हेल्दी रेसिपी - Healthy Recipe in Hindi

आपका मकसद वजन घटाना हो, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से दूर रहना हो या फिर सिर्फ हेल्दी और फिट रहना, अपने खाने-पीने की आदतों में सुधार करना बेहद जरूरी है। यह बात पूरी तरह से सही है कि स्वस्थ खानपान के साथ आपको एक्सरसाइज करने की भी जरूरत होती है और कई बीमारियों में दवाइयां लेना भी जरूरी होता है। लेकिन अगर आपकी डायट सही हो तो लंबे समय तक आपकी सेहत बनी रहती है और यही वजह है कि ज्यादातर डॉक्टर, न्यूट्रिशनिस्ट और स्वास्थ्यसेवा प्रदान करने वाले लोग सही खानपान- इस बात पर विशेष जोर देते हैं।

द जॉर्जिया पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन नाम की पत्रिका में साल 2016 में प्रकाशित एक स्टडी की मानें तो जीवनशैली में होने वाले कई तरह के बदलाव जैसे- अस्वस्थ खानपान का सेवन करना, लंबे समय तक रहने वाली बीमारियां जैसे- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और हाइपरलिपिडीमिया होने का प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है। डायट में अगर सोडियम, कोलेस्ट्रॉल और चीनी की मात्रा अधिक हो और फल, सब्जियां और अनाज की मात्रा कम हो तो इससे सेहत खराब होने का खतरा रहता है। इसलिए सही खाद्य पदार्थों का सेवन करना और हेल्दी डायट लेना सभी लोगों के लिए बेहद जरूरी है।

आप सही चीजें तभी खा पाएंगे जब आप सही और स्वस्थ रेसिपी बनाएंगे। और रेसिपीज को हेल्दी कैसे बनाया जा सकता है तो इसका जवाब है कि खाना बनाने की सही टेक्नीक चुनना उतना ही जरूरी है जितना सही और स्वस्थ सामग्रियों का चयन करना। ऐसे में अगर आप खुद को हेल्दी बनाए रखने के तरीके खोज रहे हैं तो इसके लिए घर के बने खाने का सेवन करना बेहद जरूरी है। बिहेवियरल न्यूट्रिशन और फिजिकल ऐक्टिविटी नाम की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में साल 2017 में प्रकाशित एक स्टडी में यह बात सामने आयी कि वैसे लोग जो घर का बना खाना खाते हैं वे बेहतर डायट्री क्वॉलिटी को मेनटेन रख पाते हैं, उनका बॉडी मास इंडेक्स सामान्य रेंज में रहता है और शरीर में बॉडी फैट भी नॉर्मल पर्सेंटेज में रहता है। 

हालांकि कुछ लोगों के लिए रोजाना घर में खाना बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन हम आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं जिनकी मदद से आप रोजाना घर में खाना बनाने की अच्छी आदत की न सिर्फ शुरुआत कर पाएंगे बल्कि लंबे समय तक उसे जारी भी रख पाएंगे। इसके लिए बेहद जरूरी है कि आप सही फल और सब्जियों, अनाज, प्रोटीन, नट्स, सीड्स और मसालों का चुनाव करें और खाना बनाने का कौन सा तरीका या टेक्नीक सही है इसे समझें। इस आर्टिकल में हम आपको सभी हेल्दी रेसिपी बनाने के लिए जितने भी दिशा-निर्देशों की जरूरत है सभी के बारे में बताएंगे।

  1. क्या कैलोरीज की गिनती करना जरूरी है?
  2. फल और सब्जियों का चयन कैसें करें?
  3. अनाज और दालों को कैसे चुनें?
  4. प्रोटीन का चुनाव कैसे करें?
  5. नट्स और सीड्स को कैसे चुनें?
  6. खाना पकाने के लिए सही तेल का चयन कैसे करें?
  7. हर्ब्स, मसाले और खाने को स्वादिष्ट बनाने वाले सीजनिंग का सही चुनाव कैसे करें?
  8. हेल्दी रेसिपी में चीनी और नमक की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
  9. खाने पकाने का सबसे हेल्दी तरीका कौन सा है?
  10. और आखिर में इन बातों का रखें ध्यान

क्या कैलोरीज की गिनती करना जरूरी है?

अगर आप वजन घटाने के मकसद से अपनी डायट में बदलाव कर रहे हैं तो आप रोजाना कितनी कैलोरीज का सेवन कर रहे हैं इस पर नजर रखना बेहद जरूरी है। आप जो भी खाते हैं सभी तरह के खाद्य पदार्थों से हमें ऊर्जा मिलती है और कैलोरीज इस ऊर्जा को मापने का यंत्र है। अगर आप रोजाना जितनी कैलोरीज का सेवन कर रहे हैं अगर उतनी ही कैलोरीज बर्न कर पाते हैं तो आपके शरीर का सही वजन बनाए रखने में मदद मिलेगी। अगर आप सेवन की गई कैलोरीज से ज्यादा कैलोरीज बर्न करते हैं तो आपको वजन घटने लगेगा, वहीं दूसरी तरफ अगर आप बर्न की गई कैलोरीज की तुलना में ज्यादा कैलोरीज का सेवन करते हैं तो आपका वजन बढ़ने लगेगा।

यही कारण है कि ज्यादातर डायट में आप कितनी कैलोरी का सेवन कर रहे हैं इस पर फोकस किया जाता है। लेकिन यह समझना जरूरी है कि कैलोरीज की गिनती करने से आपको वजन घटाने या बढ़ाने में मदद मिल सकती है लेकिन कैलोरी की गणना करना आपकी उत्कृष्ट सेहत की गारंटी नहीं है। कैलोरीज की गिनती करने से आपने कितनी कैलोरी का सेवन किया इसमें तो मदद मिल सकती है लेकिन यह सिर्फ ऊर्जा को मापने का एक तरीका है। न्यू्ट्रिशन यानी शरीर के पोषण में ऊर्जा के लेवल पर नजर रखने के अलावा भी बहुत कुछ है।

कैलोरीज की गिनती करने की प्रक्रिया के दौरान अगर आप किसी फूड ग्रुप को पूरी तरह से अपनी डायट से बाहर कर दें तो हो सकता है कि उस फूड ग्रुप की आपके शरीर में पोषण से जुड़ी कमी हो जाए जिसकी वजह से आपको कई तरह की बीमारियां भी हो सकती हैं। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए खाने का सही तरीका यही है कि आप अपनी नियमित डायट में सभी फूड ग्रुप्स में से खाने-पीने की चीजें शामिल करें। आपकी डायट में सभी तरह की सामग्रियां होनी चाहिए। यहां तक की नमक, चीनी और फैट भी लेकिन सही मात्रा में।

फल और सब्जियों का चयन कैसें करें?

फल और सब्जियां आपकी रोजाना की डायट का अहम हिस्सा होनी चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO का सुझाव है कि हर व्यक्ति को रोजाना कम से कम 400 ग्राम या 5 पोर्शन फल और सब्जियों का सेवन जरूर करना चाहिए ताकि गंभीर बीमारियां जैसे- हृदय रोग, स्ट्रोक और कई तरह के कैंसर के खतरे को कम किया जा सके।

सभी फल और सब्जियां कार्बोहाइड्रेट्स, डायट्री फाइबर, फोलेट, विटामिन सी और पोटैशियम का बेहतरीन सोर्स होती हैं। साथ ही इनमें कैलोरीज की मात्रा भी बेहद कम होती है। कुछ फल और सब्जियां जैसे- गाजर, पालक, पपीता, खुबानी, मशरूम, शिमला मिर्च और ब्रॉकली में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन ई और विटामिन के भरपूर मात्रा में पाया जाता है। साथ ही फल और सब्जियां एंटीऑक्सिडेंट्स से भी भरपूर होती हैं इसलिए बीमारियों से बचाने के साथ-साथ ये शरीर में खून का संचार बेहतर बनाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने और त्वचा और बालों को भी हेल्दी बनाए रखने में मदद करते हैं।

ऐसे में फल और सब्जियों का चयन करते वक्त इन जरूरी बातों का ध्यान रखें:

  • हमेशा अपने लोकल मार्केट से ही ताजी सब्जियां और फल खरीदें।
  • मौसमी खाद्य पदार्थो में पोषण से जुड़े अतिरिक्त फायदे होते हैं इसलिए जहां तक संभव हो मौसमी फल और सब्जियों का ही सेवन करें।
  • आप जो भी फल या सब्जी खरीद रही हैं उसके सतह की अच्छे से जांच करें कहीं उसमें कटे होने का या कीटाणुओं के दांत मारने के निशान तो नहीं हैं।
  • ज्यादातर फल और कुछ सब्जियों को बिना पकाए कच्चा ही खाया जाता है इसलिए अगर संभव हो तो उन्हें चखने के बाद ही खरीदें। कई स्थानीय फल और सब्जी विक्रेता आपको खरीदने से पहले सामान को चखने की इजाजत देते हैं।
  • ध्यान रहे कि आप जो फल और सब्जियां खरीद रहे हैं उसके रंग अच्छे हों, उसमें से ताजी खुशबू आ रही हो और वह छूने में कड़ा हो। ऐसा करने से खरीदा गया सामान लंबे समय तक खराब नहीं होगा। साथ ही ऐसा करने से आप उन्हीं चीजों को खरीदेंगे जिन्हें आप पसंद करते हैं और उन्हें निश्चित तौर पर खाएंगे भी।
  • विक्रेताओं से भी बात करें। वे आपको फल और सब्जियों को कैसे उगाया जाता है और किस फल या सब्जी को खरीदने का सही समय क्या है, इस बारे में भी जरूर बताएंगे।
  • फल और सब्जियों को खाने या पकाने से पहले अच्छी तरह से धोना न भूलें।

अनाज और दालों को कैसे चुनें?

साबुत अनाज, घास जैसे दिखने वाले पौधों के बीज होते हैं जिन्हें अन्न या सीरियल भी कहते हैं। चावल, गेंहू, कुटू, कीन्वा, मक्का, जौ और बाजरा कुछ ऐसे अनाज हैं जो आसानी से बाजार में साबुत रूप में या आटे के रूप में मिल जाते हैं। अनाज में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा भी अधिक होती है जिनके सेवन से हृदय रोग, स्ट्रोक, मोटापा, डायबिटीज, इन्फ्लेमेशन, बदहजमी और कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है।

दालें, फलियों के परिवार का हिस्सा हैं जो पौधों के ऐसे बीज होते हैं जिन्हें खाया जा सकता है। दालें अलग-अलग आकार, रंग और वरायटी की होती हैं। दालों में भी प्रोटीन, फोलेट, फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स की मात्रा अधिक होती है। अगर दालों का अधिक सेवन किया जाए तो शरीर में प्रोटीन की कमी का खतरा, हृदय रोग, शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम किया जा सकता है।

भारत के ज्यादातर हिस्सों में ऐसा ही खाना तैयार किया जाता है जिसे अनाज और दाल को मिलाकर बनाया जाता है। फिर चाहे वह- सांभर चावल हो या दाल-रोटी। इन चीजों में मौजूद पोषक तत्वों की वजह से ही इन्हें हेल्दी डायट का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इन चीजों को पकाना भी बेहद आसान होता है। इन्हें सिर्फ पानी के साथ प्रेशर कुकर में डालना या फिर पैन में डालकर पकाना ही काफी होता है। इस वजह से अनाज और दाल को बहुउपयोगी भी माना जाता है और दुनियाभर में इन्हें खाने और इस्तेमाल करने का तरीका अलग-अलग है।

ऐसे में अनाज और दालों को खरीदते वक्त इन बातों का ध्यान रखें:

  • अनाज और दालें ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें लंबे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है इसलिए जरूरी है कि आप इनकी अलग-अलग ढेर सारी वरायटी को अपने किचन में जगह दें लेकिन कम मात्रा में। ऐसा करने से आप रोजाना अलग-अलग अनाज और दाल को चुन पाएंगे और आपका खाना भी रोजाना एक जैसा या नीरस नहीं होगा।
  • ध्यान रहे कि आप इन दालों और अनाज को एयरटाइट डिब्बों में बंद करके रखें। इनमें फंगस न लगे इसके लिए आप चाहें तो इन डिब्बों में नीम की पत्तियां डालकर रख सकते हैं।
  • इस्तेमाल करने से पहले दाल और अनाज को अच्छी तरह से धो लें ताकि उसमें से स्टार्य और पेस्टिसाइड्स के निशाना मिट जाएं।
  • एक बार बनाने के बाद आप दाल या अनाज को 2-3 दिन तक स्टोर करके भी रख सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि पके हुए खाने को आप एयरटाइट कंटेनर में फ्रिज के अंदर ही रखें वरना वह खराब हो जाएगा।

प्रोटीन का चुनाव कैसे करें?

मीट, मछली, अंडा और दुग्ध उत्पाद प्रोटीन के सबसे अहम सोर्स माने जाते हैं। अगर आप अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं या फिर मांसपेशियों का विकास करना चाहते हैं तो आपके लिए प्रोटीन की अधिक मात्रा का सेवन करना और भी जरूरी हो जाता है। बिना चर्बी वाला मांस जैसे- बिना स्किन वाला चिकन और टर्की विटामिन के अलावा सेलेनियम और कोलाइन जैसे मिनरल्स का अहम सोर्स है। फिश की ज्यादातर वरायटी में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड, विटामिन डी, विटामिन बी2, कैल्शियम, फॉस्फॉरस और कई दूसरे मिनरल्स पाए जाते हैं।

अंडा सस्ता होता है और विटामिन डी, विटामिन बी6, विटामिन बी12 और सेलेनियम, जिंक, आयरन और कॉपर जैसे मिनरल्स का अहम सोर्स भी। डेयरी उत्पाद और प्लांट बेस्ड प्रोटीन जैसे टोफू और सोया- शाकाहारी व्यक्ति के लिए अच्छा ऑप्शन है।

ऐसे में प्रोटीन से जुड़े उत्पाद खरीदते वक्त इन बातों का ध्यान रखें:

  • आप जो भी खरीद रहे हों वह फ्रेश होना चाहिए। अगर मीट खरीद रहे हों तो विक्रेता से पूछें कि उसने मीट को कब काटा था।
  • मछली खरीदते वक्त उसकी सुगंध चेक करें, उसमें से खराब बदबू न आ रही हो, उसकी आंखें ब्राइट और शाइनी होनी चाहिए और उसके गलफड़े साफ और लाल रंग के।
  • डेयरी प्रॉडक्ट और अंडा खरीदते वक्त उसके लेबल को जरूर चेक करें। चीज और पनीर खरीदते वक्त ध्यान से देखें कि कहीं उसमें फफूंद या सड़ा हुआ होने के कोई निशान तो नहीं हैं।
  • कच्चा चिकन, अंडा और मछली को एक साथ एक ही कंटेनर में कभी न रखें। इससे खाने की इन चीजों का पार-संदूषण यानी क्रॉस कंटैमिनेशन हो सकता है।
  • प्रोटीन से जुड़ी इन चीजों को पकाने से पहले अच्छी तरह से धोकर साफ कर लें।
  • प्रोसेस्ड मीट, फिश या डेयरी प्रॉडक्ट्स न खरीदें। इनमें सोडियम, चीनी और प्रिजर्वेटिव्स की मात्रा अधिक होती है जो सेहत के लिए हानिकारक होते हैं।
  • कच्चा या अधपके प्रोटीन को फ्रिज में 1 दिन से ज्यादा स्टोर करके न रखें।
  • पके हुए प्रोटीन वाले भोजन को भी फ्रिज में 2 या 3 दिन से ज्यादा स्टोर करके न रखें।

नट्स और सीड्स को कैसे चुनें?

नट्स मुख्य रूप से फल ही होते हैं जिसमें बाहर की तरफ सख्त कवच होता है जिसे खाया नहीं जा सकता और अंदर बीज जिसे खा सकते हैं। मूंगफली को छोड़कर ज्यादातर नट्स, पेड़ों के बीज होते हैं जो वैसे तो फलियों के बीज होते हैं लेकिन उनमें खूबियां नट्स की होती हैं। सीड्स मुख्यतौर पर सब्जियों से आते हैं जैसे- कद्दू का बीज या फिर फूलों से जैसे- सूरजमुखी का बीज, खसखस और चिया सीड्स, या फिर फसलों से जैसे- अलसी या फ्लैक्स सीड्य और भांग का बीज। ज्यादातर बीजों में नट्स जैसे ही पोषक तत्व होते हैं और यही वजह है कि इन्हें एक जैसे न्यूट्रिशनल कैटिगरी में रखा जाता है और इन्हें अक्सर डायट फूड के तौर पर साथ में खाया भी जाता है।

नट्स और सीड्स, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलिअनसैचुरेटेड फैट, फाइबर, फाइटोकेमिकल जैसे- पॉलिफेनॉल, फ्लावनॉयड्स, फेनॉलिक ऐसिड, कैटेचिन, विटामिन और मिनरल्स के अहम सोर्स माने जाते हैं। इन पोषक तत्वों की वजह से ही नट्स और सीड्स का सेवन करने से वजन बढ़ने का खतरा नहीं रहता। साथ ही डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग का भी रिस्क नहीं होता।

अपनी डायट में नट्स और सीड्स को कैसे शामिल कर सकते हैं, इस बारे में यहां जानें:

  • नट्स और सीड्स बहुउपयोगी होते हैं और इन्हें साथ में कैरी करना भी आसान होता है। आप चाहें तो बड़ी आसानी से अस्वास्थ्यकर स्नैक्स की बजाए हेल्दी और रोस्टेड नट्स और सीड्स का सेवन कर सकते हैं।
  • नट्स और सीड्स भले ही थोड़े महंगे आते हों लेकिन आप इन्हें बल्क में खरीद सकते हैं जब इनका सीजन हो। ऐसा करने से आपको न सिर्फ ये सही दाम पर मिलेंगे बल्कि फ्रेश भी मिलेंगे।
  • नमक वाले सॉल्टेड, रोस्ट किए हुए या प्रोसेस्ड नट्स और सीड्स न खरीदें। नट्स और सीड्स को रोस्ट करना बेहद आसान होता है और इसे किसी भी दिन घर पर पैन में आसानी से किया जा सकता है। लिहाजा प्रोसेस्ड नट्स और सीड्स न खरीदें ताकि आप अतिरिक्त सोडियम और प्रिजर्वेटिव्स से बचे रहें।
  • नट्स और सीड्स को किसी एयरटाइट डिब्बे में बंद करके ठंडी जगह पर रखें। ऐसा करने से वे लंबे समय तक फ्रेश बने रहेंगे और खराब नहीं होंगे।
  • आप जो भी खाना पका रहे हों उसमें इन नट्स और सीड्स को डालने का प्रयास करें। ऐसा करने से आप रोजाना इनका सेवन कर पाएंगे।
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Madhurodh Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को डायबिटीज के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Sugar Tablet
₹691  ₹999  30% छूट
खरीदें

खाना पकाने के लिए सही तेल का चयन कैसे करें?

ऑइल यानी तेल खाना बनाने का ऐसा माध्यम है जिसका इस्तेमाल दुनियाभर के घरों में किया जाता है और यह आपके खाने को सिर्फ फ्लेवर ही नहीं देता बल्कि कई और तरह से भी काम आता है। खाने पकाने के लिए सही तेल का चुनाव करने से आपके हृदय की सेहत बेहतर हो सकती है और आपके डायट में विटामिन्स और मिनरल्स भी ऐड हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सभी कुकिंग ऑइल या फैट को या तो फलों से निकाला जाता है (ऑलिव ऑइल और नारियल तेल), या फिर नट्स से (मूंगफली का तेल) या फिर बीज से (तिल का तेल और सरसों का तेल)। कुछ लोग घी का भी इस्तेमाल करते हैं जो डेयरी से मिलता है।

ऐसे में अगर आप सबसे हेल्दी कुकिंग ऑइल का चयन करना चाहते हैं तो आपको खरीददारी करते वक्त इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • ऐसा तेल चुनें जिसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक हो जैसे- कनोला का तेल, जैतून का तेल, मूंगफली का तेल और तिल का तेल। अगर आप मध्यम या उच्च तापमान पर खाना पकाते हैं। ये ऐसे तेल हैं जो अधिक तापमान पर भी टूटते या ऑक्सिडाइज नहीं होते।
  • कुछ फ्राई करना चाहते हैं तो घी को चुनें। घी का स्मोकिंग पॉइंट बहुत अधिक होता है और यह उच्च तापमान भी टूटता नहीं है।
  • खाने बनाने के लिए ऐसा तेल न चुनें जिसमें पॉलिअनसैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक हो जैसे- सोयाबीन, सनफ्लावर ऑइल आदि। इस तरह के तेल उच्च तापमान पर ऑक्साइड होकर केमिकल्स रिलीज करने लगते हैं जो हानिकारक होते हैं। इन तेलों का इस्तेमाल सैलड ड्रेसिंग में किया जा सकता है।
  • एक बार में बहुत ज्यादा तेल खरीदकर स्टोर करके न रखें। कम-कम मात्रा में खरीदें। ऐसा करने से खाना बनाने के दौरान अतिरिक्त तेल इस्तेमाल नहीं होगा और एक्सपोजर से तेल के ऑक्सिडेशन का भी खतरा नहीं रहेगा।
  • खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल को दोबारा यूज न करना भी एक अच्छी आदत है। अगर आपके पास इस्तेमाल किया हुआ तेल बच रहा हो तो उसे फेंक देना भी सही रहेगा।

हर्ब्स, मसाले और खाने को स्वादिष्ट बनाने वाले सीजनिंग का सही चुनाव कैसे करें?

जड़ी-बूटियां और मसाले भी खाने पकाने से जुड़ी अहम सामग्रियां हैं लेकिन सिर्फ इसलिए नहीं क्योंकि वे हमारे भोजन को रंग और फ्लेवर देते हैं। मसाले, पौधों की जड़ें, छाल, फल, बीज और पत्तियों से उत्पन्न होते हैं लेकिन इन्हें जड़ी बूटियों के साथ मिक्स नहीं करना चाहिए क्योंकि हर्ब्स या जड़ी-बूटी छोटे पौधों की पत्तियां होती हैं जिनका इस्तेमाल सिर्फ खाने को सजाने यानी गार्निश करने के लिए किया जाता है। वैसे तो बहुत से लोगों को साबुत मसाले इस्तेमाल करना ही सही लगता है लेकिन बहुत से मसाले पिसे हुए रूप में भी मिलते हैं। हर्ब्स आमतौर पर ताजे या सूखे हुए रूप में मिलते हैं।

ज्यादातर हर्ब्स और मसाले फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होते हैं और हृदय की सेहत, संज्ञानात्मक क्रियाएं, स्किन की सेहत और इन्फ्लेमेशन के लिए अच्छे माने जाते हैं। कुछ मसाले जैसे- हल्दी में कर्क्युमिन होता है जिसमें एंटी-कैंसर के फायदे होते हैं। व्यावसायिक रूप से बिकने वाले सॉस जैसे टमेटो सॉस में भी फल और सब्जियों के अलावा कई मसाले और हर्ब्स होते हैं जिन्हें सीजनिंग एजेंट के तौर पर बेचा जाता है।

ऐसे में हर्ब्स, मसाले और सीजनिंग खरीदते वक्त इन बातों का रखें ध्यान:

  • अगर आप हर्ब्स खरीद रहे हैं तो ताजे हर्ब्स ही खरीदें। उन्हें सूंघ लें और थोड़ा सा मसल कर देखें कि उसमें से ताजी और तेज सुगंध आ रही है या नहीं।
  • अगर आप सूखे हुए हर्ब्स खरीद रहे हैं तो उनकी पैकेजिंग और एक्सपायरी डेट चेक करें। सूखे हुए हर्ब्स ताजे हर्ब्स की तुलना में ज्यादा स्ट्रॉन्ग फ्लेवर वाले होते हैं इसलिए कम मात्रा में इनका इस्तेमाल करना चाहिए।
  • साबुत मसाले खरीदकर उन्हें घर पर ही पीसकर इस्तेमाल करना ही सही रहता है क्योंकि इससे मसाले में मिलावट का खतरा नहीं रहता।
  • मसालों और हर्ब्स को एयरटाइट कंटेनर में बंद करके ठंडी और अंधेरे वाली जगहों पर रखें।
  • हर्ब्स और मसालों का फायदा और फ्लेवर समय के साथ घटता जाता है इसलिए उनकी एक्सपायरी डेट के बाद उनका इस्तेमाल न करें।
  • वैसे तो बाजार में बिकने वाले रेडिमेड सॉस, हर्ब्स और मसालों का खरीदना आसान होता है लेकिन इनसे दूर रहना ही अच्छा है। इस तरह के सॉस में अतिरिक्त चीनी और सोडियम कॉन्टेंट के अलावा प्रिजर्वेटिव्स होता है ताकि उन्हें स्टोर करके रखने की क्षमता को बढ़ाया जा सके और यही चीजें शरीर के लिए हानिकारक हो सकती हैं।

हेल्दी रेसिपी में चीनी और नमक की मात्रा कितनी होनी चाहिए?

अगर आप सोच रहे हैं कि चीनी और नमक हानिकारक होते हैं तो हम इन्हें हेल्दी रेसिपी में क्यों डालें तो हकीकत यही है कि इनके बिना आपके भोजन का वह स्वाद ही नहीं रहेगा जो होना चाहिए। लेकिन अगर आप चीनी और नमक दोनों का ही बहुत ज्यादा इस्तेमाल करें तो आपको हृदय रोग, हाइपरटेंशन, मोटापा, डायबिटीज आदि बीमारियां होने का खतरा हो सकता है। वहीं दूसरी तरफ शरीर में सोडियम की कमी की वजह से इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलन हो सकता है और कई तरह की बीमारियां भी हो सकती हैं।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) का सुझाव है कि आपको रोजाना 1.5 ग्राम से कम सोडियम यानी नमक का सेवन करना चाहिए, वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO कहता है कि स्वस्थ लोगों द्वारा रोजाना 2 ग्राम सोडियम का सेवन करने में कोई हर्ज नहीं है। साधारण नमक में वजन के हिसाब से करीब 40 प्रतिशत सोडियम होता है। लिहाजा एक चम्मच नमक का सेवन आपकी रोजाना की सोडियम की जरूरत को पूरा कर सकता है। अगर आपको पहले से हृदय से जुड़ी कोई बीमारी है या हाइपरटेंशन की बीमारी है तो डॉक्टर आपके सोडियम के सेवन को उसके हिसाब से बदल सकते हैं।

ठीक इसी तरह आपके शरीर को कार्य करने के लिए ग्लूकोज की जरूरत होती है और एएचए का सुझाव है कि हमारी रोजाना की चीनी की जरूरत पुरुषों के लिए 37.5 ग्राम (करीब 7 चम्मच) और महिलाओं के लिए रोजाना 25 ग्राम (करीब 5 चम्मत) है। ध्यान रहे कि इसमें अतिरिक्त चीनी के अलावा वह चीनी भी शामिल है जो आपको कार्बोहाइड्रेट खाने से मिलती है।

लिहाजा चीनी या नमक को पूरी तरह से अपनी डायट से हटाना कहीं से भी समझदारी भरा कदम नहीं है। इसकी बजाए बेहतर विकल्प ये है कि आप सही नमक का चुनाव करें और चीनी की बजाए उसके हेल्दी विकल्पों का इस्तेमाल करें जैसे- गुड़ या शहद।

आप इन बातों को भी अपना सकते हैं:

  • अगर आप खाना बनाने के दौरान साधारण आयोडाइज्ड नमक या टेबल सॉल्ट यूज कर रहे हों तो उसकी कम से कम मात्रा का इस्तेमाल करें।
  • कोशर नमक या समुद्री नमक में भी टेबल सॉल्ट जितना ही सोडियम होता है इसलिए इनकी भी कम मात्रा ही यूज करें।
  • हिमालयन नमक या पत्थर वाला सेंधा नमक में मिनरल्स पाए जाते हैं। इसलिए अगर आप इनका इस्तेमाल कर रहे हों तो इन्हें खाने में आखिर में डालें या सलाद में ऊपर से डालें।
  • अगर आपको कुछ मीठा खाने का दिल कर रहा हो तो चीनी से भरपूर मिठाई खाने की बजाए ताजे फल का सेवन कर लें।
  • शहद, मेपल सीरप, गुड़, केन शुगर और खजूर से बनी चीनी या पाम शुगर भी साधारण सफेद चीनी के बेहतर विकल्प हैं। मिठाई बनाते वक्त या केक बेक करते वक्त इन चीजों का इस्तेमाल करें।
  • बहुत ज्यादा चीनी वाले ड्रिंक्स, स्नैक्स या नमकीन स्नैक्स और चिप्स का सेवन न करें। इनमें सोडियम और ग्लूकोज की मात्रा तो अधिक होती ही है, साथ में प्रिजर्वेटिव्स की मात्रा भी ज्यादा होती है जो बेहद हानिकारक होते हैं।

खाने पकाने का सबसे हेल्दी तरीका कौन सा है?

अब जब आपको पता चल गया है कि हेल्दी खाना बनाने के लिए बेस्ट और हेल्दी सामग्रियों का चुनाव कैसे करना है तो अब अपना ध्यान दूसरे बड़े सवाल की ओर मोड़ें और वह है- खाने को कैसे पकाएं? वैसे तो खाने-पीने की कई चीजें हैं जिन्हें आप बिना पकाए कच्चा ही खा सकते हैं जैसे- फल, हर्ब्स, नट्स और सीड्स और कई सब्जियां भीं। लेकिन अगर हेल्दी खाना बनाना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि खाने पकाने का सबसे हेल्दी तरीका कौन सा है। यहां हम आपको खाने बनाने के तरीके और उनके फायदों के बारे में बता रहे हैं जिसके बाद आप अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें से किसी भी तरीके को चुन सकते हैं:

हल्के तेल में तलना या भूनना

यह खाना पकाने का आसान और जल्दी वाला तरीका है और हेल्दी भी है अगर इसमें सही तेल और सही तापमान का इस्तेमाल किया जाए। इसके लिए जैतून का तेल, चावल की भूसी का तेल (राइस ब्रैन ऑइल), मूंगफली का तेल, गाय का घी आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप मध्यम या उच्च तापमान पर भोजन को हल्के तेल में तलेंगे या भूनेंगे तो उसमें हानिकारक केमिकल्स को आने से रोका जा सकता है।

पोचिंग और ब्लान्चिंग

ब्लान्चिंग एक ऐसी टेक्नीक है जिसमें भोजन को नमक वाला पानी, रसा या शोरबा में पकाया जाता है और इसे उबालने की बजाए हल्का सा सिमसिमाया जाता है। वहीं दूसरी तरफ पोचिंग बेहद हेल्दी और नाकाबिल समझना जाने वाले कुकिंग मेथड है जो सब्जियों, मछली, अंडा, चिकन और टर्की जैसी चीजों के साथ एकदम सही काम करता है। पोचिंग लिक्विड में साबुत मसाले और सूखे हर्ब्स डालने से डिश का फ्लेवर और बढ़ जाता है।

रोस्टिंग, बेकिंग और एयर-ड्राइंग

इन तरीकों को भी हेल्दी माना जाता है। लेकिन कुछ परिस्थितियां हैं जब रोस्टिंग को हानिकारक माना जाता है। उदाहरण के लिए- अगर आप स्टार्च से भरपूर चीजें जैसे- आलू या ब्रेड को रोस्ट कर रहे हों और उस वक्त अवन का तापमान बहुत अधिक हो तो कैंसर पैदा करने वाला तत्व ऐक्रिलामाइड रिलीज होता है। लिहाजा अवन का तापमान मध्यम या कम पर रखें और अपने खाने को धीमा-धीमा पकने दें।

स्टीमिंग

यह भी खाने पकाने का सबसे हेल्दी तरीका है क्योंकि इसमें पानी या तेल किसी भी तरह के कुकिंग एजेंट की जरूरत नहीं होती है और इसमें धीमी आंच पर धीरे-धीरे खाना पकता है। आप सब्जियां बना रहे हों, अनाज, मछली या चिकन सभी के साथ स्टिमिंग तकनीक बेहतर काम करती है।

बॉइलिंग या उबालना

खाना पकाने का यह तरीका भी हेल्दी है क्योंकि इसमें भी तेल की जरूरत नहीं होती। अपने खाने को उबालते वक्त तापमान मध्यम रखें और साबुत मसाला या हर्ब्स उबाल देने वाले लिक्विड में डाल दें। इससे फ्लेवर अधिक आएगा।

फ्राइ करना या डीप-फ्राइ करना

खाने बनाने की इस प्रक्रिया के दौरान काफी तेल का इस्तेमाल होता है इसलिए इसे हेल्दी नहीं माना जाता। अगर सही तरीके से न किया जाए तो डीप फ्राइंग बेहद हानिकारक हो सकता है। जैसे- अगर तेल सही तरीके से गर्म न हुआ हो, अगर आप पुरा तेल दोबारा यूज कर रहे हों, हाई स्मोकिंग पॉइंट वाला तेल इस्तेमाल न कर रहे हों या फिर अगर आप नियमित रूप से डीप-फ्राई की गई चीजों का सेवन करते हों। सरसों का तेल, घी, कनोला तेल, मूंगफली का तेल, तिल का तेल औऱ सूरजमुखी का तेल- ये कुछ ऐसे तेल हैं जिनका स्मोकिंग पॉइंट अधिक होता है और फ्राई करने के दौरान इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

और आखिर में इन बातों का रखें ध्यान

आप क्या खा रहे हैं या अपनी डायट में किन चीजों का शामिल कर रहे हैं इसे लेकर अगर आप सावधान हो जाएं तो फिट और हेल्दी रहने का इससे अच्छा तरीका और कोई हो ही नहीं सकता। लेकिन स्वस्थ और संतुलित भोजन का सेवन करने से पहले आपको यह समझना होगा कि आपके भोजन को बनाने में क्या-क्या चीजें शामिल हैं। यही कारण है कि ज्यादातर अध्ययनों में घर के बने खाने को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। लिहाजा आपको भी घर के बने खाने का ही सेवन करना चाहिए ताकि आप बीमारियों और वजन बढ़ने के खतरे से बचे रहें।

घर में खाना बनाने के दौरान सही सामग्री चुनें जिसमें ढेर सारे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दालें, प्रोटीन, हर्ब्स, मसाले, नट्स और सीड्स शामिल हों। ऐसे तेल का चुनाव करें जो खाने बनाने के दौरान अधिक तापमान पर टूटे नहीं लेकिन कुछ तेल जैसे जैतून का तेल को आप कच्चा और पकाकर दोनों तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। चीनी और नमक खाने का स्वाद बढ़ाते हैं लेकिन इनका इस्तेमाल नाम-मात्र के लिए करना चाहिए। सफेद चीनी की जगह गुड़, शहद और मेपल सिरप जैसे विकल्पों का इस्तेमाल करना बेहतर होगा।

अब तक जितने भी तरह के खाना पकाने के तरीकों की खोज की गई है उनमें से पोचिंग, बॉइलिंग और स्टीमिंग ही सबसे हेल्दी माने जाते हैं। अगर आप पोषक तत्वों से भरपूर सामग्रियों का इस्तेमाल कर, सबसे हेल्दी कुकिंग एजेंट और हेल्दी कुकिंग मेथड का इस्तेमाल कर अपना खाना पकाते हैं तो इस बात की संभावना अधिक है कि आपको मौसमी बीमारियां, इंफेक्शन और बुखार के साथ-साथ क्रॉनिक बीमारियां भी नहीं होंगी।

ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ