घुटनों से जुड़ी समस्याएं कई कारणों से हो सकती हैं इनमें चोट, घुटनों के जोड़ों की हड्डियों, कार्टिलेज, टेंडन, मांसपेशियों और लिगामेंट्स को प्रभावित करने वाली बीमारी शामिल हैं। ये समस्याएं किसी निश्चित आयु वर्ग के लोगों तक सीमित नहीं हैं, इसका अर्थ है कि यह समस्या बच्चों से लेकर वयस्क तक किसी को भी हो सकती है। हालांकि, ये बुजुर्गों में ज्यादा आम है। घुटनों की समस्या का सबसे सामान्य लक्षण घुटनों में दर्द और घुटनों के जोड़ों के हिलने-डुलने में कमी आना इत्यादि है।

यदि किसी व्यक्ति के घुटनों में दर्द है, तो उसे अच्छी तरह से जांच करवाने के लिए किसी ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। शारीरिक जांच के बाद, यदि आवश्यक हो, तो डॉक्टर कुछ ​​टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं। घुटनों की समस्याओं का उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है।

आर्थराइटिस घुटनों में किसी प्रकार की टूट-फूट से जुड़ी बीमारी है, जिसके कारण घुटनों के जोड़ों में दर्द और अकड़न रहती है। आर्थराइटिस की समस्या अक्सर वयस्क लोगों में होती है। रूमेटाइड अर्थराइटिस और गाउट घुटनों के जोड़ों की कुछ अन्य सामान्य समस्याएं हैं। दौड़ने, साइकिल चलाने, स्की करने वाले और फुटबॉल खेलने वाले एथलीट कार्टिलेज की समस्याओं से पीड़ित रहते हैं। इस स्थिति में घुटने के आसपास हल्का दर्द होता है जो सीढ़ियां उतरने या ऊंचाई से नीचे उतरने पर बढ़ जाता है। इसके अलावा, लिगामेंट्स या घुटनों के जोड़ों के टेंडन में चोट लगने के कारण घुटनों में दर्द होता है और जोड़ों की गतिशीलता भी प्रभावित होती है।

पारंपरिक या प्रमाणित रूप से घुटनों में दर्द का इलाज आइबुप्रोफेन जैसी एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं या स्टेरॉयड के लोकल इंजेक्शन की मदद से किया जाता है। लेकिन इस आधुनिक चिकित्सा के दुष्प्रभावों के कारण, इन दिनों मरीज होम्योपैथी जैसे वैकल्पिक उपचार को चुन रहे हैं।

घुटनों में दर्द के अंतर्निहित कारणों का इलाज करने के लिए कई तरह के होम्योपैथिक उपचार दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए, अचानक लगने वाली चोट में केवल अर्निका मोंटाना का उपयोग किया जाता है और लंबे समय से हो रही समस्या के लिए इसे रस टाक्सिकोडेन्ड्रन के साथ उपयोग किया जाता है। अन्य होम्योपैथिक दवाएं जैसे ब्रायोनिया अल्बा और लिडम पैलेस्टर जोड़ों में दर्द वाले रोगियों को दी जाती हैं और रोडोडेंड्रोन उन लोगों को दी जाती है जो ठंड के मौसम के कारण जोड़ों में दर्द से पीड़ित रहते हैं। इसी तरह, कॉस्टिकम आमतौर पर जोड़ों में अकड़न से राहत के लिए दी जाती है।

लंबे समय से हो रही घुटनों की समस्याओं का ऑपरेशन ही एकमात्र इलाज नहीं है। कभी-कभी, ऑपरेशन के बिना भी परेशानी को कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, ऐसे लोग जिनके घुटनों में अक्सर चोट लगती रहती हैं या जो लोग कार्टिलेज फटने की समस्या से पीड़ित हैं, उन्हें ऑपरेशन के साथ-साथ सहायता के लिए होम्योपैथी इलाज भी दिया जा सकता है।

  1. घुटनों में दर्द के लिए होम्योपैथिक दवाएं - Ghutno me dard ke liye homeopathic medicine
  2. घुटनों में दर्द के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव - Ghutno me dard ke liye khanpan aur jeevan shaili me badlav
  3. घुटनों में दर्द के लिए होम्योपैथिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं - Ghutno me dard ki homeopathic medicine kitni effective hai
  4. घुटनों के दर्द के लिए होम्योपैथिक दवा के नुकसान और जोखिम - Ghutno me dard ke liye homeopathic medicine ke nuksan
  5. घुटनों में दर्द के लिए होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Ghutno me dard ke liye homeopathic treatment se jude tips
घुटनों में दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

घुटनों में दर्द होने पर उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं निम्नलिखित हैं :

रस टाक्सिकोडेन्ड्रन
सामान्य नाम : पॉइजन आइवी
लक्षण : यह दवा अक्सर रूमेटिक दर्द तथा टाइफाइड बुखार में दी जाती है और मुख्य रूप से त्वचा के प्रभावित होने पर उपयोग की जाती है। यह अकड़न और दर्द का कारण बनने वाले जोड़ों, टेंडन और शीथ्स (टेंडन के आसपास श्लेष झिल्ली की एक परत) के रेशेदार ऊतक पर कार्य करती है। पॉइजन आइवी निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में भी मदद करती है :

  • भारी वस्तुओं को उठाने पर या अत्यधिक शारीरिक काम करने पर दर्द होना
  • सेप्सिस बीमारी से जुड़ी समस्याएं होना
  • शुरुआती अवस्था वाला मस्सासेलुलाइटिस और संक्रमण
  • ठंड के मौसम में रूमेटिज्म होना
  • घुटनों के जोड़ों में गर्म और दर्दनाक सूजन होना
  • अंगों में अकड़न और पैरालिसिस हो जाना
  • घुटनों के जोड़ों के आसपास पीड़ा रहना
  • साइटिका 
  • थकावट से कंपकंपी और पैरालिसिस हो जाना
  • गर्म, शुष्क मौसम, चलने फिरने, गर्म सिकाई, रगड़ने, स्थिति बदलने और अंगों के खिंचाव से लक्षण कम होना

ठंड, गीले, बारिश के मौसम में, नींद के दौरान, आराम करते हुए, रात को, भीग जाने के बाद और पीठ के बल या दाईं ओर लेटते समय लक्षण बढ़ जाते हैं। रोगी ज्यादातर अपनी स्थिति बदलता रहता है और स्थिति बदलने पर कुछ समय के लिए बेहतर महसूस करता है।

अर्निका मोंटाना
सामान्य नाम : लेपर्ड्स बेन
लक्षण : लेपर्ड्स बेन गंभीर चोटों, जोड़ों की मोच और अंगों में दर्द के लिए उपयोग की जाती है। यह दवा रक्तपित्त के रोगियों और कमजोर रक्त प्रवाह वाले लोगों में अच्छा फायदा करती है। निम्नलिखित लक्षणों वाले लोगों को भी इस दवा से लाभ होते हैं :

  • पैरों की नसों में खून का जमाव होना
  • दर्द के साथ छिलने जैसा महसूस होना
  • त्वचा छिल जाना और रक्तस्राव होना
  • ज्यादातर कंधों और पीठ की मांसपेशियों के ऊतकों में रूमेटिज्म हो जाना
  • हीमेटोसील और खून के थक्के जमना
  • गाउट
  • सीधे चलने में असमर्थ होना
  • निचले अंगों से रूमेटिज्म शुरू होना जो ऊपर की ओर बढ़ता है

मामूली स्पर्श, चलने फिरने, आराम, शराब और नम स्थिति होने पर लक्षण बढ़ जाते हैं और सिर को नीचा करके लेटने से ठीक होते हैं।

लिडम पैलेस्टर
सामान्य नाम : मार्श टी
लक्षण : यह दवा रूमेटिज्म में उपयोग की जाती है, जो पैरों से शुरू होता है और ऊपर के अंगों में बढ़ता है। यह कीट के डंक और पाइजन ओक जैसे त्वचा रोग के खिलाफ भी प्रभावी है। ठंडे महसूस होने वाले खुले घावों और पंचर घावों के लिए भी इस दवा का उपयोग किया जाता है। मार्श टी निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षणों में भी उपयोगी है :

  • जोड़ों में गाउट वाला दर्द
  • जोड़ों का चटकना
  • सूजी हुई एड़ियां, जिनमें आसानी से मोच आ सकती है।

ठंड के मौसम में या ठंडे पानी में पैर डालने से लक्षणों में सुधार होता है, लेकिन रात में बिस्तर की गर्मी के कारण बढ़ जाते हैं।

स्टिक्टा पल्मोनेरिया
सामान्य नाम : लंगवार्ट
लक्षण : लंगवार्ट का उपयोग अक्सर गर्दन की रूमेटिक अकड़न, इन्फ्लूएंजा, ब्रोन्कियल कैटरर के साथ साथ सामान्य सुस्ती और अस्वस्थ महसूस होने पर किया जाता है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षणों के लिए भी यह दवा दी जाती है :

  • जोड़ों में सूजन, गर्मी और लालिमा होना
  • हाउसमेड्स नी, घुटनों में बहुत तेज दर्द होना
  • जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में दर्द, लालिमा और सूजन
  • सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों के बाद रूमेटिक दर्द

रेडियम ब्रोमेटम
सामान्य नाम : रेडियम ब्रोमाइड
लक्षण : रेडियम ब्रोमाइड को रूमेटिज्म, गाउट, चेहरे पर निकलने वाले गुलाबी रंग के मुंहासे, मस्से, अल्सर और कैंसर के उपचार में अत्यधिक प्रभावी पाया गया है। यह दवा सामान्य तौर पर निम्नलिखित लक्षणों का इलाज करने के लिए दी जाती है :

  • रक्त में पॉलीमॉर्फोन्यूक्लियर न्यूट्रोफिल (डब्ल्यूबीसी का एक प्रकार) का स्तर बढ़ जाना
  • घुटनों, टखनों, पैर की उंगलियों और अन्य अंगों के जोड़ों में गंभीर दर्द
  • हाथों में भारीपन और टूटने जैसा महसूस होना
  • पैर और कूल्हे की मांसपेशियों में दर्द
  • आर्थराइटिस, जो रात में बढ़ जाता है।

खुली हवा, गर्म स्नान करने, लेटने, हिलने डुलने और दबाव से लक्षणों में राहत मिलती है, लेकिन उठने पर बढ़ जाते हैं।

कॉस्टिकम
सामान्य नाम : हैनिमैनस टिंक्चुरा एक्रिस साइन काली
लक्षण : कॉस्टिकम मुख्य रूप से क्रोनिक रूमेटिक, आर्थराइटिस और लकवाग्रस्त स्थितियों के साथ जोड़ों की विकृति और ऐसे बच्चों, जो चलने में धीमे होते हैं, के इलाज के लिए दी जाती है। जलन, खराश और नमी जैसे लक्षणों के लिए यह दवा दी जाती है। निम्नलिखित लक्षणों वाले रोगियों को इस दवा से लाभ होता है :

  • गंदे, सफेद और भूरे रंग के साथ चेहरे पर मस्से
  • बाई तरफ साइटिका के साथ-साथ जकड़न होना
  • हाथों और बाहों में फटने जैसा दर्द होना
  • हाथों में भारीपन, कमजोरी और जकड़न
  • संकुचित टेंडन और कमजोर टखनों के कारण चलने में परेशानी और बहुत आसानी से गिर जाना
  • शरीर के अंगों में रूमेटिक दर्द होना, जो बिस्तर की गर्मी जैसी गर्म स्थितियों में कम हो जाता है
  • घुटनों में अकड़न
  • जोड़ों में फटने जैसा दर्द, जिसके कारण रात में बेचैनी होती है

एपिस मेलिफिका
सामान्य नाम : हनी बी
लक्षण : यह दवा शरीर के उन ऊतकों पर कार्य करती है, जिनके कारण त्वचा व श्लेष्मा झिल्ली में सूजन होती है। इसके अलावा, यह किडनी की इंफ्लेमेशनत्वचा पर लाल चकत्तेसूजन और इनसे जुड़े ऊतकों की अन्य समस्याओं के लिए यह एक पसंदीदा दवा है। यह दवा शरीर के बाहरी हिस्सों जैसे त्वचा, सीरस झिल्ली और आंतरिक अंगों की ऊपरी सतह पर काम करती है। यह निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक कर सकती है :

छूने, गर्मी, दबाव पड़ने, दाहिनी तरफ लेटने, दोपहर में, सोने के बाद और बंद गर्म कमरे में ये लक्षण बढ़ जाते हैं, लेकिन शरीर को खुला रखने, स्नान करने और खुली हवा में रहने पर कम होते हैं।

बरबेरिस वल्गेरिस
सामान्य नाम : बारबेरी
लक्षण : बारबेरी या दारुहल्दी को गाउट, किडनी की समस्याओं और गॉलब्लेडर की पथरी में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। यह पित्त के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करती है और कम धीरज लेकिन अच्छे लिवर वाले मांसल लोगों में ठीक काम करती है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षणों में भी इसका उपयोग करते हैं :

  • फैलने वाला दर्द
  • कभी प्यास लगना तो कभी प्यास न लगना, ऐसा ही भूख लगने और भूख में कमी महसूस होने पर भी होना
  • घुटनों में रूमेटिक दर्द
  • पेशाब संबंधी समस्याएं बढ़ना
  • चलने-फिरने और खड़े होने पर लक्षण बढ़ जाना

बेंजोइक एसिडम
सामान्य नाम : बेंजोइक एसिड
लक्षण : बेंजोइक एसिड शरीर के चयापचय पर काम करता है और गाउट तथा यूरिक एसिड डायथेसिस के लक्षणों को ठीक करता है। यह निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में भी मदद करता है :

  • घुटनों में सूजन और दर्द 
  • चलने फिरने पर जोड़ों का चटकना
  • खुली हवा और शरीर को खुला रखने पर लक्षण बढ़ जाना
  • यूरिन के रंग में बदलाव के साथ ही उसमें गंध आना

इलैप्स कोरेलिनस
सामान्य नाम : कोरल स्नेक
लक्षण : इस उपाय का उपयोग सांप के जहर जैसे लक्षणों से राहत के लिए किया जाता है। इनमें शामिल हैं :

  • एसिडिटी बढ़ने के साथ बेहोशी महसूस होना
  • विशेष तरह का काला डिस्चार्ज होना
  • पेट में ठंड महसूस होना
  • केवल मांसपेशियों के पैरालिसिस के साथ ऐंठन
  • दाईं ओर का पैरालिसिस
  • घुटने में मोच आने जैसा महसूस होना
  • पैर बर्फ जैसे ठंडे लगना
  • फल खाने, कोल्ड ड्रिंक्स पीने और गीले मौसम में लक्षण बढ़ जाना

मेलिलोटस ऑफिसिनैलिस
सामान्य नाम : येलो मेलीलोट-स्वीट क्लोवर
लक्षण : यह दवा ज्यादातर खून के जमाव और नकसीर फूटने से संबंधित लक्षणों के लिए उपयोग की जाती है। निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करने वालों का इलाज करने के लिए भी इस दवा का उपयोग करते हैं :

  • तेज सिरदर्द
  • सिर पर चोट लगने के कारण मिर्गी या एपिलेप्सी
  • बंद नाक, जिससे व्यक्ति मुंह से सांस लेने के लिए मजबूर हो जाए 
  • नाक से बहुत अधिक खून बहना
  • घुटनों में दर्द, पैरों की स्ट्रेचिंग करने का मन होता है, लेकिन इससे दर्द से राहत नहीं मिलती
  • घुटनों के जोड़ों में जकड़न और दर्द

शाम 4 बजे, बारिश के मौसम में, तूफान, मौसम बदलने या चलने फिरने से लक्षण बढ़ जाते हैं।

ब्रायोनिया अल्बा
सामान्य नाम : वाइल्ड हॉप्स
लक्षण : वाइल्ड हॉप्स सीरस झिल्ली पर कार्य करती हैं। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों वाले मरीजों को भी लाभ देता है :

  • बहुत अधिक दर्द होना
  • चिड़चिड़ापन बढ़ जाना
  • सिर उठाने पर चक्कर आना 
  • श्लेष्मा झिल्ली सूख जाना
  • शारीरिक कमजोरी
  • घुटनों में अकड़न और दर्द 
  • जोड़ों में सूजन, लालिमा और गर्मी

चलने फिरने, काम करने, गर्म परिस्थितियों, गर्म मौसम, सुबह और छूने पर लक्षण बढ़ जाते हैं जबकि दर्द वाली तरफ सोने, आराम करने, दबाव और ठंडी सिकाई से लक्षण बेहतर होते हैं।

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होम्योपैथिक दवाओं को बहुत ही कम मात्रा में और घुलनशील रूप में दिया जाता है, इसीलिए जीवनशैली व खान-पान की आदतों से उनका कार्य आसानी से प्रभावित हो सकता है। होम्योपैथिक उपचार लेते समय आपको कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है जैसे :

क्या करना चाहिए

  • गर्म मौसम में कॉटन या लिनन के अच्छे हवादार कपड़े पहनें।
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और नियमित व्यायाम करें।
  • कुछ गंभीर मामलों में रोगी को कुछ खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ की इच्छा होती है। बेहतर होगा कि रोगी को उनकी इच्छाएं पूरी करने दी जाएं, क्योंकि यह बीमारी के इलाज में आने वाली बाधा को दूर करने में सहायक हो सकता है।

क्या नहीं करना चाहिए

  • टीकाकरण के पारंपरिक तरीके के बदले में होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग न करें।
  • हर्बल चायकॉफी और शराब या औषधीय मसालों वाली बियर जैसे पेय पदार्थ नहीं पीने चाहिए।
  • मसालेदार व्यंजनसूप और सॉस जिनमें प्याज व अजवाइन के औषधीय गुण शामिल हो उन्हें न खाएं तथा मीट और बासी पनीर नहीं खाना चाहिए।
  • इन दवाओं को परफ्यूम, कपूर, ईथर या अन्य वाष्पशील पदार्थों के पास नहीं रखना चाहिए, क्योंकि वे दवा को बेअसर कर सकते हैं।
  • गतिहीन जीवनशैली और गंदगी से दूर रहना चाहिए।
  • लंबे समय तक नम कमरे या गीली जगहों में नहीं रहना चाहिए।

होम्योपैथिक दवाएं सुरक्षित होती हैं, इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। ये दवाएं सभी आयु वर्ग के रोगियों को दी जा सकती हैं क्योंकि वे पौधों, जानवरों, सब्जियोंखनिजों और ऐसे ही प्राकृतिक पदार्थों से बनाई जाती हैं। पारंपरिक उपचार के बदले में होम्योपैथी उपचार नहीं लिया जाना चाहिए बल्कि, इसे पारंपरिक उपचार के साथ सहायक उपचार के रूप में लिया जाना चाहिए।

इसके अलावा, होम्योपैथिक दवा ऑपरेशन के बाद होने वाले दर्द को कम करने के लिए ली गई दर्द निवारक दवाओं के कार्य को भी प्रभावित नहीं करती है। ऑपरेशन के बाद दर्द दूर करने के लिए ली जाने वाली दर्द निवारक दवाओं के कार्य पर होम्योपैथिक दवाओं के प्रभाव का पता करने के लिए एक प्लेसबो-कंट्रोल्ड स्टडी की गई।

लगभग 158 रोगियों को तीन समूहों में विभाजित किया गया। इसमें 67 रोगियों के समूह में न तो रोगी और न ही शोधकर्ता को पता था कि कौन होम्योपैथिक उपचार ले रहा है, 66 रोगियों के समूह पर प्लेसबो (ऐसा उपचार जिसका कोई वास्तविक प्रभाव नहीं होता) का इस्तेमाल किया गया और 25 रोगियों को बिना किसी हस्तक्षेप के निर्देशों के अनुसार दवा दी गई। अध्ययन से पता चला कि मॉर्फिन के सेवन से 24 और 72 घंटों के बीच दर्द या जीवन की गुणवत्ता पर होम्योपैथिक उपचार का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि जब ऑपरेशन से पहले की शाम और सुबह अर्निका मोंटाना का इस्तेमाल किया गया, तो घुटनों के दर्द में काफी सुधार हुआ। ऑपरेशन के बाद, शुरुआती दर्द और इंफ्लेमेशन को नियंत्रित करने के लिए इसे हर 20 मिनट के बाद दिया गया, इसके बाद खुराक के बीच के अंतराल को धीरे-धीरे लंबा किया गया। इससे ऑपरेशन के बाद दी जाने वाली जरूरी नशीली दवाओं का उपयोग कम करना पड़ा और रोगियों पर ऑपरेशन के बाद दी गई फिजियोथेरेपी का भी अच्छा प्रभाव हुआ।

वैसे तो सही कारण का पता करने के लिए एक सटीक परीक्षण की आवश्यकता होती है, लेकिन होम्योपैथी उपचार रोगी के लक्षणों पर अधिक निर्भर करता है। दवा कंपनियों ने ढेरों नई दर्द निवारक और एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं को विकसित किया है, लेकिन साथ ही साथ इनसे बुरे प्रभाव भी बढ़े हैं। तुलनात्मक रूप से, होम्योपैथिक दवाओं का शरीर पर हानिकारक प्रभाव नहीं डालता है और ये उपचार का भी एक प्रभावी रूप है। होम्योपैथिक दवाएं व्यक्ति की समस्या की गंभीरता को कम करने के साथ-साथ उसका पूरी तरह से इलाज करती हैं।

इस बात का ध्यान रखें कि उपचार प्रभावशाली हो इसके लिए, आपको घर पर कोई भी दवा अपनी मर्जी से नहीं लेनी चाहिए बल्कि पहले डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।

घुटनों में दर्द आमतौर पर घुटनों के जोड़ों में चोट या ट्रॉमा के कारण होता है। पारंपरिक रूप से दर्द निवारक दवाओं और ऑपरेशन से इस समस्या का इलाज किया जाता रहा है। होमियोपैथी उपचार भी विभिन्न प्रकार की बीमारियों में प्रभावी होता है। यह घुटनों के दर्द का कारण बनने वाली इंफ्लेमैशन के इलाज के लिए सुरक्षित और प्रभावी है।

इससे ऑपरेशन करवाने के बाद जल्दी ठीक होने में भी मदद मिलती है। होम्योपैथिक दवाएं व्यक्तिगत लक्षणों और रोग की गंभीरता के आधार पर दी जाती हैं। जब जीवन शैली में उपयुक्त परिवर्तन करते हुए होम्योपैथिक दवाएं ली जाती हैं तो ये न केवल हमें लक्षणों से राहत प्रदान करने में मदद करती हैं, बल्कि वे इसका कारण बनने वाली समस्या का भी इलाज कर देती हैं।

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Dr. Rupali Mendhe

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5 वर्षों का अनुभव

Dr. Prabhash Kumar Chaudhari

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होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. National Institute of Arthritis and Musculoskeletal and Skin Diseases; [Internet]. U.S. National Library of Medicine. Knee Problems.
  2. British Homeopathic Association. [Internet]. United Kingdom. Muscle and joint problems.
  3. British Homeopathic Association. [Internet]. United Kingdom. Joints (Spotlight series: Janet Gray).
  4. National Center for Homeopathy. [Internet]. Mount Laurel NJ. Knee Pain! Do you need homeopathy or surgery?.
  5. William Beoricke. Homeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing. Médi-T 1999, Volume 1.
  6. National Center for Homeopathy. [Internet]. Mount Laurel NJ. Knee Pain! Do you need homeopathy or surgery?.
  7. British Homeopathic Association. [Internet]. United Kingdom. Is homeopathy safe?.
  8. Paris A. et al. Effect of homeopathy on analgesic intake following knee ligament reconstruction: a phase III monocentre randomized placebo controlled study.. Br J Clin Pharmacol. 2008 Feb;65(2):180-7. PMID: 18251757
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