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गर्भपात एक ऐसी स्थिति होती है जो महिलाओं को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी कष्‍ट देती है। पति-पत्‍नी दोनों के लिए ही गर्भपात का निर्णय लेना काफी मुश्किल होता है। गर्भावस्‍था को खत्‍म करना या भ्रूण को नष्‍ट करना ‘गर्भपात’ कहलाता है। चिकित्‍सक दवाओं या सर्जरी द्वारा गर्भपात करते हैं।

गर्भपात की प्रक्रिया और सुरक्षा गर्भावस्‍था के चरण पर निर्भर करती है। इसका मलतब है कि गर्भावस्‍था के शुरुआती चरण में दवाओं द्वारा गर्भपात किया जा सकता है जबकि अगर कोई महिला गर्भावस्‍था को अधिक समय हो जाने के बाद गर्भपात करवाना चाहती है तो उसे सर्जरी का सहारा लेना पड़ सकता है। जितना जल्‍दी गर्भपात होगा, इसकी प्रक्रिया उतनी ही आसान होगी।

कई मामलों में गर्भपात की प्रक्रिया आसान होती है लेकिन इसके कुछ दुष्‍प्रभाव भी होते हैं जैसे कि बहुत ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होना, पेल्विक हिस्‍से में ऐंठन महसूस होना, जी मिचलाना और उल्‍टी आदि। हालांकि, अगर गर्भपात करवाने के बाद आपको बहुत ज्‍यादा खून बहने, बुखार, तेज दर्द जैसे गंभीर लक्षण नज़र आ रहे हैं तो तुरंत स्‍त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।

गर्भपात का असर महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर नहीं पड़ता है। प्रशिक्षित गायनेकोलोजिस्‍ट की देखरेख में गर्भपात करवाना सुरक्षित रहता है। 

  1. गर्भपात के प्रकार - Types of abortion in Hindi
  2. Abortion कितने महीने तक करवा सकते हैं? - Time limit for abortion in Hindi
  3. गर्भपात की विधियां - Procedures of abortion in Hindi
  4. गर्भपात के लिए कौन सी गोली खाएं? - Medication for abortion in Hindi
  5. भारत में गर्भपात कानून - Indian law on abortion Hindi
  6. गर्भपात के बाद माहवारी कब आती है - When will periods start after Abortion in Hindi
  7. गर्भपात के बाद गर्भवती होने की संभावना - Chances of getting pregnant after abortion in Hindi
  8. सुरक्षित गर्भपात क्या है? और असुरक्षित गर्भपात - Safe and unsafe abortion in Hindi
  9. प्रेगनेंसी के कितने दिन बाद अबॉर्शन करना चाहिए?
  10. Abortion के कितने दिन तक ब्लीडिंग होती है?
  11. Abortion में कितना दर्द होता है?
  12. Abortion के बाद क्या खाएं?
  13. Abortion के बाद कितने दिन रेस्ट करना चाहिए?
  14. Abortion के कितने दिन बाद संबंध बना सकते हैं?
  15. गर्भपात के बाद आपके शरीर में क्या होता है?
  16. गर्भपात से ठीक होने में शरीर को कितना समय लगता है?
  17. गर्भपात के बाद गर्भाशय को कैसे साफ करें?
  18. कैसे पता करें कि गर्भपात पूरा हो गया है?
  19. अधूरे गर्भपात के लक्षण क्या हैं?
  20. गर्भपात पूरा नहीं हुआ तो क्या होगा?
  21. MTP गोली कैसे लें?
  22. गर्भपात (एबॉर्शन) के नुकसान - Side effects of abortion in Hindi
  23. गर्भपात (एबॉर्शन) के बाद सावधानियां - Precautions after abortion in Hindi
  24. सारांश
गर्भपात क्या है? कारण, प्रक्रिया और ज़रूरी सावधानियाँ के डॉक्टर

अबॉर्शन (Abortion) - भ्रूण का जीवित अवस्था में गर्भाशय से बाहर आने से पहले, गर्भावस्था का अंत होना गर्भपात कहलाता है। जो गर्भपात अपने आप हो जाता है उसे मिसकैरेज कहते हैं। जो गर्भपात जानबूझकर किया जाता है उसे प्रेरित गर्भपात (Induced abortion) या कभी कभी प्रेरित मिसकैरेज भी कहा जाता है। गर्भपात शब्द का प्रयोग अकसर प्रेरित गर्भपात के लिए किया जाता है। समान प्रक्रिया में अगर भ्रूण गर्भ के बाहर जीवित रहता है तो उसे "गर्भावस्था की देर से समाप्ति" कहा जाता है।

मिसकैरेज (Miscarriage) - मिसकैरेज को स्वत: गर्भपात (Spontaneous abortion) या गर्भावस्था की विफलता (Pregnancy loss) भी कहा जाता है। इसमें भ्रूण की पैदा होने से पहले ही प्राकृतिक रूप से मृत्यु हो जाती है। मिसकैरेज का सबसे सामान्य लक्षण योनि से दर्द के साथ या दर्द के बिना रक्तस्राव होना है। दुख, चिंता और अपराध जैसी भावना अकसर इसके बाद महसूस होती है। ऊतक और खून के थक्के जैसा पदार्थ भी योनि से निकल सकता है। अगर किसी महिला को हर बार गर्भपात हो रहा है, तो ये बाँझपन की निशानी होती है।

पूर्ण गर्भपात (Complete abortion) - गर्भावस्था की सभी चीज़ों का निष्कासन पूर्ण गर्भपात कहलाता है।

भ्रूण हत्या (Criminal abortion) - गैर कानूनी तरीकों से गर्भावस्था की समाप्ति करना आमतौर पर जब कानूनी प्रेरित गर्भपात (Legal induced abortion) उपलब्ध नहीं है। इसके कारण गंभीर रक्तस्राव और घाव का सड़ना (Sepsis) जैसी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। उनमें भी कुछ लोग चिकित्सा सुविधाएं लेने में देरी कर देते हैं जिसकी वजह से इस प्रकार के गर्भवत में मृत्यु अधिक होती है।

आरंभिक गर्भपात (Early abortion) - गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों के भीतर गर्भपात करने को आरंभिक गर्भपात कहते हैं।

वैकल्पिक गर्भपात (Elective abortion) - जब माँ द्वारा चिकित्सकीय या अन्य कारणों से प्रेरित गर्भपात के लिए अनुरोध किया जाता है तो ऐसे गर्भपात को वैकल्पिक गर्भपात कहते हैं।

हैबिच्युअल अबॉर्शन (Habitual abortion) - गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले, तीन या अधिक बार लगातार स्वत: गर्भपात होना हैबिच्युअल अबॉर्शन कहलाता है।

अपूर्ण गर्भपात (Incomplete abortion) - जिस गर्भपात में गर्भाशय के अंदर ही भ्रूण की मृत्यु हो जाती है या वो गर्भाशय में ही रह जाता है उसे अपूर्ण गर्भपात कहते हैं।

अनिवार्य गर्भपात (Inevitable abortion) - यह एक ऐसी स्थिति जिसमें योनि से अत्यधिक रक्तस्राव होता है, झिल्लियां आमतौर पर फट जाती हैं, गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) फैल जाती है और गर्भपात निश्चित रूप से कराना होता है।

संक्रमित गर्भपात (Infected abortion) - जब गर्भधारण के लिए जिम्मेदार चीज़ों से जननांग पथ में संक्रमण के कारण गर्भपात होता है और प्रतिक्रिया स्वरुप बुखार आता है तो ऐसे गर्भपात को संक्रमित गर्भपात कहते हैं।

विफल गर्भपात (Missed abortion) - यदि भ्रूण 8 सप्ताह से अधिक के लिए गर्भाशय में मृत अवस्था में रहता है तो ऐसे गर्भपात को विफल गर्भपात कहते हैं।

सेप्टिक गर्भपात (Septic abortion) - जब गर्भधारण के उत्पादों या गर्भाशय के एंडोमेट्रियल अस्तर के गंभीर संक्रमण द्वारा गर्भपात होता है तो ऐसे गर्भपात को सेप्टिक गर्भपात कहते हैं। आमतौर पर यह आंत या योनि में संक्रमण के कारण होता है। 

चिकित्सीय गर्भपात (Therapeutic abortion) - जब गर्भपात कानूनी रूप से मां के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एक योग्य चिकित्सक द्वारा किया जाता है तो ऐसे गर्भपात को चिकित्सीय गर्भपात कहते हैं।

संभावित गर्भपात (Threatened abortion) - गर्भावस्था के पहले 20 सप्ताह में होने वाले योनि रक्तस्राव के कारण जो गर्भपात का खतरा होता है उसे संभावित गर्भपात कहते हैं। कभी-कभी यह पेट में ऐंठन होने के साथ होता है। ये लक्षण बताते हैं कि गर्भपात संभव है, यही वजह है कि इस स्थिति को संभावित गर्भपात या संभावित मिसकैरेज भी कहा जाता है।

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गर्भपात से संबंधित अध्ययन 

इस अध्ययन का नाम "Running an Obstacle-Course: A Qualitative Study of Women’s Experiences with Abortion-Seeking in Tamil Nadu, India" है इस में तमिलनाडु में महिलाओं द्वारा गर्भपात सेवाओं की खोज में आने वाली चुनौतियों को बताया गया है। 

इस अध्ययन का उद्देश्य ग्रामीण तमिलनाडु की विवाहित महिलाओं के गर्भपात अनुभवों को समझना था, विशेष रूप से यह जानना कि वे अवांछित गर्भधारण से निपटने के लिए किन रास्तों और परेशानियों का सामना करती हैं।

इस अध्ययन में सभी 16 प्रतिभागी हिंदू थीं, जिनमें से आठ महिलाएं अनुसूचित जाति (SC) और अति पिछड़ी जाति (MBC) से थीं, जबकि शेष सामान्य और पिछड़ी जातियों से थीं।

  • आर्थिक स्थिति: सामान्य जाति की महिलाएं अपेक्षाकृत बेहतर आर्थिक स्थिति में थीं, लेकिन कुछ गृहिणियां थीं जो पूरी तरह से अपने पतियों की आय पर निर्भर थीं।
  • कमजोरियां: कम विशेषाधिकार प्राप्त जातियों की महिलाएं आर्थिक अस्थिरता, पति की बेरोजगारी, शराब की लत, और घरेलू हिंसा जैसी समस्याओं का सामना कर रही थीं, जिससे उनकी स्थिति और भी जटिल हो गई थी।

गर्भपात सेवाओं की खोज में आने वाली बाधाएं

  • कानूनी जानकारी की कमी: कई महिलाएं गर्भपात की कानूनी स्थिति से अनजान थीं और उन्हें फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा हतोत्साहित किया गया या गलत जानकारी दी गई।
  • स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का व्यवहार: सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाओं में प्रदाताओं का रवैया महिलाओं के प्रति असम्मानजनक था।
  • सेवाओं की शर्तें: कम विशेषाधिकार प्राप्त महिलाओं के लिए सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में गर्भपात सेवाएं महिला नसबंदी को स्वीकार करने की शर्त पर उपलब्ध थीं।
  • भेदभाव: इतिहासिक रूप से कलंकित घुमंतू जनजातीय समुदाय की एक महिला को स्वास्थ्य प्रणाली में प्रदाताओं द्वारा भेदभाव का सामना करना पड़ा, जिससे इस समुदाय की महिलाएं संस्थागत स्वास्थ्य देखभाल से बचने लगीं।
  • महिलाओं की स्वायत्तता: सभी जातियों की महिलाएं यौन संबंधों और निर्णय लेने में स्वायत्तता की कमी महसूस करती थीं।
  • संस्थागत भेदभाव: कम विशेषाधिकार प्राप्त जातियों की महिलाओं को स्वास्थ्य प्रणाली में भेदभाव और बहिष्करण का सामना करना पड़ा।
  • सेवाओं की उपलब्धता: गर्भपात सेवाओं की खोज में महिलाओं को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा, जिसमें कानूनी जानकारी की कमी, प्रदाताओं का असम्मानजनक व्यवहार, और सेवाओं की शर्तें शामिल थीं।

इस अध्ययन में की गईं सिफारिशें 

  • सुलभ और सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित स्वास्थ्य सेवाएं: महिलाओं के प्रजनन और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए, ऐसी स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है जो सभी महिलाओं की गरिमा का सम्मान करें, सहानुभूतिपूर्ण हों, और सुरक्षित गर्भपात सेवाओं के अधिकार को बनाए रखें।
  • कानूनी जागरूकता: महिलाओं को गर्भपात की कानूनी स्थिति और उपलब्ध सेवाओं के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।
  • प्रशिक्षण और संवेदनशीलता: स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को महिलाओं के प्रति संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

यह अध्ययन दर्शाता है कि तमिलनाडु में महिलाओं को गर्भपात सेवाओं की खोज में कई सामाजिक, आर्थिक, और संस्थागत बाधाओं का सामना करना पड़ता है, और इन चुनौतियों को दूर करने के लिए समग्र और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC8525933/

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गर्भावस्था की समाप्ति करने का सबसे सही समय गर्भावस्था के 8 से 12 सप्ताह तक होता है। इससे पहले गर्भ थैली (Gestation sac) इतनी छोटी होती है कि वह गायब हो सकती है और बाद में यह प्रक्रिया अधिक जटिल हो जाती है।

आठवें हफ्ते की शुरुआत जानने के लिए गर्भधारण की तिथि मालूम होना ज़रूरी है। इसे जानने के लिए आप इस तरह हिसाब लगा सकती हैं - मान लीजिये आपने एक हफ्ते देर से परीक्षण किया था, तो आपका गर्भकाल (Gestation- गर्भावस्था के दिन) अंतिम माहवारी की तारीख से गिना जायेगा, जिस हिसाब से आप वर्तमान समय में लगभग छह सप्ताह की गर्भवती हो सकती हैं।

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मेडिकल गर्भपात (Medical abortion) - इसमें दवाओं के सेवन द्वारा गर्भपात किया जाता है। यह शल्य चिकित्सा गर्भपात की तरह व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है लेकिन कई दवा की दुकानों पर डॉक्टर की सलाह पर उपलब्ध है। मेडिकल गर्भपात, अंतिम मासिक धर्म के लगभग 60 दिनों तक या गर्भावस्था के लगभग 10 सप्ताह तक ही प्रभावी होता है। इसके लिए सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि इसके बजाय, दवाओं (आमतौर पर मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल) के संयोजन द्वारा (जो कि चिकित्सक की निगरानी में दी जाती हैं) गर्भपात की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। ये दवाएं, भ्रूण की कोशिकाओं में विभाजन और वृद्धि होने से रोकती हैं साथ ही गर्भावस्था के दौरान उन हार्मोन को जो एक विकासशील गर्भधारण के लिए ज़िम्मेदार होते हैं, ब्लॉक करती हैं। यह भ्रूण को गर्भ से बाहर निकालकर गर्भाशय के संकुचन का कारण बनता है।

मेडिकल अबॉर्शन, शल्य गर्भपात की तुलना में अधिक प्रभावी नहीं हैं। ये गर्भावस्था को खत्म करने में लगभग 95-98% प्रभावी होते हैं। इसलिए गर्भावस्था को सफलतापूर्वक समाप्त करने के लिए शल्य गर्भपात (Surgical abortion) आवश्यक होता है।

(और पढ़ें - गर्भपात की गोली)

सर्जिकल गर्भपात (Surgical abortions) - ये लगभग 100% प्रभावी होते हैं। यह दूसरी तिमाही के अंत तक की जाती है लेकिन 10% से भी कम मामलों में दूसरी तिमाही के बाद भी सर्जरी द्वारा गर्भपात किया गया है जो उन लोगों के लिए आदर्श उदाहरण है जो इस समय के बाद गर्भपात को खतरा मानते हैं।

सर्जिकल गर्भपात तीन प्रकार से होता है - मैनुअल वैक्यूम एस्पिरेशन [Manual vacuum aspiration (MVA)], डाइलेशन और क्यूरेटेज [Dilation and curettage (D&C)] या अधिक प्रचलित, डाइलेशन और एवेक्युलेशन [Dilation and evacuation (D&E)]। यह प्रकार गर्भावस्था की समयसीमा और स्थिति पर निर्भर करते हैं।

मैनुअल वैक्यूम एस्पिरेशन (Manual vacuum aspiration - MVA)

इन्हें इलेक्ट्रिक वैक्यूम एस्पिरेशन (Electric vacuum aspiration - EVA) भी कहते हैं। ये गर्भावस्था की पहली तिमाही में, लगभग 13 सप्ताह तक, किया जा सकता है। यह आजकल गर्भपात के लिए सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली सर्जरी है। मैनुअल एस्पिरेशन का उपयोग आखिरी मासिक धर्म के चार सप्ताह तक करना और बेहतर होता है।

डाइलेशन और एवेक्युलेशन (Dilation and evacuation - D&E)

यह सर्जरी, आखिरी मासिक धर्म के छह सप्ताह बाद लगभग दूसरी तिमाही के मध्य में की जा सकती है।

डाइलेशन और क्यूरेटेज आज के समय में गर्भपात के लिए कम प्रयोग की जाने वाली सर्जरी है। इसमें गर्भाशय का पूरी तरह से खाली होना, सुनिश्चित करने के लिए सक्शन उपकरणों और मशीनों के साथ-साथ अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है।

(और पढ़ें - अल्ट्रासाउंड क्या है)

गर्भावस्था के 12वें सप्ताह तक आसान और सुरक्षित तरह से गर्भपात करने के लिए दो दवाओं मिफेप्रिस्टोन (जिसे गर्भपात की गोली, आरयू 486 (RU 486), मिफेजिन (Mifegyne), मिफेप्रेक्स (Mifeprex) भी कहा जाता है) और मिसोप्रोस्टोल (जिसे साइटोटेक (Cytotec), अर्थ्रोटेक (Arthrotec), ऑक्साप्रोस्ट (Oxaprost), साइप्रोस्टोल (Cyprostol), मिबेटिक (Mibetec), प्रॉस्टोकोस (Prostokos) या मिसोट्रोल (Misotrol) के रूप में जाना जाता है) के उपयोग से महिला स्वयं गर्भपात कर सकती है।

लेकिन गर्भपात के लिए मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल या कोई अन्य दवा का सेवन डॉक्टर के परामर्श पर ही करें अन्यथा इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं।

(और पढ़ें - गर्भपात की गोली)

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भारत में गर्भपात केवल बीस हफ्तों की गर्भावस्था के लिए वो भी विशिष्ट परिस्थितियों में वैध है, जिसे विस्तारपूर्वक निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है:

  1. बार बार गर्भधारण करने से गर्भवती महिला के जीवन पर बुरा असर पड़ता है और उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को हानि पहुंचती है।
  2. एक खतरा यह भी रहता है कि यदि बच्चा पैदा हुआ है, तो वो शारीरिक या मानसिक असामान्यताओं से पीड़ित या गंभीर रूप से विकलांग हो सकता है।

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार की शिकार महिला को 24वें सप्ताह में गर्भ गिराने की अनुमति दी थी जो गर्भावस्था अधिनियम, 1971 के मेडिकल टर्मिनेशन प्रेगनेंसी एक्ट के तहत निर्धारित 20 सप्ताह की सीमावधि से परे है।

इस अधिनियम के तहत एक महिला को गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों के भीतर गर्भपात कराने की अनुमति दी गयी है, लेकिन वो भी एक पंजीकृत चिकित्सक से, जिसने किसी गर्भवती महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के गंभीर खतरे का निदान किया हो। यदि भ्रूण 12 से 20 सप्ताह का हो गया है, तो गर्भपात की प्रक्रिया के लिए दो चिकित्सकों की अनुमति की आवश्यकता होती है।

यदि पहली तिमाही के दौरान गर्भपात हुआ है तो चार से 12 सप्ताह बाद आपको पीरियड्स होने शुरु हो जाने चाहिए। गर्भपात के बाद पहली माहवारी सामान्य से हल्की या कम हो सकती है या सर्जिकल गर्भपात के बाद यह सामान्य रूप से भी हो सकती है। अगर पहली माहवारी सामान्य से अधिक लंबी है या मात्रा में अधिक है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। यदि आपने चिकित्सा गर्भपात कराया है जो दवा द्वारा होता है तो आपको गर्भपात के बाद पहले पीरियड में सामान्य से अधिक रक्तस्राव हो सकता है। 

आप गर्भपात के ठीक बाद अण्डोत्सर्ग (Ovulate) कर सकती हैं। हालांकि, यह समय अलग-अलग महिलाओं के लिए भिन्न हो सकता है और इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भपात, गर्भधारण के कितने समयांतराल बाद हुआ है।

इस दौरान, गर्भावस्था से सभी अवशेषों को निकालना, आपके शरीर की पहली प्राथमिकता होती है। इसमें अन्य चीज़ों के अलावा भ्रूण के ऊतक भी गर्भाशय से निकलते हैं, और यह अत्यधिक रक्तस्राव के रूप में बाहर निकलते हैं। आप इसे गर्भपात के बाद पहली माहवारी समझ सकते हैं। यह एक दिन या एक सप्ताह के भीतर हो सकती है। अगर अपने मेडिकल गर्भपात कराती हैं तो भ्रूण के ऊतकों को सर्जरी द्वारा बाहर निकाला जा सकता है।

यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि गर्भपात के बाद कुछ महिलाओं को मासिक धर्म चक्र में दो वर्षों तक भी समस्याओं का समाना करना पड़ता है। आपके मासिक धर्म का समय और रक्तस्राव की मात्रा कई महीनों तक बदल सकती है।

(और पढ़ें - एबॉर्शन के कितने दिन बाद पीरियड आते हैं?)

डॉक्टर आमतौर पर गर्भपात के बाद कम से कम 3 महीने के लिए गर्भ धारण न करने की सलाह देते हैं। यदि गर्भपात बीच में या देर से हुआ हो तो और अधिक समय तक गर्भ धारण न करने को कहते हैं। हालांकि, जो महिलायें गैर कानूनी या गर्भावस्था में जटिलताओं के कारण गर्भपात का शिकार हुयी हैं उन्हें लंबे समय तक इंतजार करना चाहिए। जब चिकित्सक परीक्षण के बाद सुनिश्चित कर दें तब गर्भावस्था सामान्य रूप से सुरक्षित होती है।

गर्भपात के तुरंत बाद महिला गर्भवती हो सकती है। महिलाओं में ओव्यूलेशन एक प्राकृतिक घटना है जो हार्मोन द्वारा नियंत्रित होती है। अगर कोई गर्भनिरोधक विकल्प उपयोग नहीं किया जाता है तो सामान्य चक्र फिर से शुरू होने पर गर्भधारण की संभावना होती है। इसलिए अगर आप फिर से गर्भवती नहीं होना चाहती हैं तो डॉक्टर से सलाह लेने के बाद जन्म नियंत्रण विधियों का इस्तेमाल करें। 

(और पढ़ें - ओवुलेशन से जुड़े मिथक और तथ्य)

गर्भपात के 7 से 10 दिनों के भीतर भी गर्भधारण किया जा सकता है, चाहे महिला को अब भी रक्तस्राव हो रहा हो। गर्भावस्था समाप्ति के एक सप्ताह के बाद ही जन्म नियंत्रण तकनीक का उपयोग करना आवश्यक है। जिन महिलाओं ने एस्पिरेशन प्रक्रिया या आरंभिक गर्भपात कराया है उनमें तुरंत गर्भवती होने की सम्भावनायें अधिक होती हैं। पहली तिमाही में सर्जिकल गर्भपात या डाइलेशन और क्यूरेटेज कराने वाली महिलाओं को डॉक्टर कम से कम एक माह तक इंतजार करने की सलाह देते हैं जिससे गर्भाशय का घाव भर सके। 

(और पढ़ें - एबॉर्शन के बाद कब हो सकती हैं गर्भवती)

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एक सुरक्षित गर्भपात में बच्चा पैदा करने की तुलना में कम शारीरिक नुकसान होने की संभावना होती है।

जब गर्भपात निम्न प्रकार से किया जाता है तब यह सुरक्षित होता है:

  1. एक प्रशिक्षित और अनुभवी स्वास्थ्य चिकित्सक द्वारा।
  2. उचित उपकरणों की सहायता से।
  3. स्वच्छ तरीके से जैसे, जो भी योनि और गर्भ के संपर्क में जाता है वह जीवाणुहीन (Sterile) होना चाहिए।
  4. पिछली माहवारी के 3 महीने (12 सप्ताह) बाद तक।

जब गर्भपात निम्न प्रकार से किया जाता है तब यह असुरक्षित होता है:

  1. किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा जो इस प्रक्रिया को करने के लिए प्रक्षिशित नहीं है।
  2. गलत उपकरणों या दवाओं के उपयोग द्वारा।
  3. अस्वच्छ परिस्थितियों में।
  4. गर्भावस्था के 3 महीने (12 सप्ताह) के बाद, जब तक यह किसी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल में नहीं किया जाता है, जिसमें विशेष उपकरणों का उपयोग होता है।

डॉक्टरी दृष्टिकोण से, अगर आप गर्भपात करवाने का विचार कर रही हैं, तो यह जितना जल्दी किया जाए, उतना ही सुरक्षित और प्रभावी होता है। आमतौर पर गर्भपात की दवाएं (Medical Abortion) गर्भधारण के 7 हफ्ते (49 दिन) तक दी जाती हैं। कुछ मामलों में यह 9 हफ्तों तक (63 दिन) भी कारगर हो सकती हैं, लेकिन उसके बाद यह दवाएं असरदार नहीं होतीं और सर्जिकल विकल्पों पर विचार करना पड़ता है। भारत में कानूनी रूप से 24 हफ्तों तक गर्भपात कराया जा सकता है, लेकिन यह डॉक्टर की सलाह और मेडिकल ज़रूरतों के अनुसार ही होता है। अगर आप संदेह में हैं कि गर्भपात कब कराना उचित होगा, तो तुरंत एक गायनेकॉलजिस्ट से मिलें, क्योंकि समय का बहुत महत्व होता है।

अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग एक सामान्य प्रक्रिया है, खासकर अगर आपने MTP (Medical Termination of Pregnancy) के तहत गोली से गर्भपात करवाया है। ब्लीडिंग आमतौर पर 7 से 14 दिन तक हो सकती है। कुछ महिलाओं को हल्का स्पॉटिंग 3 हफ्तों तक भी रह सकता है। शुरुआत में ब्लीडिंग ज़्यादा होती है, फिर धीरे-धीरे कम होती जाती है। लेकिन अगर 2 हफ्तों के बाद भी भारी रक्तस्राव हो रहा है, या बदबूदार डिस्चार्ज, तेज बुखार, पेट में असहनीय दर्द हो तो ये संक्रमण या अधूरे गर्भपात के संकेत हो सकते हैं, और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

अबॉर्शन का दर्द हर महिला के लिए अलग हो सकता है। अगर आप दवाइयों से गर्भपात कर रही हैं (जैसे कि मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल), तो आपको तेज़ माहवारी जैसा दर्द या मरोड़ महसूस हो सकता है। यह दर्द आमतौर पर 4 से 6 घंटे तक रहता है, और कभी-कभी एक-दो दिन हल्की मरोड़ बनी रह सकती है। सर्जिकल अबॉर्शन (जैसे कि वैक्यूम अस्पिरेशन) में लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है, इसलिए प्रक्रिया के दौरान ज़्यादा दर्द नहीं होता, लेकिन बाद में हल्का दर्द या ऐंठन हो सकती है। डॉक्टर पेनकिलर देते हैं जिससे आराम मिल जाता है।

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अबॉर्शन के बाद शरीर को ताकत देने और रिकवरी के लिए सही खानपान ज़रूरी है। आयरन से भरपूर चीज़ें जैसे पालक, चुकंदर, गुड़, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां खाएं ताकि खून की कमी पूरी हो। प्रोटीन जैसे अंडे, दालें, पनीर, दूध उत्पाद ज़रूर शामिल करें। विटामिन C युक्त फल जैसे संतरा, अमरूद, नींबू शरीर की सूजन और कमजोरी में मदद करते हैं। ज़्यादा पानी पीना, हल्का सुपाच्य खाना जैसे खिचड़ी, दलिया खाना भी फायदेमंद रहता है। तले-भुने और मसालेदार खाने से परहेज़ करें।

अबॉर्शन के बाद शरीर को आराम की ज़रूरत होती है, खासकर अगर आपने मेडिकल अबॉर्शन कराया है। सामान्यतः 3 से 5 दिन का पूर्ण आराम और 1 हफ्ते तक हल्के काम करना चाहिए। सर्जिकल अबॉर्शन में अगर कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं है, तो 2-3 दिन में आप सामान्य गतिविधियों में लौट सकती हैं। फिर भी भारी सामान उठाने, सीढ़ियां ज़्यादा चढ़ने या थकाऊ काम 10-15 दिनों तक टालना बेहतर होता है। मानसिक और शारीरिक रूप से रिकवर होने के लिए नींद पूरी करें और पौष्टिक खाना खाएं।

अबॉर्शन के बाद योनि को ठीक होने में समय चाहिए। आमतौर पर डॉक्टर सलाह देते हैं कि कम से कम 2 हफ्ते तक यौन संबंध न बनाए जाएं ताकि संक्रमण से बचा जा सके। कुछ महिलाओं को ब्लीडिंग ज़्यादा दिन चलती है, ऐसे में संबंध बनाने से पहले यह भी ज़रूरी है कि ब्लीडिंग पूरी तरह बंद हो गई हो और कोई दर्द या परेशानी न हो। अगली बार गर्भधारण से बचने के लिए गर्भनिरोधक साधनों के बारे में डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।

गर्भपात के बाद शरीर हार्मोनल बदलाव से गुज़रता है। प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे गर्भधारण संबंधी हार्मोन धीरे-धीरे घटने लगते हैं और शरीर वापस सामान्य चक्र में आने लगता है। ब्लीडिंग, कमजोरी, थकान, मूड स्विंग्स, हल्का बुखार या दर्द होना सामान्य है। कुछ महिलाओं को ब्रेस्ट में सूजन या दर्द हो सकता है, जो कुछ ही दिनों में खुद ठीक हो जाता है। मानसिक रूप से भी हल्का दुख या गिल्ट महसूस होना आम है, इसलिए भावनात्मक सहारा लेना भी ज़रूरी होता है।

हर महिला का शरीर अलग होता है, लेकिन आमतौर पर शरीर को पूरी तरह ठीक होने में 1 से 2 हफ्ते लगते हैं। मेडिकल अबॉर्शन में जहां ब्लीडिंग कुछ दिन चलती है, वहीं सर्जिकल में कम ब्लीडिंग होती है लेकिन थकान या कमजोरी 1 हफ्ते तक रह सकती है। मानसिक रूप से ठीक होने में कभी-कभी 3 से 4 हफ्ते भी लग सकते हैं। आपका मासिक धर्म लगभग 4 से 6 हफ्ते बाद वापस आ जाता है।

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गर्भाशय को ‘साफ करने’ का मतलब यह सुनिश्चित करना है कि गर्भपात पूरी तरह हुआ है और कोई टिशू शेष नहीं रह गया। मिसोप्रोस्टोल जैसी गोली इस काम को करती है। अगर दवाइयों से पूरी तरह सफाई न हो पाए तो डॉक्टर "सक्शन एंड क्यूरेट" नाम की प्रक्रिया करते हैं जिसमें गर्भाशय की सफाई की जाती है। घर पर सफाई के लिए कोई देसी नुस्खा या तेल बिल्कुल इस्तेमाल न करें – इससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है। केवल डॉक्टर की सलाह पर ही कोई कदम उठाएं।

गर्भपात पूरा हुआ या नहीं, इसका पता कुछ संकेतों से लगाया जा सकता है: ब्लीडिंग कम हो जाना, पेट दर्द या मरोड़ का खत्म हो जाना, शरीर में सामान्य हलकापन महसूस होना। इसके अलावा, मेडिकल अबॉर्शन के 7-10 दिन बाद एक अल्ट्रासाउंड ज़रूरी होता है जिससे डॉक्टर यह देख सकते हैं कि गर्भाशय पूरी तरह खाली हुआ या नहीं। कभी-कभी हल्की ब्लीडिंग होने के बावजूद टिशू शेष रह जाते हैं, जो अधूरे गर्भपात का संकेत होते हैं।

यदि गर्भपात पूरा नहीं हुआ है तो यह अधूरा गर्भपात कहलाता है। इसके लक्षण हैं – लगातार भारी ब्लीडिंग, तेज पेट दर्द, बदबूदार डिस्चार्ज, बुखार या कमजोरी। कुछ महिलाओं को लगातार ब्लीडिंग के साथ चक्कर या थकावट महसूस होती है। अगर ऐसे लक्षण हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अधूरे गर्भपात का इलाज आमतौर पर एक छोटी सी सर्जिकल प्रक्रिया से किया जाता है।

अगर गर्भपात अधूरा रह जाए और इलाज न किया जाए तो संक्रमण, खून की कमी और बांझपन तक का खतरा हो सकता है। टिशू गर्भाशय में फंसे रह जाते हैं जिससे शरीर में सूजन, दर्द और कभी-कभी सेप्सिस (गंभीर संक्रमण) हो सकता है। इसलिए जैसे ही शंका हो कि गर्भपात पूरा नहीं हुआ है, डॉक्टर से संपर्क करें और अल्ट्रासाउंड या आवश्यक टेस्ट कराएं।

MTP में दो दवाएं होती हैं – मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल। पहले दिन 1 टैबलेट मिफेप्रिस्टोन मुंह से ली जाती है। फिर 24 से 48 घंटे के भीतर 4 टैबलेट मिसोप्रोस्टोल ली जाती हैं – आमतौर पर योनि में या गाल के अंदर रखकर। इन गोलियों से ब्लीडिंग शुरू हो जाती है और कुछ ही घंटों में गर्भपात हो जाता है। इन दवाओं को कभी भी खुद से न लें – डॉक्टर की निगरानी और अल्ट्रासाउंड जांच के बाद ही इनका इस्तेमाल सुरक्षित होता है।

गर्भपात के बाद किसी भी तरह के खतरे के लक्षण महसूस होने पर तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए। इस स्थिति में कभी कभी मैनुअल वैक्यूम एस्पिरेशन या डाइलेशन और क्यूरेटेज का उपयोग करके गर्भ पूरी तरह से खाली किया जाता है। यदि तुरंत परिवहन उपलब्ध नहीं है या अस्पताल बहुत दूर है उस स्थिति में यह जानकारी आपकी मदद कर सकती है।

योनि से अत्यधिक रक्तस्राव - गर्भपात के बाद योनि से भारी रक्तस्राव सबसे आम समस्या है। यह आमतौर पर गर्भ में बचे भ्रूण के अवशेषों के कारण होता है। इसे अपूर्ण गर्भपात कहा जाता है। यदि अवशेष निकाल दिए जाते हैं तो अकसर रक्तस्राव बंद हो जाता है। कभी कभी अत्यधिक रक्तस्राव गर्भाशय ग्रीवा के फटने के कारण भी होता है जिसे रक्तस्राव को रोकने के लिए सिलना (टांके लगाना) ज़रूरी होता है। ऐसी स्थिति में यदि तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करना संभव नहीं है, तो रक्तस्राव को पैड्स की सहायता से रोकने की कोशिश करें। 

सदमा  - गर्भपात का सदमा एक अच्छे भले जीवन को झकझोर देने वाली स्थिति है जिसमें भारी रक्तस्राव जैसे लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं। शरीर के अंदर रक्त स्राव के कारण भी सदमा (Shock) लग सकता है।

संक्रमण - अगर गर्भपात आखिरी माहवारी के तुरंत बाद 3 महीने (12 सप्ताह) के अंदर कराया है तो हल्का संक्रमण हो सकता है। गंभीर संक्रमण एक ऐसा संक्रमण है जो रक्त में फैल (सेप्सिस) जाता है। यदि गर्भपात पिछले मासिक रक्तस्राव से 3 या 4 महीनों के बाद किया गया था या गर्भपात के दौरान गर्भ में चोट लग गई है तो महिला को गंभीर संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है। सेप्सिस बहुत खतरनाक स्थिति होती है और यह भी सदमा पैदा कर सकती है। संक्रमण निम्न कारणों से हो सकता है:

  • अस्वच्छ हाथों के उपयोग से या कोई वस्तु गर्भ के अंदर रह गयी हो।
  • गर्भ में गर्भावस्था के अवशेष रह गए हों जो संक्रमण का कारण बनते हैं।
  • यदि महिला को पहले से ही संक्रमण हो।
  • गर्भ की दीवार में छिद्र किया गया हो।

आंतरिक चोट - जब किसी तेज़ या नुकीले उपकरण के प्रयोग से गर्भ में छिद्र या चोट हो लग जाती है तो इस स्थिति को आंतरिक चोट कहते हैं। ये उपकरण अन्य आंतरिक अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जैसे फैलोपियन ट्यूब, अंडाशय, आंतें और मूत्राशय आदि। जब महिला को आंतरिक चोट लगती है तो उसके पेट के अंदर गंभीर रक्तस्राव हो सकता है लेकिन योनि से लगभग कोई रक्तस्राव नहीं होता।

(और पढ़ें - सेनेटरी पैड लगाने का तरीका)

गर्भपात से संबंधित ये अध्ययन  "The Effects of Abortion Decision Rightness and Decision Type on Women’s Satisfaction and Mental Health" 2023 में प्रकाशित हुआ था। इसका उद्देश्य यह समझना था कि गर्भपात का निर्णय महिलाओं की मानसिक स्थिति और संतुष्टि पर कैसे प्रभाव डालता है, विशेष रूप से यह देखते हुए कि निर्णय उनके मूल्यों और इच्छाओं के अनुरूप था या नहीं।

पिछले अध्ययनों, जैसे कि टर्नअवे स्टडी, ने निष्कर्ष निकाला था कि 99% महिलाएं गर्भपात के अपने निर्णय से संतुष्ट थीं। हालांकि, इन निष्कर्षों पर सवाल उठाए गए क्योंकि उनमें प्रतिभागिता दर केवल 31% थी और संतुष्टि का मूल्यांकन केवल हां/ना के उत्तरों पर आधारित था। 

इस अध्ययन में 1,000 महिलाएं शामिल की गईं , जिनकी आयु 41-45 वर्ष थी और जो अमेरिका में रहती थीं। इस अध्ययन में 11 विजुअल एनालॉग स्केल्स का उपयोग किया गया, जिनके माध्यम से प्रतिभागियों ने अपने गर्भपात निर्णय से संबंधित व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और परिणामों का मूल्यांकन किया। और निर्णय को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया:

  • चाहा गया और उनके मूल्यों के अनुरूप (33%)
  • स्वीकार किया गया लेकिन उनके मूल्यों के अनुरूप नहीं (43%)
  • अनचाहा या दबाव में लिया गया (24%)

केवल उन महिलाओं ने, जिन्होंने गर्भपात का निर्णय चाहा और जो उनके मूल्यों के अनुरूप था, सकारात्मक भावनाओं और मानसिक स्वास्थ्य लाभों की रिपोर्ट की। अन्य सभी समूहों ने गर्भपात के बाद अधिक नकारात्मक भावनाओं और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की रिपोर्ट की , और 60% महिलाओं ने कहा कि यदि उन्हें अधिक सामाजिक या आर्थिक समर्थन मिला होता, तो वे बच्चे को जन्म देना पसंद करतीं।

निष्कर्ष और सिफारिशें

  • निर्णय का समर्थन: गर्भपात का निर्णय यदि महिला की इच्छाओं और मूल्यों के अनुरूप हो, तो वह मानसिक स्वास्थ्य के लिए कम हानिकारक होता है।
  • दबाव और मजबूरी: दबाव में या अनचाहे गर्भपात के निर्णय से महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ता है।
  • नीतिगत सिफारिशें: महिलाओं को गर्भपात के निर्णय में स्वतंत्रता और समर्थन प्रदान करना चाहिए, ताकि वे अपने मूल्यों और परिस्थितियों के अनुसार निर्णय ले सकें।

यह अध्ययन दर्शाता है कि गर्भपात का निर्णय महिलाओं की मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता है, और यह प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि निर्णय उनके व्यक्तिगत मूल्यों और इच्छाओं के अनुरूप था या नहीं। इसलिए, महिलाओं को समर्थन और स्वतंत्रता प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे अपने लिए सही निर्णय ले सकें।

https://www.researchgate.net/publication/370712209_The_Effects_of_Abortion_Decision_Rightness_and_Decision_Type_on_Women's_Satisfaction_and_Mental_Health

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आपके गर्भपात के बाद डॉक्टर आपको विशिष्ट देखभाल के निर्देश देंगे। कभी-कभी यह दुष्प्रभावों को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं। दुष्प्रभावों को कम करने के लिए, आप निम्न उपाय अपना सकती हैं:

  • हीटिंग पैड का उपयोग करें, जो ऐंठन को कम करने में मदद करता है।
  • हाइड्रेटेड रहें, खासकर तब जब आपको उल्टी या दस्त का सामना करना पड़ रहा हो। (और पढ़ें - दस्त रोकने के घरेलू उपाय)
  • यदि संभव हो तो, घर में रहने की योजना बनाएं ताकि आप अपने घर में बेहतर आराम कर सकें।
  • ऐंठन और दर्द को कम करने के लिए इबुप्रोफेन (Ibuprofen) जैसी दवाएं लें।
  • पेट में ऐंठन की जगह पर मालिश करें।
  • स्तन असहजता से राहत पाने के लिए सही और फिट ब्रा पहनें। (और पढ़ें - सही साइज की ब्रा कैसे चुनें)

(और पढ़ें - मूत्र मार्ग संक्रमण)

गर्भपात से जुड़ी यह प्रश्न सूची महिलाओं को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (MTP) यानी दवा से गर्भपात या सर्जिकल गर्भपात की प्रक्रिया, उसके बाद की देखभाल, शरीर पर प्रभाव, और जरूरी सावधानियों को समझने में मदद करती है। इन प्रश्नों में यह जानने की कोशिश की जाती है कि:

  • गर्भपात कब और कैसे किया जा सकता है,
  • उसके बाद शरीर में क्या बदलाव आते हैं,
  • कब तक ब्लीडिंग या दर्द हो सकता है,
  • क्या खाना चाहिए, कितना रेस्ट जरूरी है,
  • और यदि गर्भपात अधूरा रह जाए तो उसके क्या लक्षण हैं और क्या करना चाहिए।

यह जानकारी हर उस महिला के लिए आवश्यक है जो अनचाही प्रेगनेंसी या मेडिकल कारणों से अबॉर्शन पर विचार कर रही हो। उचित जानकारी, समय पर डॉक्टर से सलाह और सावधानीपूर्वक देखभाल, इस प्रक्रिया को सुरक्षित और कम तनावपूर्ण बना सकती है। 

Dr. Ayushi Gandhi

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प्रसूति एवं स्त्री रोग
4 वर्षों का अनुभव

Dr. Anjali

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Dr.Anuja Ojha

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Dr. Geeta Kulkarni

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प्रसूति एवं स्त्री रोग
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गर्भपात क्या है? कारण, प्रक्रिया और ज़रूरी सावधानियाँ से जुड़े सवाल और जवाब

सवाल 5 साल से अधिक पहले

मेरी दोस्त ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स किया था, उसकी प्रेगनेंसी को 1 महीना हुआ है। क्या इस समय गर्भनिरोधक लेकर गर्भपात किया जा सकता है?

Dr. Manju Shekhawat MBBS , सामान्य चिकित्सा

अगर आपकी दोस्त दवाइयों के जरिये अपना गर्भपात करवाना चाहती है तो उन्हें किसी गायनेकोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए। डॉक्टर की सलाह से दवाईयां लें। दवा देने के कुछ दिन बाद, डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और जांच करके देखेंगी कि गर्भपात ठीक से हुआ है या नहीं।

 

सवाल 5 साल से अधिक पहले

मेरी प्रेगनेंसी को 40 दिन हो चुके हैं जिसका मैं अब गर्भपात करवाना चाहती हूं, लेकिन मैं इसे सर्जरी से नहीं दवाई से करवाना चाहती हूं। क्या मेरा गर्भपात दवा से हो सकता है?

Dr. Haleema Yezdani MBBS , सामान्य चिकित्सा

जी हां, दवाईयों के जरिये भी गर्भपात किया जा सकता है। इसके लिए आपको गायनेकोलॉजिस्ट से मिलना होगा। वह आपकी जांच करेंगी और उसकी रिपोर्ट के आधार पर आपको सही दवा के लिए सलाह देंगी।

सवाल 5 साल से अधिक पहले

प्रेगनेंसी होने के बाद गर्भपात के लिए कितने हफ्तों तक गर्भनिरोधक गोली का सेवन करना सुरक्षित होता है?

Dr. Manju Shekhawat MBBS , सामान्य चिकित्सा

प्रेगनेंसी के 69 दिनों तक गर्भनिरोधक गोली प्रभावशाली होती है जिससे पूरी तरह से गर्भपात होने की संभावना होती है। गर्भपात के बाद भी कई बार गर्भ में कुछ अंश रह जाते हैं जिससे समस्या पैदा होने लगती है। इसलिए दवाई लेने से पहले अल्ट्रासोनोग्राफी करवा लेनी चाहिए ताकि आपको भ्रूण के सही साइज का पता चल सके।

सवाल 5 साल से अधिक पहले

गर्भपात कैसे करवा सकते हैं?

Dr Anjum Mujawar MBBS, MBBS , आकस्मिक चिकित्सा

अगर आप गर्भपात करवाना चाहती हैं, तो किसी भी महिला डॉक्टर या सरकारी अस्पताल में जाकर अपना गर्भपात (एबॉर्शन) करवा सकती हैं। इसके अलावा किसी और तरह से गर्भपात (एबॉर्शन) न करवाएं, वरना आपको खतरा हो सकता है।

संदर्भ

  1. Elisabeth Clare Larsen et al. New insights into mechanisms behind miscarriage. BMC Med. 2013; 11: 154. PMID: 23803387
  2. Tae Yeong Choi et al. Spontaneous abortion and recurrent miscarriage: A comparison of cytogenetic diagnosis in 250 cases. Obstet Gynecol Sci. 2014 Nov; 57(6): 518–525. PMID: 25469342
  3. Margreet Wieringa-de Waard et al. The natural course of spontaneous miscarriage: analysis of signs and symptoms in 188 expectantly managed women. Br J Gen Pract. 2003 Sep; 53(494): 704–708. PMID: 15103878
  4. National Health Service [Internet]. UK; Abortion.
  5. American College of Obstetricians and Gynecologists [Internet] Washington, DC; Induced Abortion
  6. National Health Service [Internet]. UK; Abortion.
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