गर्भाशय लेइयोमोमा या फाइब्रॉइड यूट्रस को गर्भाशय की रसौली के नाम से जाना जाता है, यह फाइब्रॉइड महिलाओं में सबसे अधिक होने वाला ट्यूमर है। अधिकांश महिलाएं अपने जीवनकाल में कभी ना कभी यह समस्या देखती ही हैं। कुछ महिलाओं में कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते, जबकि कुछ महिलाओं में, ज्यादा मात्रा में रक्त स्राव, रक्त स्राव के परिणामस्वरूप एनीमिया का होना, मासिक धर्म के दौरान अधिक दर्द होना, बार-बार पेशाब की इच्छा होना और कब्ज होना; सेक्स के दौरान अत्यधिक दर्द होना इत्यादि इसके लक्षण देखे जाते हैं। ऐसे में डाइट में कुछ बदलाव करके इन लक्षणों एवं रसौली के आकर में परिवर्तन किया जा सकता है, साथ ही कुछ ऐसे भी भोज्य पदार्थ हैं जो इस बीमारी की स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं, इस लेख में हम इन्हीं विषयों पर चर्चा करेंगे, साथ ही आपके साथ एक भारतीय डाइट चार्ट भी साझा करेंगे, आइये जानते हैं :

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  1. बच्चेदानी में फाइब्रॉएड में खाएं शाकाहारी आहार - Vegetarian diet for Uterine Fibroids in Hindi
  2. गर्भाशय में फाइब्रॉएड के लिए सब्जियां - Vegetables good for Uterine Fibroids in Hindi
  3. बच्चेदानी की रसौली के लिए फल - Fruits to shrink Uterine Fibroids in Hindi
  4. गर्भाशय की रसौली के दौरान खून की कमी के लिए आहार - Diet for anemia during Uterine Fibroids in Hindi
  5. बच्चेदानी की रसौली में लें विटामिन डी से भरपूर भोजन - Vitamin D rich food for Uterine Fibroids in Hindi
  6. गर्भाशय फाइब्रॉएड में करें ग्रीन टी का सेवन - Green tea good for Uterine Fibroids in Hindi
  7. गर्भाशय की रसौली में क्या न खाएं और परहेज - Avoid these foods in Uterine Fibroids in Hindi
  8. गर्भाशय की रसौली के लिए भारतीय डाइट प्लान - Indian Diet plan for Uterine Fibroids in Hindi
  9. गर्भाशय की रसौली में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं के डॉक्टर

कुछ ऐसे अध्ययन हैं, जो कहते हैं कि बीफ और अन्य लाल मीट या हैम आदि का प्रयोग फाइब्रॉइड यानी रसौली को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं और शाकाहारी आहार जैसे सब्जियां एवं फल, इसके जोखिम को कम करते हैं। अतः जब भी अपना डाइट प्लान करें, इस आवश्यक बिंदु का अवश्य ध्यान रखें, इसके तहत ऊर्जा के लिए साबुत अनाज लें, प्रोटीन के लिए दालें, फलियां, दूध और दूध से बनी चीजें लें, वसा के लिए पौधों से उत्पन्न चीजों के तेल जैसे सूरजमुखी का तेल, जैतून का तेल, अलसी का तेल और बीज और सूखे मेवे आदि का प्रयोग करें। सभी विटामिन और मिनरल के लिए सभी फलों और सब्जियों का सेवन करें।

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कुछ सब्जियां इस बीमारी के लक्षणों में सुधार कर सकती हैं जैसे कि :

क्रुसिफेरस सब्जियों को अवश्य करें शामिल - कुछ ऐसे अध्ययन हैं जो बताते हैं कि रसौली वाली महिलाओं को क्रूसिबल सब्जियों (जैसे कि गोभी, ब्रोकोली, शलजम, सरसों का साग, शलजम और फूलगोभी) का सेवन अधिक करना चाहिए, क्योंकि यह गर्भाशय की रसौली को नियंत्रित करने में काफी हद तक मदद करते हैं। सब्जियों के इस समूह में इंडोल-3-कारबिनोल होता है जो एस्ट्रोजन चयापचय पर इसके प्रभाव के कारण एस्ट्रोजन ड्रिवन ट्यूमर पर रोक लगाता है।

हरी पत्तेदार सब्जियां - कुछ तथ्य ये बताते हैं कि फोलिक एसिड और फाइबर का उचित मात्रा में सेवन करना, रसौली के लक्षणों को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है। इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे कि पालक, मेथी की पत्तियां, चौलाई का साग, चुकंदर और चुकंदर का साग अपने नियमित आहार में शामिल करें। पौष्टिक लाभों के लिए इन सब्जियों को सलाद, सूप, करी के रूप में या अपनी दाल में डाल कर शामिल करें।

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कुछ फल हैं, जो इस बीमारी के दौरान उपचार में मदद कर सकते हैं, जैसे :

विटामिन ए से भरपूर फल - कुछ अध्ययन ये बताते हैं कि विटामिन ए से भरपूर फल लेना रसौली के दौरान काफी फायदेमंद साबित होता है, यह फाइब्रॉइड/रसौली के आकर को कम करने में मददगार साबित होते हैं। इसके लिए सेब, पपीता, गाजर, तरबूज और सभी लाल व पीले फल अपने आहार में शामिल करें।

खट्टे फल - खट्टे फल विटामिन सी से भरपूर होते हैं जो यूटेराइन फाइब्रॉइड की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है, इसलिए इस पोषक तत्व की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अंगूर, संतरा, नींबू, चकोतरा, आंवला आदि को अपने आहार में शामिल करें। साथ ही, फलों के रस के बजाय, इन फलों को पूरे फल के रूप में लेने की कोशिश करें

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अधिक मासिक धर्म प्रवाह के कारण, आमतौर पर गर्भाशय के रसौली वाले रोगियों में एनीमिया की समस्या हो जाती है। यदि आप भी इस लक्षण से पीड़ित हैं, तो रक्त में हीमोग्लोबिन, विटामिन बी 12 और आयरन के स्तर की नियमित जांच करवाएं। यदि आपके शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी है, तो अपनी रिपोर्ट के अनुसार एक अच्छे डाइट प्लान के लिए अपने पोषण विशेषज्ञ से परामर्श करें। 

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यदि आप एनीमिया से बचना चाहते हैं, तो पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी हरी पत्तेदार सब्जियां, अंकुरित अनाज, खजूर, अंजीर, अंडे की जर्दी, खमीर युक्त आहार आदि को खाने में लें।

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कुछ शोध अध्ययन इस बात का प्रमाण देते हैं कि पर्याप्त विटामिन डी गर्भाशय की रसौली के जोखिम को कम कर देते हैं। यदि आपके शरीर में इसकी कमी है तो आप अपने चिकित्सक से सप्लीमेंट के बारे में बात कर सकते हैं, इनके अलावा, कुछ खाद्य विकल्प ऐसे हैं, जिनका नियमित सेवन करके लाभ लिया जा सकता है, जैसे कि :

अंडे की जर्दी
फोर्टीफाइड दूध, पनीर और डेयरी उत्पाद
फोर्टीफाइड अनाज
फोर्टीफाइड फलों का जूस
फैटी मछलियां
कॉड लिवर ऑयल

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ग्रीन टी पॉलीफेनॉल्स से भरपूर होती है, जो कि एक प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जैसे कि सूजन को कम करना और कैंसर से लड़ने में मदद करना। इनके साथ ही साथ यह गर्भाशय की रसौली के आकार को कम करने के लिए भी जाना जाता है।

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एक अध्ययन के दौरान, 39 महिलाओं की भर्ती की गई, सभी ने अध्ययन के सभी पांच चरण पूरे किए। प्लेसीबो समूह में, अध्ययन की अवधि में रसौली की मात्रा में 24.3% की वृद्धि हुई; जबकि जिन रोगियों ने ग्रीन टी एक्सट्रेक्ट का सेवन किया, उनके उपचार में कुल गर्भाशय रसौली की मात्रा में एक महत्वपूर्ण कमी (32.6%) दिखाई दी। इसलिए इसके गुणों का भरपूर लाभ उठाने के लिए, हर रोज कम से कम 1 कप ग्रीन टी लेने की कोशिश करें, इसके अलावा, आप अपने डॉक्टर से चर्चा करके, ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट कैप्सूल का भी सेवन शुरू कर सकते हैं।

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कुछ भोज्य पदार्थ इस स्थिति एवं उनके लक्षणों को बिगाड़ सकते हैं, उनसे परहेज करें। जैसे कि :

प्रोसेस्ड फूड के प्रयोग से बचें - कई अध्ययन हैं जो कहते हैं कि प्रोसेस्ड फूड लेने से शरीर में सूजन का स्तर बढ़ सकता है जो कि रसौली के आकार को बढ़ा सकता है और इस बीमारी के लक्षणों को और भी खराब कर सकता है। इसके लिए सभी पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड के प्रयोग को कम करने के लिए इन खाद्य पदार्थों से बचें जैसे कि :
चिप्स
जैम
जेली
नमकीन
बिस्कुट
रेडी टू ईट फूड आदि
इस भोजन को लेने के बजाय, पोषक तत्वों से भरपूर, ताजा एवं घर का बना भोजन लेने की आदत डालें।

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शराब को कहें ना - किसी भी प्रकार की शराब पीने से आपकी रसौली के लिए खतरा बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए हो सकता है, क्योंकि अल्कोहल रसौली के बढ़ने के लिए आवश्यक हार्मोन के स्तर को बढ़ा देता है। शराब सूजन को भी शरीर में बढ़ा सकती है, जो इस बीमारी के लक्षणों को खराब कर सकती है। एक अध्ययन में कहा गया है कि जो महिलाएं एक या एक से अधिक बियर पीती हैं, उनके लक्षणों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी जाती है। अपने जोखिम को कम करने के लिए शराब एवं शराब युक्त पेय से बचें।

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रेड मीट से करें परहेज - कई अध्ययनों के अनुसार, लाल मांस का सेवन रसौली की स्थिति को बिगाड़ सकता है, अतः पोर्क, बीफ, मटन आदि से परहेज करें।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Energy & Power Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को शारीरिक व यौन कमजोरी और थकान जैसी समस्या के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

यहां हम एक भारतीय डाइट प्लान साझा कर रहे हैं, जो रसौली के आकार एवं लक्षणों को नियंत्रित करने में काफी फायदेमंद है :

सुबह खाली पेट - नींबू रस के साथ गर्म पानी (1 गिलास) + बादाम (6-7) + किशमिश (8-10)
सुबह का नाश्ता - बेसन पनीर चीला (2) + हरी चटनी (2 चम्मच)
मध्य भोजन - सेब (1 माध्यम)
दोपहर का खाना - चपाती (2) + राजमा (1 कटोरी) + मौसमी हरी सब्जी (1 कटोरी) + सलाद (1 छोटी प्लेट)
शाम की चाय - ग्रीन टी (1 कप) + भुना हुआ चना (1-2 मुट्ठी)
रात का खाना - वेजिटेबल सूप (1 कटोरी) + मल्टीग्रेन चपाती (2) + अरहर दाल (1 कटोरी) + को भी मौसमी हरी सब्जी (1 कटोरी)
सोते समय - हल्दी वाला दूध (1 कप)

Dr. Dhanamjaya D

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Dt. Surbhi Upadhyay

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Dt. Manjari Purwar

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Dt. Akanksha Mishra

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