 मिलीग्राम ओमेगा 3 फैटी एसिड ग्रहण कर सकते हैं। इससे न सिर्फ ओमेगा 3, बल्कि प्रोटीन, विटामिन बी5, मैग्नीशियम और पोटेशियम भी मिलता है। (और पढ़ें - मछली के तेल के फायदे)
     
  6. टूना मछली –
    टूना की कई तरह की प्रजातियां होती हैं जिनमें ओमेगा 3 की मात्रा अलग-अलग पाई जाती है। जिसमें ओमेगा 3 अधिक मात्रा में हो, आपको उसी प्रजाति की मछली को लेना चाहिए। 85 ग्राम ट्यूना से आपको करीब 1414 मिलीग्राम ओमेगा 3 मिलता है, यह मात्रा मछली के प्रजाति के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।
     
  7. अंडे –
    अंडे में प्रोटीन, कई तरह के विटामिन और ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है। आप अपने आहार में अंडों को शामिल कर सकते हैं। एक अंडे से आपको करीब 225 मिलीग्राम फैटी एसिड मिलता है। अगर आपको कोलेस्ट्रोल संबंधी समस्या हो तो अंडे खाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। (और पढ़ें - क्या गर्मियों में अंडे खाना सही है)
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