अगर आप भी मां बनने जा रहीं हैं तो आपके लिए ये जानना बहुत ज़रूरी है कि छोटे मेहमान के आने के बाद आपकी रातों की नींद पर असर पड़ने वाला है। लेकिन ये कितना मुश्किल होगा इसका अंदाज़ा तो आपको गर्भावस्था के दौरान ही होगा।

दरअसल, आप अपनी गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान सामान्य से ज्यादा सो सकती हैं। गर्भावस्था में थकान महसूस करना सामान्य है क्योंकि इस समय प्लेसेंटा बन रही होती है, आपके शरीर में अतिरिक्त रक्त बन रहा होता है और आपका दिल तेजी से धड़कने लगता है।

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आमतौर पर गर्भावस्था के बाद, ज्यादातर महिलाओं को पर्याप्त गहरी, निर्बाध नींद लेने में परेशानी होती है। इस लेख में इसी समस्या के कारण और कुछ उपाय बताये गए हैं।

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  1. गर्भावस्था में नींद न आने के कारण - Why is it difficult to sleep during pregnancy in Hindi
  2. गर्भावस्था में सोने का सही तरीका - Correct sleeping positions during pregnancy in Hindi
  3. प्रेग्नेंसी में अच्छी नींद लाने के उपाय - Tips for successful sleep during pregnancy in Hindi
  4. गर्भावस्था में कितना सोना चाहिए - How much sleep is enough during pregnancy in Hindi
  5. गर्भावस्था में नींद के डॉक्टर

गर्भावस्था के दौरान नींद की समस्याओं के पीछे पहला और सबसे बड़ा कारण भ्रूण का बढ़ता आकार होता है, जो सोने की आरामदायक स्थिति को कठिन बनाता है। यदि आप हमेशा से पीठ या पेट के बल सोती हैं, तो आपको अब डॉक्टर की सलाह के अनुसार, करवट लेकर सोने में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा, बिस्तर पर चारों ओर घूमते हुए सोना और अधिक मुश्किल हो जाता है। सोने में अन्य आम शारीरिक लक्षण भी हस्तक्षेप कर सकते हैं जो इस प्रकार हैं:

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  1. बार बार पेशाब महसूस होना: आपके शरीर में बहने वाले खून की बढ़ी हुयी मात्रा को फिल्टर करने के लिए आपकी किडनी अधिक काम करती है और इस फ़िल्टरिंग प्रक्रिया से अधिक मूत्र बनता है। और जैसे जैसे बच्चा बढ़ता है, गर्भाशय भी बड़ा होता जाता है, जिससे आपके मूत्राशय पर दबाव बढ़ जाता है। इस कारण आपको बाथरूम के अधिक चक्कर लगाने पड़ते हैं और अगर बच्चा रात में अधिक सक्रिय होता है तो रात में इन चक्करों की संख्या अधिक हो सकती है।
  2. हृदय दर में वृद्धि: आपके हृदय की दर, अधिक रक्त पंप करने के लिए बढ़ जाती है, और जब शरीर रक्त की अधिक आपूर्ति गर्भाशय में करता है, उस समय आपका हृदय आपके शरीर के बाकी हिस्सों में पर्याप्त रक्त भेजने के लिए अतिरिक्त कार्य करता है।
  3. सांस की तकलीफ: गर्भावस्था के दौरान हार्मोनों में होने वाली वृद्धि, अधिक गहराई से साँस लेने के लिए प्रेरित करती है। आपको ऐसा महसूस हो सकता है जैसे आप सांस लेने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। जैसे जैसे आपका गर्भाशय बढ़ेगा वो अधिक जगह लेगा, जिसके परिणामस्वरूप आपके डायाफ्राम (फेफड़ों के नीचे की पेशियां) पर दबाव पड़ेगा, जिस कारण बाद में सांस लेना और अधिक कठिन हो सकता है।
  4. पैरों की ऐंठन और पीठ दर्द: प्रेग्नेंसी में महिलाओं द्वारा अतिरिक्त वजन सहने के कारण पैरों या पीठ में दर्द हो ही जाता है। गर्भावस्था के दौरान, शरीर रिलैक्सिन (Relaxin- आराम पहुंचाने वाला) हार्मोन का स्रावण करता है, जो प्रसव के दौरान मदद करता है। (और पढ़ें - गर्भावस्था में दर्द)
  5. सीने में जलन और कब्ज: गर्भावस्था में सीने में जलन और कब्ज की शिकायत भी होती है, जो तब होती है जब सारा खाना भोजन नली (Esophagus) में वापस चला जाता है। गर्भावस्था के दौरान पूरा पाचन तंत्र धीमा पड़ जाता है और भोजन पेट और आंतों में रह जाता है, जिससे हार्टबर्न (Heartburn) या कब्ज की समस्या होती है। (और पढ़ें - गर्भावस्था में कब्ज)

आपकी नींद की समस्याओं के अन्य कारण भी हो सकते हैं। कई गर्भवती महिलाएं रिपोर्ट करती हैं कि उनके सपने सामान्य से अधिक ज्वलंत होते हैं, और कुछ का कहना तो यहां तक है कि उन्हें बुरे सपने भी आते हैं।

तनाव के कारण नींद आने में भी परेशानी हो सकती है। शायद आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित हों या माता-पिता के रूप में अपनी ज़िम्मेदारियों के बारे में या फिर प्रसव पीड़ा के बारे में सोचकर डर महसूस करती हों। ये सभी भावनाएं महसूस होना सामान्य हैं, लेकिन वे रात में आपको अधिक परेशान कर सकती हैं।

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गर्भावस्था के शुरूआती समय से, एक तरफ करवट लेकर सोने की आदत डालें। करवट लेकर, घुटनों को मोड़कर सोना सबसे आरामदायक स्थिति होती है। इससे आपका दिल भी आसानी से काम कर पाता है क्योंकि यह शिशु के वजन का दबाव बड़ी नस (Inferior vena cava) पर नहीं पड़ने देता, जो आपके पैरों से रक्त को वापस दिल तक लाती है।

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कुछ डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से बायीं ओर सोने की सलाह देते हैं क्योंकि लिवर पेट के दाहिनी ओर होता है, तो बाईं ओर करवट लेकर सोने से गर्भाशय को लिवर से अलग रखने में मदद मिलती है। बायीं तरफ सोने से हृदय में रक्त संचरण (Blood circulation) भी अच्छी तरह से होता है और भ्रूण, गर्भाशय और किडनी में भी रक्त प्रवाह सुचारू रूप से होता है।

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लेकिन इस बात को लेकर बिलकुल भी चिंतित न हों कि आप रात में पीठ के बल नहीं सो सकतीं। सोते समय सोने की मुद्राएं बदलना एक स्वाभाविक क्रिया है जिसे आप नियंत्रित नहीं कर सकतीं। प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही के दौरान, आप पीठ के बल नहीं सो पाएंगी क्योंकि उस समय यह बहुत ही असुविधाजनक होगा।

यदि आप पीठ के बल सोने की कोशिश करेंगी, तो असुविधा के कारण आप नहीं सो पाएंगी। इस सम्बन्ध में अपने डॉक्टर से बात करें, वो आपको एक तरफ सोने के लिए तकिया का उपयोग करने को कह सकते हैं। कई महिलाओं को इस दौरान पेट के नीचे या पैरों के बीच में तकिया लगाने से काफी आराम मिलता है। इसके अलावा, आप कंबल को रोल करके भी उपयोग कर सकती हैं। आप बाजार से भी "प्रेग्नेंसी तकियों" का चयन कर सकती हैं।

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याद रखें कि गर्भवती महिलाओं को किसी भी प्रकार की समस्या में कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह पर ही दें। हालांकि नींद न आने की भी काफी सारी गोलियां बाजार में उपलब्ध होती हैं लेकिन प्रेग्नेंसी में नींद न आने पर डॉक्टर से पूछ कर ही कोई भी दवा उन्हें दें। इसके अलावा, निम्न सुझाव रात को अच्छी नींद लाने में आपकी मदद कर सकते हैं:

  1. अपने आहार से सोडा, कॉफी और चाय जैसे कैफीन युक्त पेय पदार्थों को जितना संभव हो, उतना कम कर दें। सुबह सुबह या दोपहर खासतौर से इनका सेवन न करें।
  2. सोने से पहले अधिक मात्रा में खूब सारा पानी न पिएं या अधिक भोजन न खाएं (लेकिन ध्यान रखें कि आप दिन भर में भरपूर पोषक तत्व और तरल पदार्थ लें) कुछ महिलाओं को नाश्ते में और दोपहर के भोजन में अधिक और रात में कम खाना खाना बेहतर लगता है। अगर आपको मतली का अनुभव हो रहा है, तो सोने से पहले कुछ हल्का जैसे बिस्किट वगैरह खा लें।
  3. रोज़ रात को सोने और सुबह जागने का एक समय निश्चित कर लें।
  4. सोने से पहले कठोर व्यायाम न करें। इसके बजाय, खुद को आराम देने वाले काम करें जैसे किताब पढ़ें या गर्म, कैफीन रहित पेय जैसे शहद के साथ दूध या हर्बल चाय पिएं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में व्यायाम)
  5. यदि आपके पैरों में ऐंठन की वजह से आपकी नींद खुल जाती है, तो पैर दबाने से इसमें मदद मिल सकती है। कुछ महिलाओं को लगता है कि सोने से पहले उनकी पिण्डलियों को खींचने से उनको आराम मिलता है। इसके अलावा, अपने आहार में पर्याप्त कैल्शियम और मैग्नीशियम शामिल करें, जो पैरों की ऐंठन को कम करने में मदद करते हैं। लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना कोई सप्पलीमेंट न लें।
  6. योग क्लास ज्वाइन करें। लेकिन इससे पहले अपने चिकित्सक के साथ किसी भी नई गतिविधि या फिटनेस आहार पर चर्चा ज़रूर करें। (और पढ़ें - गर्भावस्था में योग)
  7. अगर डर और चिंता की वजह से आपको नींद नहीं आ रही है तो पेरेंटिंग क्लास ज्वाइन कर लें। अधिक ज्ञान और अन्य गर्भवती महिलाओं के साथ से आपको रात में जागने की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी।

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गर्भवती महिलाओं को अक्सर गर्भावस्था की तिमाही के अनुसार, अधिक नींद की आवश्यकता होती है। पहली तिमाही के दौरान, महिलाओं को प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण अधिक नींद आती है जो बच्चे में प्लेसेंटा की वृद्धि और पोषक तत्वों की बढ़ती मांग को पूरा करता है। दुर्भाग्यवश, गर्भवती महिलाओं को रात के दौरान सोने में अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि रात में उन्हें अक्सर मूत्रत्याग के लिए जागना पड़ता है।

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दूसरी तिमाही के दौरान, नींद में थोड़ा सुधार होता है। गर्भवती महिलाएं बायीं ओर सोने का अभ्यास करके पर्याप्त नींद ले सकती हैं। जैसे-जैसे गर्भावस्था तीसरी तिमाही में बढ़ती है, महिलाओं को फिर से सोने में मुश्किल होती है क्योंकि अब उन्हें अपने पेट के बड़े आकार के कारण आरामदायक स्थिति नहीं मिल पाती। इसके अलावा, जैसे पहली तिमाही में, गर्भवती महिलाओं को बार बार पेशाब जाने का अनुभव होता है इस तिमाही में उन्हें सीने में जलन और अन्य नींद की समस्याएं हो सकती हैं। अंत में, नए माता-पिता के लिए भी बच्चे के जन्म के बाद कुछ हफ्तों के लिए नींद पूरी कर पाना मुश्किल होता है।

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