गर्भावस्था हर महिला के जीवन का एक सुंदर चरण होता है। महिलाओं के लिए मां बनना एक बहुत ही सुखद एहसास होता है। साथ ही साथ गर्भवती महिला में मां बनने को लेकर बड़ी उत्सुकता होती है। जो महिला गर्भ धारण (कन्सीव) करने की कोशिश कर रही हैं, उनके लिए पीरियड का मिस होना गर्भावस्था के लक्षण हो सकते हैं। लेकिन मासिक धर्म ना आना गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण हो, यह ज़रूरी नहीं है।
सामान्यतः सेक्स के बाद जब गर्भधारण होता है उस दौरान बहुत कम महिलाओं को किसी भी तरह के लक्षण महसूस होते हैं, क्योंकि आजकल अधिकतर महिलाओं को प्रचार के माध्यम से बाजार में उपलब्ध प्रेगनेंसी टेस्ट किट की जानकारी होती है और वो सेक्स करने के हफ्ते भर बाद ही गर्भावस्था की जांच कर लेती हैं, लेकिन कुछ महिलाओं का कहना है कि उन्हें सेक्स के बाद ही, ओवुलेशन से भी पहले (10 दिनों में) कुछ लक्षण महसूस होते हैं, जैसे- थकान, लगातार पेशाब आना, शारीरिक तापमान बढ़ना, ब्रेस्ट में दर्द होना आदि।
ऐसा माना जाता है कि निषेचित अंडे आपके शरीर को कुछ संकेत भेजते हैं, जैसे आरोपण (implantation) से पहले हार्मोन मुक्त होना आदि। लेकिन केवल यह कहना कि इस समय कोई लक्षण महसूस नहीं होते या लक्षण ज़रूर महसूस होते हैं, पूरी तरह से गलत होगा। जैसे ही आप गर्भ धारण करती हैं, आपके हार्मोन बदलने लगते हैं और आपके शरीर में कई अन्य बदलाव होने लगते हैं। हालांकि ज्यादातर महिलाएं अपने शरीर के संकेतों को नहीं पहचान पाती हैं। यदि आप शरीर पर ध्यान दें, तो इससे आपके लिए गर्भधारण का पता लगाना आसान होगा। तो आइए जानते हैं गर्भावस्था से जुड़े कुछ शुरुआती लक्षणों के बारे में -
(और पढ़ें - प्रेग्नेंट होने के उपाय)
- प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण क्या हर महिला में समान होते हैं?
- गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षण क्या होते हैं?
- प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दिखते हैं?
- प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण
- गर्भावस्था के लक्षण दिखने के अन्य कारण
प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण क्या हर महिला में समान होते हैं?
प्रेग्नेंसी के शुरूआती लक्षण हर महिला में समान नहीं होते हैं। ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि हर महिला के शरीर की प्रकृति अलग-अलग होती है। प्रेग्नेंसी में जैसे लक्षण एक महिला को अनुभव हो जरूरी नहीं कि वैसे ही लक्षण अन्य महिलाओं को भी महसूस हो। कई बार पीरियड्स के पहले और पीरियड्स के दौरान आप जिन संकेतों को गर्भावस्था के शुरूआती लक्षण समझ लेती हैं, सही मायने वह किसी अन्य समस्या की ओर भी इशारा कर सकते हैं। आगे आपको प्रेग्नेंसी के लक्षणों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षण आपके प्रेग्नेंट होने का मात्र संकेत हो सकते हैं, प्रेग्नेंसी की पुष्टि के लिए आपको प्रेग्नेंसी से संबंधी टेस्ट करवाने चाहिए।
(और पढ़ें - गर्भावस्था में ध्यान रखने वाली बातें)
गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षण क्या होते हैं?
गर्भ ठहरने के शुरूआती लक्षण क्या होते हैं, इस पर एक सर्वे किया गया। जिसमें महिलाओं ने कई तरह के लक्षणों को बताया। इस सर्वे के आधार पर महिलाओं के मत नीचे बताए जा रहे हैं-
- 29 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि पीरियड्स न आना उनके लिए गर्भवती होने का पहला लक्षण था। (और पढ़ें - मासिक धर्म का बंद होना)
- 25 प्रतिशत ने बताया कि जी मिचलाना या उल्टी आना उनके लिए गर्भ ठहरने का लक्षण था।
- 17 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि स्तन में बदलाव होना उनके लिए गर्भाधान का प्रारंभिक लक्षण था।
- मात्र 3 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि अंडे का गर्भाशय में स्थापित होने के दौरान रक्तस्त्राव, उनके लिए गर्भावस्था का लक्षण था।
(और पढ़ें - पीरियड से जुड़े मिथक और तथ्य)
प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दिखते हैं?
आपको बता दें कि प्रेग्नेंसी का पहला सप्ताह महिला के अंतिम पीरियड की तारीख के आधार पर तय होता है। कुछ लोगों के द्वारा महिला के अंतिम पीरियड को ही प्रेग्नेंसी का पहला सप्ताह माना लिया जाता है, चाहे आप उस समय प्रेग्नेंट हुई हों या नहीं। डिलीवरी की संभावित तारीख को पता लगाने के लिए महिला के अंतिम पीरियड की अंतिम तारीख का प्रयोग किया जाता है। पीरियड्स के शुरूआती सप्ताह में प्रेग्नेंसी के लक्षण महसूस न होने पर भी इनको गर्भावस्था के महीनों में गिना जाता है।
निम्नतः शुरूआती लक्षणों को समय अवधि के अनुसार समझाने के प्रयास किया जा रहा है, लेकिन यह समय अवधि हर महिला में अलग-अलग हो सकती है। निम्न बताए जाने वाले लक्षण यदि आप देरी से महसूस करें, तो ऐसे में आप अपने डॉक्टर से परामर्श ले सकती हैं।
(और पढ़ें - प्रेगनेंसी के बारे में सप्ताह के हिसाब से जानें और टेस्ट ट्यूब बेबी का खर्च)
प्रेगनेंट होने के लक्षण और संकेत | संभावित समय अवधि (पीरियड न आने के बाद से) |
हल्की ऐंठन (Cramping) और स्पॉटिंग | गर्भावस्था का पहला सप्ताह से चौथे सप्ताह तक |
महावारी ना आना | गर्भावस्था का चौथा सप्ताह |
थकान होना | गर्भावस्था का पांचवा सप्ताह |
जी मिचलाना | प्रेग्नेंसी के 4 से 6 सप्ताह |
स्तनों में दर्द, संवेदनशीलता और बदलाव होना | प्रेग्नेंसी के 4 से 6 सप्ताह |
लगातार पेशाब आना | गर्भावस्था के 4 से 6 सप्ताह |
पेट में फूलापन लगना (खाने के बाद गैस की तरह) | गर्भावस्था के 4 से 6 सप्ताह |
मोशन सिकनेस (सफर में उल्टी आना) | प्रेग्नेंसी के सप्ताह 5 से 6 |
व्यवहार में तेजी से बदलाव होना (मूड स्विंग्स) | गर्भावस्था का छठा सप्ताह |
शारीरिक तापमान में परिवर्तन | गर्भावस्था का सप्ताह 6 |
हाई बीपी | गर्भावस्था का आठवां सप्ताह |
अत्यधिक थकान और सीने में जलन | गर्भावस्था का नौंवा सप्ताह |
दिल की धड़कने तेज होना | आठवें से गर्भावस्था का दसवां सप्ताह |
स्तन और निप्पल में परिवर्तन | प्रेग्नेंसी का ग्यारहवां हफ्ता |
मुंहासे होना | प्रेग्नेंसी का सप्ताह 11 |
लगातार वजन का बढ़ना | गर्भावस्था का सप्ताह 11 |
गर्भावस्था से चेहरे पर आने वाली चमक | गर्भावस्था का बारहवां सप्ताह |
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण
गर्भवती होने की पुष्टि प्रेगनेंसी टेस्ट और प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड से ही की जा सकती है। लेकिन, ऐसे कुछ शारीरिक लक्षण और संकेत होते हैं जो आपके गर्भवती होने की ओर इशारा करते हैं। यहाँ कुछ प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण के बारे में जानकारी दी गई है। अगर आपको भी ये प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण देखने को मिलें, तो हो सकता है कि आप गर्भवती हैं। लेकिन इन दो बातों का ध्यान जरूर रहे -
- सिर्फ प्रग्नेंसी टेस्ट के द्वार्रा ही पूरी तरह से सुनिश्चित किया जा सकता है कि आप गर्भवती हैं कि नहीं।
- ये लक्षण और संकेत किसी अन्य कारण से भी हो सकते हैं। अगर आपको भी गर्भावस्था के ये शुरुआती लक्षण हों तो ऐसा जरूरी नहीं है कि आप गर्भवती ही हैं। अगर आपको ये लक्षण दिखें तो आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से मिलें।
स्पॉटिंग और क्रैम्पिंग (ऐंठन)
यह लक्षण मुख्यतः भ्रूण के शुरूआती दौर में बनते समय होने वाला हल्का रक्तस्त्राव (स्पॉटिंग) होता है। पुरूष के स्पर्म से अंडा निषेचित होने के बाद जब अंडे से भ्रूण बनना शुरू होता है, तब 6 से 12 दिनों में वह गर्भाशय से जुड़ जाता है। इस दौरान गर्भाशय से हल्का रक्तस्त्राव होता है। भ्रूण बनने के दौरान इस तरह का हल्का रक्तस्त्राव सामान्य प्रक्रिया होती है और इसको ही चिकित्सीय जगत में स्पॉटिंग (Spotting) कहा जाता है। इस प्रकार का रक्तस्त्राव आमतौर पर हानिरहित होता है। इस दौरान कुछ महिलाओं को ऐंठन (Cramping) भी महसूस होती है। जिन महिलाओं को इस तरह के लक्षण अनुभव न हों, उनको अपनी प्रेग्नेंसी को लेकर घबराना नहीं चाहिए। यह आवश्यक नहीं हैं कि यह लक्षण हर महिला में दिखाई दें।
(और पढ़ें - ओवुलेशन से जुड़े मिथक और तथ्य और गर्भावस्था में पेट दर्द)
पीरियडस न आना
अक्सर प्रेग्नेंट होने के बाद पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। गर्भावस्था में पीरियड्स ना आना इसके प्रारंभिक संभावित संकेतों में से एक माना जाता है। अगर आपके पीरियड्स सामान्य दिनों की तरह नियमित रूप से न आएं, तो इस स्थिति को प्रेग्नेंसी का लक्षण समझा जा सकता है।
(और पढ़ें - sex karne ka tarika)
कुछ महिलाओं को मासिक धर्म के निश्चित समय के बाद बहुत कम ब्लीडिंग हो सकती है, ऐसा तब होता है जब फर्टिलाइज़्ड (निषेचित) अंडा आपके गर्भाशय की दीवार में स्वयं को स्थापित (इम्प्लान्ट) कर रहा होता है। इसके अलावा सामान्य रूप में पीरियड्स न होने पर आप खुद की प्रेग्नेंसी की पुष्टि के लिए प्रेग्नेंसी टेस्ट भी करवा सकती हैं।
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जी मिचलाना (मॉर्निंग सिकनेस)
गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में मॉर्निंग सिकनेस एक सामान्य लक्षण है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रेग्नेंसी में जी-मिचलाना (Morning sickness/ मॉर्निंग सिकनेस) की समस्या 70 से 85 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करती है। यह समस्या पूरे दिन में किसी भी समय हो सकती है। यह परेशानी गर्भावस्था के पहले या दूसरे महीने में शुरू होती है, जबकि दूसरी तिमाही की शुरुआत में यह अपने आप दूर हो जाती है। कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनको जी मिचलाने के दौरान उल्टी नहीं आती है। जी मिचलाने की समस्या बार-बार होने की स्थिति को ही मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है। कुछ महिलाएं अपनी पूरी गर्भावस्था के दौरान इस तरह की समस्या से परेशान रहती हैं।
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स्तनों में सूजन और दर्द
स्तनों में बदलाव आना प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण हो सकता है। अगर कोई महिला प्रेग्नेंट हुई हो तो प्रेगनेंसी के शुरुआत में महिलाओं के स्तनों में भारीपन, संवेदनशीलता और सूजन महसूस होती है। ऐसा इस लिए होता है क्योंकि प्रेगनेंसी के शुरुआत में महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन्स के स्तर में परिवर्तन होता है और स्तनों में बदलाव आना शुरू होता है। अगर कोई प्रेग्नेंट होती है यो गर्भ धारण के एक सप्ताह के बाद आप अपने स्तनों में बदलाव को अनुभव कर सकती हैं। गर्भावस्था की पहली तिमाही के बाद यह समस्या काफी कम हो जाती है। इस समय स्तनों के दर्द और संवेदनशीलता को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है आप अपनी फिटिंग के अनुसार नरम ब्रा को ही पहनें।
(और पढ़ें - गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट में परिवर्तन होने के कारण)
थकान महसूस होना
गर्भावस्था के शुरूआती सप्ताह में अधिकतर महिलाओं को थकान महसूस होती है। प्रेग्नेंसी के समय शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते हैं। जिससे महिलाओं को थकान महसूस होती है। इस समय महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन के बढ़ते स्तर की वजह से थकान होना एक आम बात है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान लो बीपी और लो शुगर लेवल (रक्तचाप और मधुमेह का स्तर कम होना) भी आपको थका हुआ महसूस करा सकता है।
गर्भावस्था के शुरुआती दौर से ही आपका शरीर शिशु के लिए तैयार होना शुरू हो जाता है। इससे भी आपको थकान होने लगती है और ऐसे में आप अधिक बैठना या लेटना पसंद करने लगती हैं। पहली और तीसरी तिमाही में थकान सबसे आम समस्या मानी जाती है।
(और पढ़े - गर्भावस्था में थकान दूर करने के उपाय)
गर्भावस्था के लक्षण दिखने के अन्य कारण
प्रेग्नेंसी के लिए बताए गए लक्षण मात्र गर्भावस्था की ओर ही इशारा नहीं करते हैं। कई बार यह लक्षण महिलाओं के शरीर में अन्य वजह से भी हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आपका पीरियड समय से नहीं आया है तो इसका मतलब केवल ये नहीं कि ये प्रेगनेंसी का लक्षण है - ऐसा भी हो सकता है कि कुछ हार्मोनल असंतुलन के कारण पीरियड देर से आएगा। ऐसे ही मुख्य लक्षणों के बारे में नीचे विस्तार से बताया जा रहा है। (और पढ़ें - पीरियड के कितने दिन बाद गर्भ ठहरता है)
पीरियड न आना या देरी से आना वैसे तो प्रेग्नेंसी की ओर ही इशारा करता है, लेकिन इसके अलावा भी इसके निम्न कारण हो सकते हैं।
- निर्धारित समय में देरी से मासिक धर्म होना
- तेजी से वजन कम होना (और पढ़ें - वजन कम करने के घरेलू उपाय)
- थकान (और पढ़ें - थकान दूर करने के घरेलू उपाय)
- कसरत की प्रकिया में बदलाव
- हार्मोनल असंतुलन
- तनाव और चिंता (और पढ़ें - चिंता दूर करने के घरेलू उपाय)
- जन्म नियंत्रण के तरीकों के उपयोग में बदलाव (और पढ़ें - प्रेगनेंसी रोकने के उपाय)
- विभिन्न बीमारियां
- स्तनपान
जी मिचलाना और मॉर्निंग सिकनेस के अन्य कारण
- विषाक्त भोजन (और पढ़ें - फूड पाइज़निंग का उपचार)
- चिंता
- तनाव (और पढ़ें - तनाव के घरेलू उपाय)
- हार्मोनल जन्म नियंत्रण में परिवर्तन
- अन्य पेट संबंधी बीमारियां (और पढ़ें - पेट फूलने का इलाज)
स्तन में होने वाले बदलाव के अन्य कारण
- हार्मोनल असंतुलन
- हार्मोनल जन्म नियंत्रण में परिवर्तन
- माहवारी का अधिक होना (और पढ़ें - माहवारी का अधिक होना)
थकान होने के अन्य कारण
- तनाव या चिंता
- अधिक काम करना
- अवसाद (और पढ़ें - डिप्रेशन के घरेलू उपाय)
- सर्दी जुकाम या फ्लू होना (और पढ़ें - सर्दी जुकाम के घरेलू उपाय)
- कसरत के तरीके में बदलाव
- एलर्जी होना या अन्य बीमारियां
- नींद की कमी (और पढ़ें - नींद ना आने के घरेलू उपाय)
- पोषण तत्वों की कमी
- देरी से मासिक धर्म होना (और पढ़ें – मासिक धर्म जल्दी लाने के घरेलू उपाय)
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