जैसे ही आप गर्भावस्था के 40वें सप्ताह में प्रवेश करती हैं, आप प्रसव के लिए चिंतित हो सकती हैं जो होना स्वाभाविक भी है। यह काफी खुशनुमा और रोमांचक समय होता है, लेकिन यह आपके लिए चुनौतीपूर्ण समय भी होता है। इस दौरान आप अपने बच्चे के साथ इन अंतिम क्षणों का आनंद लें, उसके आगमन की तैयारी करें। अब वो बहुत जल्द आपकी आँखों के सामने होगा। हालांकि कुछ गर्भवस्थायें 40वें सप्ताह से भी आगे चलती हैं, लेकिन इस स्थिति में डॉक्टर डिलीवरी के लिए प्रेरित प्रसव (Induced labor) की प्रक्रिया अपनाते हैं।

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  2. चालीसवें हफ्ते की गर्भावस्था में बच्चे का विकास - Baby development in 40th week of pregnancy in Hindi
  3. चालीसवें हफ्ते के गर्भ का अल्ट्रासाउंड - Ultrasound in 40th week of pregnancy in Hindi
  4. 40वें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स - Tips for 40th week of pregnancy in Hindi
  5. प्रेगनेंसी के चालीसवें हफ्ते में डाइट - Diet in 40th week of pregnancy in Hindi
  6. गर्भावस्था का 40वां सप्ताह के डॉक्टर

इस समय वज़न बढ़ने के कारण और साथ ही बच्चे की अत्यधिक गतिविधियों के कारण दर्द बढ़ जाता है। अब उसके गति करने के लिए बहुत कम जगह होती है, इसलिए हो सकता है कि बच्चे की गतिविधियां अधिक महसूस न हों।

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इस समय यात्रा करने या बाजार जाकर खरीददारी करने की योजना न बनाएं। इस सप्ताह के दौरान आपको घूमना फिरना और काम करना बिलकुल बंद कर देना चाहिए क्योंकि अब आपको कभी भी समय प्रसव पीड़ा हो सकती है। इस समय तो चलना और एक जगह खड़े रहना भी किसी चुनौती से कम नहीं लगता है। आपको अभी भी कुछ व्यायाम करते रहना चाहिए और यदि संभव हो तो प्रतिदिन लगभग 30 मिनट ज़रूर चलना चाहिए। आपके मूत्राशय, जननांगों और निचले पेट पर ज्यादा दबाव पड़ता है। आपको ऐंठन महसूस हो सकती है जो प्रसव जैसी ऐंठन के सामान ही होती है इसे ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन (Braxton Hicks contractions) कहते हैं। आपके शरीर में दर्द भी होते रहेंगे इसलिए जितना संभव हो उतना आराम करने की कोशिश करें।

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बच्चे का गर्भावस्था के इस अंतिम सप्ताह में लगभग सम्पूर्ण विकास हो जाता है और वो नई दुनिया में आने के लिए तैयार होता है। उसके सभी अंग कार्य करना शुरु कर देते हैं, हालांकि उसके फेफड़े और मस्तिष्क का विकास, जन्म के बाद भी होता रहता है।

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बच्चे में अब रोगों से लड़ने की क्षमता जिसे प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कहते हैं, विकसित होने लगती है जो जन्म के बाद जीवित रहने के लिए आवश्यक होती है। इस समय भी यदि आपकी डिलीवरी नहीं होती है, तो बच्चे का वज़न लगभग 4.5 किलो और लम्बाई लगभग 21 इंच हो सकती है। खोपड़ी के अलावा उसकी सारी हड्डियां कठोर हो जाती हैं। खोपड़ी की हड्डी प्रसव के लिए कोमल रहती है। जब वह गति करता है, तो आपका दर्द बढ़ सकता है।

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इस हफ्ते के अल्ट्रासाउंड टेस्ट में आपके बच्चे का पेट और रक्त वाहिकाएं दिखाई देती हैं। ये रक्त नलिकाएं प्लेसेंटा तक पोषक तत्वों को लाने का काम करती हैं। अब जल्द ही आप अपने बच्चे को अपने हाथों में खिला पाएंगी।

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यह आपकी प्रेगनेंसी का अंतिम सप्ताह होना चाहिए, लेकिन हो सकता है कि ये एक या दो हफ्ते और बढ़ जाये। आप प्रसव के बारे में आने वाले विचारों से चिंतित हो सकती हैं। अपने बच्चे के आगमन की तयारी करें। बहुत सारे डायपर और हाथ धोने के लिए हैंडवाश ले लें। अपनी स्थिति के बारे में अपने मित्रों और परिवार वालों को बताती रहें। यदि संभव हो, तो अपने या पति के माता पिता को इस समय अपने पास बुला लें। हालांकि यह मुश्किल हो सकता है, लेकिन हल्का व्यायाम करें। इससे दर्द और असुविधा को कम करने में मदद मिलती है। अब आपकी डिलीवरी किसी भी समय हो सकती है और आपके आँगन में एक प्यारा सा मेहमान जन्म लेगा।

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इस समय आपके द्वारा खायी गयी कोई भी चीज़ बच्चे पर प्रभाव डालती है। प्रसव पीड़ा को सहने के लिए और अधिक ताकत वाली चीज़ें खाएं और जितना संभव हो आराम करें।

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  1. अस्पताल ले जाने के लिए सूखे मेवे आदि नट्स अपने बैग में ज़रूर रख लें।
  2. ताज़े फलों का रस, नींबू पानी, नारियल पानी आदि पिएं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में ये हेल्दी जूस हैं काफी फायदेमंद)
  3. कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीज़ें जैसे केले, आलू आदि खाएं।
  4. हर हफ्ते की तरह अपने दैनिक आहार में विभिन्न पोषक तत्वों जैसे फल, सब्जियांसाबुत अनाज, चिकन आदि शामिल करें।
  5. एक बार में अधिक भोजन करने के बजाय थोड़ी थोड़ी मात्रा में ज्यादा बार भोजन करें। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी डाइट चार्ट)

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