कब्ज तब होती है जब अक्सर या कठिनाई से या फिर कठोर मलत्याग की वजह से पेट में दर्द या बेचैनी होती है। दुर्भाग्यवश, गर्भधारण के दौरान कभी न कभी कब्ज की समस्या लगभग सभी महिलाओं को होती है।

गर्भावस्था के दूसरे महीने से गर्भावस्था के तीसरे महीने के आसपास, प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने पर कब्ज की समस्या शुरू होती है। जैसे जैसे गर्भावस्था बढ़ती है आपका गर्भाशय भी बढ़ता है और ये समस्या बद से बदतर होती जाती है।

कुछ महिलाओं में, पूरे गर्भधारण के दौरान, जब प्रोजेस्टेरोन का स्तर शिखर पर होता है, कब्ज की दिक्कत बनी रहती है। हालांकि अगर आप अपने खाने पीने और व्यायाम करने की आदतों को बदलती हैं, तो इन सब परेशानियों से आसानी से निपटा जा सकता है।

(और पढ़ें - कब्ज के घरेलू उपाय)

  1. गर्भावस्था में कब्ज होने के कारण - Causes of constipation during pregnancy in Hindi
  2. गर्भावस्था में कब्ज की रोकथाम के लिए आहार - Diet to prevent constipation during pregnancy in Hindi
  3. क्या प्रेगनेंसी में कब्ज होना सामान्य है - Is constipation normal in pregnancy in Hindi
  4. गर्भावस्था में कब्ज का इलाज और घरेलू उपाय - Home remedies and treatment for constipation during pregnancy in Hindi

आमतौर पर, कष्ट, चिंता, कम शारीरिक व्यायाम और फाइबर युक्त आहार कम खाने की वजह से कब्ज हो सकती है। गर्भवती महिलाओं में कब्ज उन हार्मोन की वजह से होती है जो आंतों की मांसपेशियों को आराम पहुंचाती हैं और पेट बढ़ने की वजह से गर्भाशय पर पड़ने वाले दबाव को कम करते हैं। आंतों की मांसपेशियों को आराम मिलने की वजह से भोजन और अपशिष्ट पदार्थ (waste product) सिस्टम से धीरे धीरे बाहर निकलते हैं।

कभी-कभी आयरन की गोलियां लेने की वजह से कब्ज हो जाती है। इसलिए आयरन सप्प्लिमेंट्स लेते समय साथ में खूब सारा पानी पिएं। यदि ज्यादा कब्ज़ हो रही है तो आप डॉक्टर की सलाह से आयरन सप्पलीमेंट बदल भी सकती हैं।

(और पढ़ें - गर्भावस्था मे क्या खाएं)

आहार संबंधी समस्याओं से निपटना सबसे मुश्किल काम होता है। शायद आपको दोस्तों, रिश्तेदारों और अन्य लोगों से पहले से सलाह भी मिलती होगी कि इस समय ये खाओ ये मत खाओ आदि। चाहे आप शाकाहारी हों या मांसाहारी, आपको गर्भावस्था में रोज़ निम्नलिखित आहार ज़रूर खाना चाहिए:

  1. पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन
  2. कच्चे और पकी हुयी हरी सब्ज़ियां
  3. फल
  4. कैल्शियम के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही आदि। यदि आप डेयरी पदार्थ नहीं खा सकती हैं तो कैल्शियम सप्प्लिमेंट्स लें।
  5. लगभग 6 चम्मच संतृप्त वसा (Saturated fats), इन्हें आप शुद्ध नारियल तेल, मक्खन या पशुओं से प्राप्त वसा के रूप में ले सकती हैं।
  6. लगभग 4 चम्मच मोनोअनसेचुरेटेड फैट (Monounsaturated fats) जैसे एवोकाडो, जैतून का तेल, नट्स और नट्स के तेल आदि।
  7. लगभग 2 चम्मच पॉलीअनसेचुरेटेड आयल जैसे कॉड लिवर ऑयल, अलसी का तेल, ईवनिंग प्रिमरोज तेल (Evening primrose oil), काली किशमिश का तेल आदि।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी डाइट चार्ट)

गर्भाशय में वृद्धि होने पर आंत पर दबाव पड़ने की वजह से उसकी सामान्य गतिविधियां बाधित होती हैं। हार्मोनल परिवर्तन की वजह से भी आंतों की मांसपेशियों को आराम मिलता है, जिससे कब्ज हो जाती है। कब्ज या कठोर सूखा मल जिसे त्यागने में मुश्किल होती है, गर्भावस्था के दौरान होने वाली काफी सामान्य स्थिति है।

कब्ज, बढ़ते भ्रूण के कारण भी हो सकती है। जैसे जैसे भ्रूण शरीर के भीतर विकसित होता है, निचले पेट और आंतों पर दबाव बढ़ता है। इससे मल त्यागने में रुकावटें आ सकती हैं जिसके परिणामस्वरूप कब्ज होती है।

जैसे जैसे गर्भावस्था बढ़ती है, महिलाएं शारीरिक रूप से कम सक्रिय हो जाती हैं और वसायुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी कर सकती हैं जिनमें फाइबर कम होता है। ये दोनों ही कारक कब्ज के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।

कुछ अन्य ज्ञात कारकों में आयरन और कैल्शियम सप्प्लिमेंट्स लेना, कम या कोई व्यायाम न करना, तनाव और अनुचित आहार शामिल हैं जिनकी वजह से ये समस्या होती है। आपका शरीर पर पड़ने वाले गर्भावस्था के प्रभावों को समझना ज़रूरी है और उन कारकों के बारे में जागरूक होना चाहिए जो गर्भावस्था के दौरान कब्ज जैसी किसी भी तरह की शारीरिक परेशानी पैदा कर सकते हैं। इससे आपको कब्ज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी में होने वाली समस्या और प्रेगनेंसी टेस्ट रिजल्ट्स के बारे में)

आमतौर पर यह गंभीर मुद्दा नहीं है, लेकिन कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान कब्ज किसी अन्य समस्या का संकेत हो सकता है। यदि आपको गंभीर कब्ज है जिसमें पेट में दर्द और दस्त भी होते हैं या साथ में म्यूकस या रक्त भी आता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

(और पढ़ें - बच्चों के नाम)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Prajnas Fertility Booster बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख पुरुष और महिला बांझपन की समस्या में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।

आपको कब्ज के लिए ओवर-द-काउंटर दवाइयों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता भी पड़ सकती है, लेकिन ध्यान रखें कि वे उच्च स्तर के एस्पॉर्टेम (Aspartame - कम कैलोरी वाला स्वीटनर, जो कि शक्कर से बहुत अधिक मीठा होता है) होते हैं, जो गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकती हैं।

गर्भावस्था में कब्ज से रहात पाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें -  

  • "सफ़ेद अनाज" या उससे बनी चीज़ें न खाएं जैसे ब्रेड, सफ़ेद चावल, पास्ता आदि। 
  • दिन में 12 से 13 गिलास पानी या अन्य तरल पदार्थ पीएं। इससे आपके आंत के अंदर मल नरम हो जाएगा और ज़्यादा आसानी से शरीर से बाहर निकल जाएगा। गरम पानी में नीम्बू डाल कर पीना ख़ास तौर से फायदेमंद होता है। 
  • एक बार में ज़्यादा न खाएं। दिन में 3 बड़े भोजन की जगह 6 छोटे भोजन खाने की कोशिश करें। ऐसा करने से आपको गैस और पेट फूलने के समस्या भी कम होगी। (और पढ़ें - गर्भावस्था में गैस)
  • प्रोबिओटिक्स (probiotics) ज़रूर लें। ये आपको दही खाने से प्राप्त होंगे (इसके सप्लीमेंट भी आते हैं)। प्रोबिओटिक्स आपके आंत के अंदर के बैक्टीरिया, जो खाने को पचाने में मदद करते हैं, को उत्तेजित करते हैं। 
  • गर्भावस्था में व्यायाम बहुत जरूरी होता है। अगर आप नियमित रूप से व्यायाम करती रहेंगी, तो कब्ज की समस्या होने की सम्भावना कम होगी। या अगर आपको ये समस्या है, तो वो जल्दी ठीक होगी। (और पढ़ें - गर्भावस्था में योग)
  • लैक्सेटिव (जुलाभ) का प्रयोग डॉक्टर से पूछे बिना न करें। सभी लैक्सेटिव गर्भावस्था में लेने सुरक्षित नहीं होते।  

गर्भावस्था के दौरान कब्ज के उपचार के लिए आप घरेलू उपाय अपना सकती हैं जो निम्नलिखित हैं -

  • नींबू

एक गिलास गर्म पानी में नींबू, पाचन तंत्र के लिए एक अच्छे उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है, और विषाक्त पदार्थों और अन्य न पचने वाले भोजन को बड़ी आंत से बाहर निकालता है। आप नींबू के रस में थोड़ा पानी भी मिला सकते हैं। हालांकि, थोड़ा सा पानी मिलाने से नींबू का स्वाद कम हो जायेगा। गर्म पानी और नींबू, आंतों में होने वाली क्रमाकुंचन (Peristalsis) क्रियाओं और मलत्याग में मदद करते हैं।

(और पढ़ें - नींबू के फायदे)

  • पानी

किसी भी चीज़ को नरम करने का सबसे अच्छा तरीका है उसमें पानी मिलाना और जब बात कठोर मल की हो तो ऐसा करना काफी असरदार होता है। एक दिन में 8-10 गिलास पानी पीने से आपके सिस्टम को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलता है, और कब्ज को दूर करने में काफी मदद मिलती है। तरल पदार्थों की सही मात्रा पीने से कठोर मल को नरम न किया जा सकता है।

(और पढ़ें - पानी पीने का सही समय)

  • संतरे

संतरों में, फाइबर और विटामिन सी समृद्ध मात्रा में पाया जाता है। कब्ज के मुख्य कारणों में से एक है भोजन में फाइबर की कमी। इस प्रकार, संतरे कब्ज के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचारों में से एक हैं। प्रति दिन फाइबर का सेवन थोड़ा अधिक मात्रा में करें, जो रोज़ाना 25-30 ग्राम होनी चाहिए। आप अन्य खट्टे फल (Citrus fruits) जैसे चकोतरा आदि भी खा सकती हैं।

(और पढ़ें - संतरे के फायदे और नुकसान)

  • अलसी के बीज

अलसी के बीज गर्भावस्था के दौरान होने वाली कब्ज के लिए लोकप्रिय उपाय हैं। इनमें फाइबर प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है और इसमें ओमेगा-3 भी काफी मात्रा में पाया जाता है। हालांकि अन्य उपचारों के साथ, आपको एक चम्मच अलसी के बीज खाने पर कम से कम 8-10 गिलास पानी पूरे दिन में ज़रूर पीना चाहिए। वैकल्पिक रूप से, आप अलसी के तेल का उपयोग भी कर सकती हैं।

(और पढ़ें - अलसी के फायदे और नुकसान)

  • मालिश

गर्भावस्था के शुरुआती हफ़्तों में, कब्ज होना सामान्य है और महिलाएं इसे अक्सर अनदेखा करती हैं। हालांकि, यह जल्द ही गंभीर समस्या का रूप ले सकता है इसलिए इसकी जांच करानी चाहिए। प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान कब्ज के लिए एक प्रभावी उपाय, पेट की मालिश करना है। अपने पेट पर उंगलियों को घड़ी की दिशा में (Clockwise direction) मालिश करते हुए घुमाएं। यदि आपको समय से पहले प्रसव होने का जोखिम है तो इस उपाय को न करें।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी के हफ्ते और नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है)

और पढ़ें ...
ऐप पर पढ़ें